शब्द का अर्थ
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कस्तूर :
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पुं० [सं० कस्तूरी] १. कस्तूरी मृग। २. कई प्रकार के जंतुओ की नाभि या दूसरे अंगो से निकलने वाले सुगंधित पदार्थ जो प्रायः कस्तूरी की तरह के होते है। |
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कस्तूरा :
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पुं० [सं० कस्तूरी] १. कस्तूरी मृग। (देखें) २. लोमड़ी की तरह का एक प्रकार का जंतु। ३. कश्मीर से असम तक पाया जानेवाला भूरे रंग का एक सुरीला पक्षी जो प्रायः झुंड में रहता है। ४. वह सीपी जिसमें से मोती निकलता है। ५. एक प्रकार की सुगंधित और बलकारक ओषधि जो पोर्ट ब्लेयर की चट्टानों से खुरचकर निकाली जाती है। ६. जहाज में जड़े हुए तख्तों का जोड़ या संधि। |
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कस्तूरिका :
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स्त्री० [सं० कस्तूरी+कन्-टाप्, ह्रस्व] कस्तूरी। |
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कस्तूरिया :
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पुं० [हिं० कस्तूरी] कस्तूरी मृग। वि०१. कस्तूरी-संबंधी। कस्तूरी का। २. जिसमें कस्तूरी मिली हो। ३. कस्तूरी के रंग का। मुश्की। |
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कस्तूरी :
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स्त्री० [सं०√कस् (गति)+ऊर, तुट्, ङीष्] एक बहुत प्रसिद्ध और उत्कृष्ट सुगंधवाला पदार्थ जो नर कस्तूरी मृग (देखें) की नाभि के पास की थैली में पाया जाता है, और जिसका उपयोग अनेक प्रकार के सुगंधित द्रव्य तथा औषध बनाने में होता है। मुश्क। (मस्क)। |
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कस्तूरीमृग :
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पुं० [सं० मध्य० स०] १. हिरन की जाति का एक प्रकार का छोटा बिना सींगवाला जंतु जिसका रंग गहरा और चटकीला भूरा होता है जिसके शरीर पर मट-मैले रंग की चित्तियाँ होती हैं। यह नेपाल, पश्चिमी असम और भूटान तथा मध्य एशिया के घने जंगलों में पाया जाता है। इस जाति के नर जन्तुओं में नाभि के पास एक छोटी गोल थैली होती है जिसके अन्दर कस्तूरी (देखें) भरी रहती है। (मस्क डीअर) २. गंध मार्जार। मुश्क। बिलाव। |
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