शब्द का अर्थ
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गण :
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पुं० [सं०√गण्(गिनना)+अच्] १. जत्था। झुंड। समूह। २. कोटि। वर्ग। श्रेणी। ३. किसी के आस-पास रहने वाले व्यक्तियों का वर्ग या समूह। अनुचरों या परिचायकों का वर्ग। ४. शिव के परिषद। प्रथम। ५. चर। दूत। ६. नौकर। सेवक। ७. ऐसे पदार्थों, प्राणियों, व्यक्तियों आदि का समुदाय जिनमें किसी में समानता हो। कोटि। वर्ग। जैसे–किसी आचार्य या अनुयायियों या शिष्यों का गण। ८. ऐसे आचार्य का निवास स्थान जो अपने शिष्यों को शिक्षा देता हो। ९. प्राचीन सैनिक विभाजन में तीन गुल्लों का वर्ग या समूह। १॰. नक्षत्रों की तीन चोटियों में से एक। ११.छन्दशास्त्र में तीन वर्णों का समूह या वर्ग। जैसे-जगम, तगण, नगण, भगण, यगण, सगण आदि। १२.व्याकरण में धातुओं व शब्दों के वे समूह जिनमें एक ही तरह के लोप,आगम, वर्ण विकार आदि बातों होती हों। १३.चोआ नामक गंध द्रव्य। १४. दे० गणराज्य। |
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गणक :
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वि० [सं०√गण्+णिच्+ण्युल्-अक] गिनने या गिनती करनेवाला। गणना करनेवाला। पुं० [स्त्री० गणकी] १. गणितज्ञ। २. ज्योतिषी। |
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गणक-केतु :
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पुं० [सं० मध्य० स०] एक प्रकार का धूमकेतु। |
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गण-गर्णिका :
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स्त्री० [सं० गण-कर्ण,ब० स० कप्, टाप्, इत्व] इंद्रवारणी लता। |
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गणकार :
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वि० [सं० गण√कृ (करना)+अण्] १. गणों का संकलन करनेवाला। २. गणों में बाँटने तथा वर्गीकरण करनेवाला। |
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गणकी :
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स्त्री० [सं० गणक+ङीष्] ज्योतिषी की पत्नी। |
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गण-तंत्र :
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पुं० [ष० त० ] वह राज्य या राष्ट जिसकी सत्ता जन-साधारण (विशेषतः मतदाताओं या निर्वाचकों) में निहित होती है। (रिपब्लिक) विशेष–गणतंत्र की सरकार जन-साधारण द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों की बनी होती है जो निर्वाचकों या मतदाताओं के प्रति उत्तरदायी होती है। |
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गण-तंत्री (त्रिन्) :
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वि० [सं० गणतंत्र+इनि] १. गणतंत्र संबंधी। २. गणतंत्र के सिद्धातों तो मानने तथा उनमें विश्वास रखनेवाला। (रिपब्लिकन) ३. (देश) जिसमें गणतंत्र हो। |
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गणदीक्षी(क्षिन्) :
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पुं० [सं० गण√दीक्ष् (यज्ञ करना)+णिनि] १. वह पुरोहित जो बहुत से लोगों को ओर से यज्ञ करता हो। २. वह जिसने गणेश या शिव की दीक्षा ग्रहण की हो। |
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गण-देवता :
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पुं० [ष० त० ] १. समूहचारी देवता। २. वे देवता जो गणों में विभक्त हैं अथवा जिनके गण बने हैं। जैसे–आदित्य जिनकी संख्या १२. है और इसी लिए जिनका स्वतंत्र गण है। इसी प्रकार मरूत् रूद्र, आदि भी गण देवता कहे जाते है। |
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गण-द्रव्य :
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पुं० [ष० त० ] वह संपत्ति जिस पर किसी वर्ग या समुदाय का सामूहिक अधिकार हो। |
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गण-धर :
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पुं० [ष० त० ] जैनों में एक प्रकार के आचार्य। |
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गणन :
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पुं० [सं०√गण्+ल्युट्-अन] [वि० गणनीय, गणित, गण्य] १. गिनने या गिनती करने की क्रिया या भाव। गिनना। (काउंटिग) २. गिनती। |
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गणना :
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स्त्री० [सं०√गण्+णिच्+युच्-अन] १. गिनती करने की क्रिया या भाव। गणन। जैसे–आपकी गणना नगर के अच्छे वैद्यों में होती है। २. किसी प्रदेश,भूभाग या राज्य के जीवों मनुष्यों आदि की होनेवाली गिनती। (सेन्सस) जैसे–मनुष्य-गणना, पशु-गणना आदि। ३. गिनती। संख्या। ४. केशव के अनुसार एक अलंकार जिसमें एक-एक संख्या लेकर उससे संबंध रखनेवाले पदार्थों का उल्लेख होता है। जैसे–गंगा-मल,गंगेश-दृग,ग्रीव-रेख, गुण-लेखि। पावक, काल,त्रिशूल, बलि, संध्या तीनि बिसेखि।–केशव। (इसमें वही चीजें गिनाई गई हैं, जो तीन-तीन होती है)। |
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गण-नाथ :
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पुं० [ष० त० ] १. गणों का नाथ या स्वामी। २. गणेश। ३. शिव। |
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गण-नायक :
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पुं० [ष० त० ] १.गणेश। २. शिव। |
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गण-नायिका :
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स्त्री० [ष० त०] दुर्गा। |
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गणनीय :
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वि० [सं०√गण्+अनीयर्] १. गिनने मे आने के योग्य। गिने जा सकने के लायक। २. जो गिनी जाने को हो। ३. प्रतिष्ठित या मान्य वर्ग में आ सकने के योग्य। |
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गणप :
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पुं० [सं० गण√पा(रक्षाकरना)+क] गणेश। |
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गण-पति :
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पुं० [ष० त० ] १. गण का स्वामी। २. गणेश। ३. शिव। |
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गण-पर्वत :
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पुं० [ष० त० ] शिव के गणों के रहने का पर्वत अर्थात् कैलास। |
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गण-पाठ :
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पुं० [ष० त० ] व्याकरण में एक ही नियम के अधीन रहने वालों शब्दों का वर्ग। |
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गण-पुंगव :
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पुं० [स० त०] किसी गण या वर्ग का प्रधान व्यक्ति। मुखिया। |
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गण-पूर्ति :
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स्त्री० [ष० त०] किसी सभा, समिति आदि की बैठक के कार्य संचालन के लिए आवश्यक मानी जाने वाली निर्धारित अल्पतम सदस्यों की उपस्थिति। इयता। (कोरम) |
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गण-भोजन :
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पुं० [ष० त० ] बहुत से लोगों को एक साथ बैठा कर कराया जाने वाला भोजन। सहभोज। |
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गण-मुख्य :
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पुं० [ष० त०] गण का प्रधान व्यक्ति। मुखिया। |
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गण-राज्य :
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पुं० [ष० त० ] १. प्राचीन भारत में एक प्रकार के राज्य, जिनमें किसी राजा का नहीं, बल्कि प्रजा के चुने हुए लोगों का शासन होता था। २. दे० ‘गण-तन्त्र’। |
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गण-संख्या :
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स्त्री० [ष० त०] गणना या गिनती की सूचक संख्या। (कार्डिनल नम्बर) जैसे–एक, दो, तीन, चार आदि। |
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गणहास :
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पुं० [सं०गण√हस्(हँसना)+णिच्+अण्] एक प्रकार का गंध-द्रव्य। |
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गणाग्रणी :
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पुं० [सं० गण-अग्रणी,ष० त० ] १. गण का अगुआ या मुखिया। २. गणेश। |
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गणाचल :
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पुं० [सं० अण-अचल,ष० त० ] कैलास, जहाँ शिव के गण रहते हैं। गण-पर्वत। |
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गणाधिप :
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पुं० [सं० गण-अधिप, ष० त० ] १. गण या गणों का अधिपति या स्वामी। २. गणेश। ३. जैनी साधुओं का प्रधान या मुखिया। |
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गणाध्यक्ष :
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पुं० [सं० गण-अध्यक्ष,ष० त० ] १.गणों का अध्यक्ष या स्वामी। २. गणेश। ३. शिव। |
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गणान्न :
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पुं० [सं० गण-अन्न, ष० त० ] बहुत से लोगों के लिए एक साथ बनाया जाने वाला भोजन। |
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गणि :
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स्त्री० [सं०√गण्√इन्] गणना। |
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गणिका :
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स्त्री० [सं० गण+ठन्-अक,टाप्] १. रंडी। वेश्या। २. साहित्य में, वह नायिका जो केवल धन के लोभ से लोगों का मनोरंजन करती हो। वेश्या नायिका। ३. पुराणानुसार जीवंती नाम की एक परम दुराचारिणी वेश्या जो केवल अपने तोते को राम-राम पढ़ाते समय मरने के कारण मोक्ष की अधिरकारिणी हुई थी। ४. रहस्य संप्रदाय में, माया जो मनुष्यों को अपने जाल में फँसायें रखती है। ५. गनियारी नामक वृक्ष। |
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गणि-कारिका :
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स्त्री० [ष० त०] गनियार का पेड़। |
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गणिकारी :
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स्त्री० [सं० गणि√कृ+अण्-ङीष्] गनियार का पेड़। |
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गणित :
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पुं० [सं०√गण्+क्त] वह शास्त्र जिसमें परिमाण, मात्रा संख्या आदि निश्चित करने की रीतियों का विवेचन होता है। हिसाब। पाटीगणित, बीजगणित और रेखागणित ये तीनों इसी प्रकार के भेद है। (मैथेमेटिक्स) |
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गणितज्ञ :
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वि० [सं० गणित√ज्ञा (जानना)+क] १. गणित शास्त्र का ज्ञाता या पंडित। २. ज्योतिषी। |
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गणेरु :
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पुं० [सं०√गण्+एरु] कर्णिकार वृक्ष। स्त्री० १. वेश्या। २. हथिनी। |
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गणेरुका :
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स्त्री० [सं० गणेरु√कै(शब्द करना)+क-टाप्] १. वेश्या। २. कुटनी। ३. हथिनी। |
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गणेश :
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वि० [सं० गण-ईश, ष० त० ] गणों का मालिक या स्वामी। गणों का प्रधान। पुं० हिदुओं के एक प्रसिद्ध देवता जो विद्या के अधिष्ठाता और विघ्नों के विनाशक माने गये हैं। गणपति। विनायक। विशेष-इनका मुँह और सिर बिल्कुल हाथी का माना गया है, इसी लिए इन्हें गजानन भी कहते है। |
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गणेश-कुसुम :
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पुं० [उपमि० स०] लाल कनेर। |
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गणेश-क्रिया :
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स्त्री० [ष० त०] हठ योग की एक क्रिया, जिससे गुदा के अन्दर का मल साफ करके निकाला जाता है। |
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गणेश-चतुर्थी :
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स्त्री० [मध्य० स०] भादों और माघ की शुक्ला चतुर्थियाँ जिनमें गणेश का पूजन और व्रत होता है। |
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गणेश-चौथ :
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स्त्री० =गणेश-चतुर्थी। |
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गणेश-पुराण :
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पुं० [मध्य० स०] एक उपपुराण जिसमें गणेश का माहात्म्य वर्णित हैं। |
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गणेशभूषण :
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पुं० [सं० गणेश√भूष्(अलंकृत करना)+णिच्+ल्यु-अन] सिंदूर। |
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गण्य :
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वि० [सं०√गण् (गिनना)+यत्] १. गण-संबंधी। २. जो गिना जाने को हो या गिना जा सकता हो। ३. जो महत्व योग्यता आदि के विचार से मान्य हो सकता हो। प्रतिष्ठित। जैसे–नगर के सभी गणमान्य वहाँ उपस्थित थे। पद-गण्य-मान्य-प्रतिष्टित। |
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