| शब्द का अर्थ | 
					
				| गुलंच					 : | पुं० [सं० गुड√अञ्च (गति)+अण्,शक,पररूप] एक प्रकार का कंद। | 
			
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				| गुलंचा					 : | पुं० =गुरुच।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| गुलंदाज					 : | पुं०=गोलंदाज। | 
			
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				| गुल					 : | पुं० [फा०] १. गुलाब। जैसे–गुलकंद,गुलरोगन आदि। २. पुष्प। फूल। जैसे–गुलमेंहदी। मुहावरा–गुल कतरना=कोई अनोखा या विलक्षण काम करना या बात कहना। (परिहास और व्यग्य)। गुल खिलना=किसी प्रसंग में कोई नई मजेदार या विलक्षण घटना होना। गुल खिलाना-नई,मजेदार या विलक्षण घटित करना। ३. वह गड्डा जो हँसने के समय कुछ लोगों के गालों में पड़ता है और सौदर्यवर्धक माना जाता है। ४. पशुओं के शरीर पर होनेवाला फूल के आकार का रंग या गोल दाग। जैसे–कुत्ते या चीते का गुल। ५. गरम लोहे से दागकर शरीर पर बनाया जानेवाला उक्त प्रकार का चिन्ह्न या दाग। मुहावरा–गुल खाना=किसी चीज से अपना शरीर उक्त प्रकार से जलाना या दागना जिसमें शरीर पर उस चीज का दाग या निशान बन जाए। जैसे–प्रियतमा की अँगूठी या छल्ले से अपनी छाती या हाथ पर गुल खाना। (उर्दू कविताओं में प्रयुक्त) ६.दीए की बत्ती का वह अंश जो बिलकुल जल जाने पर छोटे से फूल का आकार धारण कर लेता है। मुहावरा–(चिराग) गुल करना= (चिराग) बुझाना या ठंढा करना। ७. जलता हुआ कोयला। अंगारा। ८. चिलम पर रखकर पीये जानेवाले तमाकू का वह रूप जो उसे बिलकुल जल जाने पर प्राप्त होता है। जट्ठा। ९. जूते के तल्ले में एड़ी के नीचे पड़नेवाला अंश जो प्रायः पान के आकार का होता है। १॰. कारचोबी की बनी हुई फूल के आकार की बड़ी टिकुली जो स्त्रियाँ सुन्दरता के लिए कनपटी पर लगाती हैं। ११. चूने की वह बड़ी गोलाकार बिंदी जो सिर में दर्द होने पर कनपटियों पर लगातें हैं। १२. कनपटी। १३. एक रंग की चीज पर दूसरे रंग का बना हुआ कोई गोल निशान। १४. आँख का डेला। (क्व०) १५. एक प्रकार का रंगीन याचलता गाना। १६. गोबर में कोयले का चूरा मिलाकर बनाया हुआ वह गोला जो अंगीठियों में जलाने के लिए बनाया जाता है। १७. युवती और सुंदर स्त्री। (बाजारू) पुं० [अ० गुल] शोर। हल्ला। जैसे–लड़कों का गुल मचाना। पुं० [देश] १. हलवाई का भट्ठा। २. खेतो में पानी ले जाने की नाली। | 
			
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				| गुल-अजायब					 : | पुं० [फा० गुल+अ० अजायब=अजीब का बहु०] १. एक प्रकार का फूलदार पौधा। २. इस पौधे का फूल। | 
			
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				| गुल-अब्बास					 : | पुं० [फा० गुल+अ० अब्बास] १. एक प्रकार का बरसाती पौधा। २. इस पौधे का पीले या लाल रंग का फूल। | 
			
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				| गुल-अब्बासी					 : | वि० [फा० गुल+अ० अब्बास+ई (प्रत्यय)] गुल-अब्बास के रंग का। पुं० एक प्रकार का रंग जो हलका कालापन लिए हुए पीला या लाल होता है। | 
			
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				| गुल-अशर्फी					 : | पुं० [फा०] १.एक प्रकार का पौधा। २. इस पौधे का फूल जो पीला होता है। | 
			
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				| गुलउर					 : | पुं०=गुलौर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| गुल-औरंग					 : | पुं० [फा०] एक प्रकार का गेंदा और उसका फूल। | 
			
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				| गुलकंद					 : | पुं० [फा०] चीनी या मिसरी में मिलाकर और धूप और चाँदनी में रखकर पकाई हुई गुलाब की पत्तियाँ जो प्रायः रेचक होती हैं और औषध के रूप में खाई जाती है। | 
			
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				| गुलकट					 : | पुं० [फा० गुल+हिं० काटना] कपड़े या बेल-बूटे छापने का एक प्रकार का ठप्पा। (छीपी)। | 
			
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				| गुलकार					 : | पुं० [फा०] [भाव० गुलकारी] बेल-बूटे, फूल आदि बनानेवाला कारीगर। | 
			
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				| गुलकारी					 : | स्त्री० [फा०] तरह-तरह के बेल-बूटे या फूल-पत्तियाँ बनाने का काम। २. किसी चीज पर बनाये हुए बेल-बूटे या फूल पत्तियाँ। | 
			
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				| गुल-केश					 : | पुं० [फा० गुल+केश] १. मुर्गकेश नामक पौधा। कलगा। २. उक्त पौधे का फूल। | 
			
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				| गुलखैरू					 : | पुं० [फा० गुल+खैरू] १. एक प्रकार का पौधा। २. इस पौधे का फूल जो नीलेरंग का होता है। | 
			
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				| गुलगचिया					 : | स्त्री० दे० गिलगिलिया। | 
			
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				| गुलगपाड़ा					 : | पुं० [अ० गुल+हिं० गप्प] बहुत से लोगों का एक साथ बोलने तथा हँसने से होनेवाला शब्द। शोर-गुल। हो-हल्ला। | 
			
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				| गुलगीर					 : | पुं० [फा०] वह कैची जिससे दीए आदि की बत्ती का गुल काटा जाता है। गुल काटने की कैची। | 
			
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				| गुलगुल					 : | वि०=गुलगुला। | 
			
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				| गुलगुला					 : | वि० [अनु०] [स्त्री० गुलगुली] कोमल। नरम। मुलायम। पुं० १.गोली के आकार का एक प्रकार का पकवान। २. कनपटी। पुं० [?] ऊसर में होनेवाली एक प्रकार की घास। | 
			
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				| गुलगुलाना					 : | स० [हिं० गुलगुल] किसी कड़ी और गूदेदार चीज को दबा-दबाकर मुलायम करना। अ० नरम या मुलायम पड़ना। पिचपिचा होना। | 
			
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				| गुलगुलिया					 : | पुं० [?] मदारी, विशेषतः बंदर नचानेवाला मदारी। | 
			
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				| गुलगुली					 : | स्त्री० [देश०] पहाड़ी झरनों में रहनेवाली एक प्रकार की काँटेदार बड़ी मछली। | 
			
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				| गुलगोथना					 : | वि०=गल-गुथना। | 
			
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				| गुलचना					 : | स० [हिं० गुलचा] गुलचा मारना। हलकी, चपत लगाना। | 
			
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				| गुलचमन					 : | पुं० [फा०] फूलों का बाग। | 
			
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				| गुलचला					 : | पुं० [हिं० गोला+चलाना] तोप का गोला चलानेवाला। तोपची। | 
			
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				| गुलचाँदनी					 : | स्त्री० [फा० गुल+हिं० चाँदनी] १. एक प्रकार का पौधा जिसमें फूल लगते हैं। २. इस पौधे का सफेद फूल जो प्रायः रात के समय खिलता है। | 
			
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				| गुलचा					 : | पुं० [हिं० गाल] १. प्रेमपूर्वक किसी के गाल पर लगाई जानेवाली हलकी चपत। २. कोई छोटी,गोल मुलायम चीज। | 
			
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				| गुलचाना					 : | स० [हिं० गुलचा+ना] १. हलकी चपत लगाना। २. आघात करना। | 
			
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				| गुलचिआना					 : | स०=गुलचाना। | 
			
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				| गुलची					 : | स्त्री० [?] लकड़ी में गलता बनाने का बढ़ाइयों का एक औजार। | 
			
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				| गुलचीन					 : | पुं० [?] १. एक प्रकार का बड़ा वृक्ष जो बारहों महीने फूलता है। २. उक्त वृक्ष का फल जो अन्दर की ओर पीला और बाहर सफेद होता है। | 
			
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				| गुल-छर्रा					 : | पुं० [हिं० गोली+छर्रा] अनुचित रूप से तथा खूब खुलकर किया जानेवाला आनंद-मंगल या भोग-विलास। क्रि० प्र०=उड़ाना। | 
			
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				| गुलजलील					 : | पुं० [फा०] असबर्ग का फूल जिससे रेशम रँगा जाता है। | 
			
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				| गुलज़ार					 : | पुं० [फा०] बाग। वाटिका। वि० १. हरा-भरा। २. सब तरह से भरा-पूरा और सुन्दर। आनंद और शोभा से युक्त। जैसे–गुलजार होना। ३. जिसमें खूब चहल पहल और रौनक हो। जैसे–गुलजार शहर। | 
			
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				| गुलझटी					 : | स्त्री० [हिं० गोल+झट-जमाव] १.तागों आदि के उलझने से पड़नेवाली गाँठ। २. मन में रहनेवाला द्वेष या वैर-भाव। मन की गाँठ। ३. कपड़े की सिकुड़न। सिलवट। | 
			
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				| गुलझड़ी					 : | स्त्री०=गुलझटी। | 
			
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				| गुलझरी					 : | स्त्री०=गुलझटी। | 
			
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				| गुलतराश					 : | पुं० [फा०] १. वह जो कपड़े, कागज आदि के टुकड़े काटकर उनके फूल बनाता हो। २. वह माली जो पौधे आदि को काट-छाँटकर उन्हें गमले, घोड़े, हाथी आदि की आकृतियों में लाता हो। ३. वह नौकर जो दीपकों के गुल काटने का काम करता हो। ४. दीए की बत्ती पर का गुल काटने की कैंची। गुलगीर। ५. बढ़इयों, संगतराशों आदि का वह औजार जिससे लकड़ी, पत्थर आदि पर बेल-बूटे या फूल-पत्तियाँ बनाते हैं। | 
			
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				| गुलता					 : | पुं० [हिं,.गोल] मिटटी की वह छोटी गोली जो गुलेल में रखकर चलाई या छोड़ी जाती है। | 
			
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				| गुलतुर्रा					 : | पुं० [फा०] कलगा नाम का पौधे के फूल जो गहरे लाल रंग का होता है। मुर्गकेश। जटाधारी। | 
			
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				| गुलत्थी					 : | स्त्री०=गुलथी। | 
			
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				| गुलथी					 : | स्त्री० [हिं० गोल+सं०अस्थि] १. किसी गाढ़ी चीज की जमी हुई गाँठ या गुठली। २. मांस की जमी हुई गाँठ। गिल्टी। ३. दे० ‘गुत्थी’। | 
			
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				| गुलदस्ता					 : | पुं० [फा० गुलदस्तः] १. कई प्रकार के फूलों तथा पत्तियों को विशेष क्रम से सजाकर बाँधा हुआ गुच्छा। २. लाक्षणिक अर्थ में उत्कृष्ट तथा चुनी हुई वस्तुओं का संग्रह या समूह। ३. दे० ‘गुलदान’। | 
			
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				| गुल-दाउदी					 : | स्त्री०=गुलदावदी। | 
			
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				| गुलदान					 : | पुं० [फा०] गुलदस्ता रखने का पात्र। फूलदान। | 
			
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				| गुलदाना					 : | पुं० [फा०] बुंदिया नाम की मिठाई जिसके लड्डू भी बनते हैं। | 
			
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				| गुलदार					 : | वि० [फा०] १. (पौधा या वृक्ष) जिसमें फूल लगें हो। २. (कपड़ा, कागज, पत्थर आदि) जिस पर फूल काढ़े, लिखे या खोदे हुए हों। पुं. १. वह जानवर जिसके शरीर पर फूल के गोल चिन्ह हों। २. एक प्रकार का कसीदा। | 
			
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				| गुल-दावदी					 : | स्त्री० [फा० गुल+दाऊदी] एक पौधा और उसके फूल जो गुच्छों में लगते हैं। | 
			
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				| गुल-दुपहिया					 : | स्त्री० [फा० गुल+हिं० दुपहरिया] १. एक प्रकार का पौधा। २. इस पौधे का सुंगधित फूल जो गहरे लाल रंग का होता है। | 
			
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				| गुलदुम					 : | स्त्री० [फा०] बुलबुल। | 
			
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				| गुलनरगिस					 : | स्त्री० [फा०] एक प्रकार की लता। | 
			
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				| गुलनार					 : | पुं० [फा०] १. अनार का फूल। २. एक प्रकार का अनार जिसमें सुन्दर फूल ही होते हैं फल नहीं लगते। ३. एक प्रकार का गहरा लाल रंग जो अनार के फूल की तरह का होता है। | 
			
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				| गुलपपड़ी					 : | स्त्री० [फा० गुल+हिं० पपड़ी] सोहन हलुए की तरह की एक प्रकार की मिठाई। | 
			
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				| गुलफानूस					 : | पुं० [फा०] एक प्रकार का बड़ा वृक्ष जो शोभा के लिए बगीचों में लगाया जाता है। | 
			
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				| गुल-फाम					 : | वि० [फा०] फूलों के समान रंगवाला, अर्थात् परम सुन्दर। | 
			
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				| गुलफिरकी					 : | स्त्री० [फा० गुल+हिं० फिरकी] १. एक प्रकार का बड़ा पौधा जिसमें गुलाबी रंग के फूल लगते हैं। २. उक्त पौधे के फूल। | 
			
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				| गुलफुँदना					 : | पुं० [हिं० गोल+फुँदना] एक प्रकार की घास। | 
			
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				| गुलबकावली					 : | स्त्री० [फा० गुल+सं० बकावली] १. हल्दी की जाति का एक पौधा जो प्रायः दलदलों या नम जमीन में होता है। २. इस पौधे का लंबोतरा फूल जो कई रंगों का और बहुत सुंगधित होता है। (यह आँखों के रोगों में उपकारी माना जाता है) | 
			
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				| गुलबक्सर					 : | पुं० [फा० गुल+देश० बक्सर] ताश के पत्तों में खेले जाने वाले नकश नामक खेल की एक बाजी। | 
			
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				| गुल-बदन					 : | वि० [फा०] जिसके शरीर के रंगत फूल की समान सुंदर हो। पुं० एक प्रकार का बहुमूल्य रेशमी धारीदार कपड़ा। | 
			
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				| गुलबादला					 : | पुं० [फा०] एक प्रकार का पेड़ जिसके रेशों को बटकर रस्से बनाये जाते हैं। ऊदल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| गुलबूटा					 : | पुं० [फा० गुल+हिं० बूटा] (किसी चीज पर) खोदे, छापे बनाये या लिखे हुए फूल, पत्ते, पौधे आदि। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| गुलबेल					 : | स्त्री० [फा० गुल+हिं० बेल] एक प्रकार की लता। | 
			
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				| गुलमा					 : | पुं० [सं० गुल्म] [स्त्री० गुलमी] १. चोट लगने के कारण होनेवाली गोल कड़ी सूजन। २. कीमा भरकर पकाई हुई बकरी की आँत। दुलमा। पुं०-गुलाम।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| गुलमेंहदी					 : | स्त्री० [फा० गुल+हिं० मेंहदी] १. एक प्रकार का छोटा पौधा जिसके तने में कई रंगों के फूल लगते हैं। २. उक्त पौधे के फूल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| गुलमेख					 : | स्त्री० [फा०] वह कील जिसका ऊपरी सिरा फूल के आकार का गोल और चौड़ा होता है। फुलिया। | 
			
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				| गुलरेज					 : | पुं० [फा०] आतिशबाजी में, वह अनार या फुलझडी जिससे कई प्रकार के फूल झड़ते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| गुलरोगन					 : | पुं० [फा०+अ०] गुलाब की पत्तियों के योग से बनाया हुआ तेल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| गुललाला					 : | पुं० [फा०] १. पोस्ते के पौधे की तरह का एक पौधा। २. इस पौधे का फूल जो गहरे लाल रंग का और बहुत सुन्दर होता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| गुलशकरी					 : | स्त्री० [फा०] १. चीनी और गुलाब के फूल के योग से बनी हुई एक प्रकार की मिठाई। २. दे० गँगेरन (पक्षी)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| गुलशन					 : | पुं० [फा०] वह छोटा बगीचा जिसमें अनेक प्रकार के फूल खिले हों। फुलवारी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| गुलशब्बो					 : | पुं० [फा०] १. लहसुन से मिलता-जुलता एक प्रकार का छोटा पौधा। २. इस पौधे के सफेद रंग के सुगंधित फूल जो प्रायः रात के समय खिलते हैं। रजनीगंधा। सुगंधराज। ३. रात के समय अँधेरे में खेला जानेवाला एक खेल जिसमें एक दूसरे को चपत लगाते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| गुलसुम					 : | पुं० [फा० गुल+हिं० सुमन] सुनारों का एक औजार जिससे वे गहनों पर बेल-बूटे आदि बनाते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| गुलसौसन					 : | पुं० [फा०] १. एक प्रकार का पौधा। २. इस पौधे का फूल जो हलके आसमानी रंग का होता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| गुलहजारा					 : | पुं० [फा०] एक प्रकार का गुललाला। (पौधा और फूल)। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| गुलहथी					 : | स्त्री०=गुलथी। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| गुलाब					 : | पुं० [फा०] १. एक प्रकार का प्रसिद्ध कँटीला पौधा जो कभी-कभी लता के रूप में भी होता है। इसके सुगंधित फूलगुलाबी, लाल, पीले, सफेद आदि अनेक रंगों के होते हैं। २. इस पौधे या लता का फूल जो अनेक रंगों का, बहुत सुन्दर और बहुत सुंगधित होता है। ३. गुलाब-जल। मुहावरा–गुलाब छिड़कना=गुलाब-जल छिड़कना। | 
			
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				| गुलाब-चश्म					 : | पुं० [फा०] एक प्रकार की चिड़िया जिसके पैर लाल, चोंच काली और बाकी शरीर खैरे रंग का होता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| गुलाब-छिड़काई					 : | स्त्री० [फा० गुलाब+हिं० छिड़कना] १. विवाह की एक रीति जिसमें वर पक्ष और कन्या पक्ष के लोग एक दूसरे पर गुलाब-जल छिड़कते हैं। २. उक्त रीति के समय मिलनेवाला नेग। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| गुलाबजम					 : | पुं० [?] एक प्रकार की झाड़ी जिसकी पत्तियों में से एक प्रकार का भूरा रंग निकलता है। सोना फूल। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| गुलाब-जल					 : | पुं० [फा० +सं०] गुलाब के फूलों का भभके से उतारा हुआ सुगंधित अरक। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| गुलाबजामुन					 : | पुं० [फा० गुलाब+हिं० जामुन] १. घी में तली हुई तथा शीरे में भिगोई हुई खोये की एक प्रसिद्ध मिठाई। २. एक प्रकार का फलदार वृक्ष। ३. उक्त वृक्ष का फल जो बहुत स्वादिष्ट होता है। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| गुलाब-तालू					 : | पुं० [फा० गुलाब+तालू] वह हाथी, जिसके तालू का रंग गुलाबी हो। (ऐसा हाथी बहुत अच्छा समझा जाता है) | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| गुलाबपाश					 : | पुं० [फा०] झारी के आकार का एक प्रकार का लम्बा पात्र जिसमें गुलाब-जल आदि भरकर शुभ अवसरों पर लोगों पर छिड़कते हैं। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| गुलाबपाशी					 : | स्त्री० [फा०] गुलाब-जल छिड़कने की क्रिया या भाव। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| गुलाब-बाड़ी					 : | स्त्री० [फा० गुलाब+हं० बाड़ी] आनंद-मंगल का वह उत्सव जिसमें आस-पास के स्थान और चीजें गुलाब के फूलों से सजाई गई हों। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| गुलाबाँस					 : | पुं०=गुल-अब्बास। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं | 
			
					
				| गुलाबा					 : | पुं० [फा० गुलाब] एक प्रकार का बरतन। | 
			
				|  | समानार्थी शब्द- 
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				| गुलाबी					 : | वि० [फा०] १. गुलाब-संबंधी। गुलाब का। २. गुलाब के रंग का। ३. गुलाब के फूल की तरह का। ४. गुलाब अथवा गुलाब-जल से सुगंधित किया हुआ। ५. बहुत थोड़ा या हलका। जैसे–गुलाबी नशा, गुलाबी सरदी। पुं० गुलाब के फूल की तरह का रंग। (रोज) स्त्री० १, शराब पीने की प्याली। २. गुलाब की पंखड़ियों से बनी हुई एक प्रकार की मिठाई। ३. एक प्रकार की मैना जो ऋतु-भेद के अनुसार अपना रंग बदलती है। | 
			
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				| गुलाम					 : | पुं० [अ०] १. मोल लिया या खरीदा हुआ नौकर। दास। २. बहुत ही तुच्छ सेवाएँ करनेवाला नौकर। ३. ताश का वह पत्ता जिसपर गुलाम की आकृति बनी रहती है। ४. गंजीफे के पत्तों में, एक प्रकार का रंग। | 
			
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				| गुलाम-गर्दिश					 : | स्त्री० [अ+फा०] १. वह छोटी दीवार जो जनानखाने में अन्दर की ओर सदर दरवाजे के ठीक सामने अथवा ओट या परदे के लिए बनाई जाती है। २. किसी बड़ी कोठी के आस-पास बने हुए वे छोटे मकान जिनमें नौकर-चाकर रहते हैं। | 
			
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				| गुलाम-चोर					 : | पुं० [अ+हि०] एक प्रकार का ताश का खेल। | 
			
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				| गुलाम-जादा					 : | पुं० [अ०+फा०] गुलाम या दास की सन्तान। | 
			
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				| गुलाम-माल					 : | पुं० [अ०] १. सस्ती या हलके दरजे की वह चीज जो बहुत दिनों तक काम देती हो। जैसे–मोटा कंबल या दरी। २. बहुत थोड़े दाम पर खरीदी हुई बढ़िया चीज। | 
			
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				| गुलामी					 : | स्त्री० [अ० गुलाम+ई (प्रत्यय)] १. गुलाम होने की अवस्था या भाव। दासता। २. बहुत ही तुच्छ सेवाएँ। चाकरी। ३. परतंत्रता। पराधीनता। वि० गुलाम-सम्बन्धी। गुलाम या उसकी तरह का। जैसे–गुलामी आदत। | 
			
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				| गुलाल					 : | पुं० [फा० गुल्लाला] एक प्रकार की लाल बुकनी या चूर्ण जिसे होली के दिनों में हिंदू एक दूसरे पर छिड़कते हैं। | 
			
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				| गुलाला					 : | पुं० [हिं० गुल्ली] महुए के बीज की गिरी या मींगी। वि० गुली या महुए के बीज से निकाला हुआ। पुं० दे० ‘गुल्लाला’। | 
			
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				| गुलाली					 : | स्त्री० [हि० गुलाल+ई (प्रत्यय)] चित्रकारी में काम आनेवाला। गहरे लाल रंग का एक प्रकार का चूर्ण या बुकनी। किरमिजी। (कारमाइन) | 
			
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				| गुलिका					 : | स्त्री० [सं० गुड+ठन्-इक-टाप्,‘ड’ को ‘ल’] १. खेलने का छोटा गेंद। २. गोली। ३. गुल्ली। | 
			
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				| गुलियाना					 : | स० [सं० गिल-निगलना] बाँस आदि के चोंगे में भरकर पशुओं को औषधि आदि पिलाना। ढरका देना। स० [हि० गोल] गोले या गोली के रूप में बनाना या लाना। | 
			
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				| गुलिस्ताँ					 : | पुं० [फा०] फूलों का बाग। फुलवारी। बाग। | 
			
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				| गुली					 : | स्त्री०=गुल्ली।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| गुलुफ					 : | पुं०=गुल्फ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| गुलू					 : | पुं० [देश०] १. एक प्रकार का जंगली बड़ा पेड़ जिसका गोंद कतीरा कहलाता है। २. एक प्रकार का बटेर। स्त्री० एक प्रकार की मछली। पुं० [फा०] १. गरदन। गला। २. कंठ-स्वर। | 
			
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				| गुलूबंद					 : | पुं० [फा०] १. लंबी पट्टी के आकार का बना हुआ वह कपड़ा जो जाड़े से बचने के लिए गले में, कानों तथा सिर पर लेपटा जाता है। २. गले में पहनने का एक गहना जो लंबी पट्टी के आकार का होता है। | 
			
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				| गुलूला					 : | पुं०=गुलेला। | 
			
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				| गुलेंदा					 : | पुं० [हि० गोल] महुए का पका हुआ फल। कोलेंदा। | 
			
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				| गुले					 : | पुं० [देश०] उत्तरी भारत का एक प्रकार का छोटा पेड़। | 
			
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				| गुलेटन					 : | पुं० [हि० गोल] सिकलीगरों का मसाला रगड़ने का छोटा गोल पत्थर। | 
			
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				| गुलेनार					 : | पुं०=गुलनार (अनार का फूल)। | 
			
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				| गुले-राना					 : | पुं० [फा० गुल+अ० रअनः] १. एक प्रकार का पौधा। २. उक्त पौधे का सुन्दर फूल जो अन्दर की ओर लाल और बाहर पीला होता है। | 
			
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				| गुलेल					 : | स्त्री० [फा० गिलूलः] एक प्रसिद्ध छोटा उपकरण जिसमें लगी हुई डोरी की सहायता से मिट्टी की छोटी गोलियाँ दूर तक फेंकी जाती है और जिससे छोटी चिडियाँ आदि मारी जाती है। पुं० =गुरुच। | 
			
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				| गुलेलची					 : | पुं० [हिं० गुलेल+ची (प्रत्यय)] वह जो गुलेल चलाने में अभ्यस्त हो। गुलेल चलानेवाला शिकारी। | 
			
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				| गुलेला					 : | पुं० [फा० गुलूला] १. मिट्टी की वह गोली जिसकी गुलेल से फेंककर चिड़ियों का शिकार किया जाता है। २. दे० ‘गुलेल’। | 
			
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				| गुलैंदा					 : | पुं० =गुलेंदा। | 
			
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				| गुलोह					 : | स्त्री० [फा० गिलोय] गुरुच। | 
			
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				| गुलौर					 : | पुं० [सं० गुल-गुड़+हिं० औरा (प्रत्य)] वह स्थान जहाँ रस पकाकर गुड़ पकाया जाता हो। | 
			
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				| गुलौरा					 : | पुं० =गुलौर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| गुल्गा					 : | पुं० [देश०] जलाशयों के किनारे होनेवाली एक प्रकार की लता। | 
			
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				| गुल्फ					 : | पुं० [सं०√गल् (बुआना)+फक्, उत्व] एड़ी के ऊपर की गाँठ। | 
			
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				| गुल्म					 : | पुं० [सं०√ Öगुड़ (वेष्टित करना)+मक्, ‘ड’ को ‘ल’] १. ऐसी वनस्पति जिसकी जड़ या नीचे का भाग गोल बड़ी गाँठ के रूप में होता है और जिसमें कोमल डंठलोंवाली अनेक शाखाएँ निकलती है। जैसे–ईख, बाँस आदि। २. पेट में होनेवाला एक रोग जिसमें वायु के कारण गाँठ सी पड़ जाती या गोला सा बँध जाता है। ३. रोग के रूप में शरीर के ऊपर बनने वाली किसी प्रकार की गाँठ। ४. प्राचीन भारत में, सेना की वह टुकड़ी जिसमें ९ रथ, ९ हाथी, २७. घोड़े और ४५. पैदल सैनिक होते थे। ५.किला। दुर्ग। | 
			
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				| गुल्म-बात					 : | पुं० [ब० स० ] तिल्ली या प्लीहा में होनेवाला एक रोग। | 
			
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				| गुल्म-शूल					 : | पुं० [ब० स०] पेट में होनेवाली वह पीड़ा जो अन्दर गुल्म रोग होने के कारण होती है। | 
			
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				| गुल्मी (ल्मिन्)					 : | वि० [सं० गुल्म+इनि] [स्त्री० गुल्मिनी] १. गुल्म या गाँठ के रूप में होनेवाला। २. गुल्म रोग से पीड़ित। स्त्री० [सं० गुल्म+चर्-ङीष्] १. पेडो़ या पौधों का झुरमुट। झाड़ी। २. इलायची का पेड़। ३. आँवले का पेड़। ४. खेमा। तंबू। | 
			
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				| गुल्मोदर					 : | पुं० [सं० गुल्म-उदर, मध्य० स०] दे० गुल्मवात। (रोग)। | 
			
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				| गुल्लक					 : | स्त्री० =गोलक। | 
			
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				| गुल्लर					 : | पुं० =गूलर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| गुल्ला					 : | पुं० [अ० गुल या हिंदी हल्ला का अनु०] शोर। हल्ला। जैसे–हल्ला-गुल्ला। पुं० [सं० गुलिक] १. ईख आदि का कटा हुआ छोटा टुकड़ा। गँडेरी। २. कालीन, दरी आदि बुनने के करघों में लगनेवाला बाँस का टुकड़ा। ३. लकड़ी का कोई बड़ा टुकड़ा। बड़ी बल्ली। ४. रूई ओटने की चरखी में लोहे का वह छड़ जो उसके खूँटे को इधर-उधर हिलने नहीं देता। ५. गोटा, पट्ठा, आदि बननेवालों का एक प्रकार का मोटा डोरा। पुं० [देश०] एक प्रकार का ऊँचा पहाड़ी पेड़ जिसके हीर की लकड़ी सुगंधित, हलकी और भूरे रंग की होती है। इसे ‘सराय’ भी कहते हैं। पुं० १. =गुलेला। २. रस-गुल्ला। (बँगला मिठाई)। | 
			
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				| गुल्लाला					 : | पुं० [फा० गुलेलाल] गुललाला नामक पौधा और उसका फूल। वि० उक्त फूल की तरह गहरा लाल। पुं० एक प्रकार का गहरा लाल रंग। उदाहरण–जेहि चंपक बरनी करै, गुल्लाला रंग।–बिहारी। | 
			
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				| गुल्ली					 : | स्त्री० [सं० गुलिका-गुठली] १. धातु, लकड़ी आदि का कोई गोलाकार, छोटा लंबोत्तरा टुकड़ा। जैसे–डंडे के साथ खेलने की गुल्ली, छापेखाने में फरमा कसने की गुल्ली, हथियारों पर का मोरचा खुरचने की गुल्ली। २. उक्त आकार और रूप में ढाला हुआ धातु का टुकड़ा। पासा। जैसे–चाँदी या सोने की गुल्ली। ३. मक्के की वह बाल जिसके दाने झाड़ लिये गये हों। खुखड़ी। ४. केवड़े का फूल जो गोलाकार लंबा होता है। ५. ऊख या गन्ने के कटे हुए टुकड़े। गँडेरी। ६. मधुमक्खी के छत्ते का वह भाग जिसमें शहद इकट्ठा होता है। ७. फल के अन्दर की गुठली। क्रि० प्र० -बँधना। मुहावरा–गुल्ली बँधना=युवावस्था में शरीर के अन्दर वीर्य का एकत्र होकर पुष्ट होना। ८. एक प्रकार की मैना (पक्षी) जिसे ‘गंगा मैना’ भी कहते हैं। | 
			
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				| गुल्ली-डंडा					 : | पुं० [हिं०] १. हाथ भर लंबा डंडा और चार छः अंगुल गोल लंबोतरी गुल्ली, जिससे बच्चे खेलते हैं। २. लड़कों का एक प्रसिद्ध खेल जिसमें काठ की उक्ति गु्ल्ली डंडे से मारकर दूर फेंकी जाती है। मुहावरा–गु्ल्ली डंडा खेलनाखेल-कूद अथवा इधर-उधर के फालतू कामों में समय नष्ट करना। | 
			
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