रामायण >> श्रीरामचरितमानस अर्थात तुलसी रामायण (सुंदरकाण्ड)

श्रीरामचरितमानस अर्थात तुलसी रामायण (सुंदरकाण्ड)

गोस्वामी तुलसीदास

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :0
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 13
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भारत की सर्वाधिक प्रचलित रामायण। पंचम सोपान किष्किन्धाकाण्ड


श्रीराम-गुणगान की महिमा



दो०- सकल सुमंगल दायक रघुनायक गुन गान।
सादर सुनहिं ते तरहिं भव सिंधु बिना जलजान॥६०॥

श्रीरघुनाथजी का गुणगान सम्पूर्ण सुन्दर मङ्गलों का देनेवाला है। जो इसे आदरसहित सुनेंगे, वे बिना किसी जहाज (अन्य साधन) के ही भवसागर को तर जायँगे॥६०।।

मासपारायण, चौबीसवाँ विश्राम

इति श्रीमद्रामचरितमानसे सकलकलिकलुषविध्वंसने पञ्चमः सोपानः समाप्तः।

कलियुगके समस्त पापोंका नाश करनेवाले श्रीरामचरितमानसका यह पाँचवाँ सोपान समाप्त हुआ।

((सुन्दरकाण्ड समाप्त)

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