श्रीमद्भगवद्गीता >> श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय १ श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय १महर्षि वेदव्यास
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श्रीमद्भगवद्गीता पर सरल और आधुनिक व्याख्या
स घोषो धार्तराष्ट्राणां हृदयानि व्यदारयत्।
नभश्च पृथिवीं चैव तुमुलो व्यनुनादयन्।।19।।
नभश्च पृथिवीं चैव तुमुलो व्यनुनादयन्।।19।।
और उस भयानक शब्द ने आकाश और पृथ्वी को भी गुँजाते हुए धार्तराष्ट्रों के
अर्थात् आपके पक्षवालों के हृदय विदीर्ण कर दिये।।19।।
भीष्म द्वारा की गई शंख-ध्वनि के उत्तर में पाण्डव पक्ष के लोगों ने भी शंख-ध्वनि की जिसने कौरव पक्ष के लोगों के हृदय कंपित कर दिए। इन महान् शंखों की गम्भीर ध्वनि ने धरती और आकाश सभी को गुंजायमान कर दिया। आदि काल से गगनभेदी ध्वनियाँ किसी बड़े विनाश की सूचक होती हैं, इस कारण युद्ध के समय बहुत से शंख और अन्य तीव्र ध्वनि करने वाले वाद्य बजाए जाते थे।
भीष्म द्वारा की गई शंख-ध्वनि के उत्तर में पाण्डव पक्ष के लोगों ने भी शंख-ध्वनि की जिसने कौरव पक्ष के लोगों के हृदय कंपित कर दिए। इन महान् शंखों की गम्भीर ध्वनि ने धरती और आकाश सभी को गुंजायमान कर दिया। आदि काल से गगनभेदी ध्वनियाँ किसी बड़े विनाश की सूचक होती हैं, इस कारण युद्ध के समय बहुत से शंख और अन्य तीव्र ध्वनि करने वाले वाद्य बजाए जाते थे।
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