| शब्द का अर्थ | 
					
				| गुंड					 : | वि० [सं०√गुंड् (चूर्ण करना)+अच्] चूर किया या पीसा हुआ। पुं० १. चूर्ण। २. फूलों का पराग। ३. मलार राग का एक भेद। ४. कसेरू का पौधा। | 
			
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				| गुंडई					 : | स्त्री० [हिं० गुंडा+ई० प्रत्यय] गुंडे होने की अवस्था, गुण या भाव। गुंड़ापन। | 
			
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				| गुंडक					 : | पुं० [सं० गुंड+कन्] १. मधुर और मंद स्वर। २. धूल। ३. तेल रखने का बरतन। ४. ऐसा आटा जिसमें धूल या मिट्टी मिली हो। | 
			
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				| गुंडली					 : | स्त्री०=कुंडली। | 
			
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				| गुंडा					 : | पुं० [सं० गंडक-गैडा, मि० असमी गुंड=गैंडा] [स्त्री० गुंडी] अनियंत्रित रूप से हर जगह उद्दण्डतापूर्वक आचरण या व्यवहार करनेवाला व्यक्ति। | 
			
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				| गुंडापन					 : | पुं० [हिं० गुंड़ा+पन (प्रत्यय)] गुंडे होने की अवस्था या भाव। | 
			
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				| गुंडित					 : | भू० कृ० [सं०√गुंड+क्त] १. चूर्ण किया या पीसा हुआ। २. धूल में मिलाया या ढका हुआ। | 
			
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				| गुंडीर					 : | वि० [सं०√गुंड्+ईरन्] १. चूर्ण करने या पीसनेवाला। २. नष्ट-भ्रष्ट करनेवाला। | 
			
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