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अर्पण  : पुं० [सं०√ऋणिच्, पुक्+ल्युट्-अन] [कर्ता अर्पक भू० कृ० अर्पित] १. किसी को कुछ आदरपूर्वक कुछ देना या सौपना। नम्रतापूर्वक भेंट करना। २. विधिक क्षेत्र में, किसी वस्तु पर से अपना अधिकार या स्वत्त्व हटाकर उसे पूरी तरह से सदा के लिए किसी को देना या सौंपना। (आँफरिग) ३. स्थापित करना। रखना। जैसे—पदार्पण।
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अर्पणनामा  : पुं० =अर्पण-पत्र।
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अर्पण-पत्र  : पुं० [ष०त ०] वह पत्र जिसमें यह लिखा हो कि अमुक वस्तु या संपत्ति अमुक व्यक्ति को सदा के लिए अर्पित कर दी गई। (गिफ्ट डीड या डीड आँफ गिफ्ट)
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अर्पण-प्रतिभू  : पुं० [ष० त०] वह प्रतिभू या जमानतदार जो ऋणी के ऋण परिशोधन करने पर स्वयं उसका ऋण चुकाने को तैयार हो।
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