शब्द का अर्थ
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जुँई :
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स्त्री०=जुईं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुंग :
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पुं० [सं०√जुंग (त्यागना)+अच्] विधारा नामक वृक्ष। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुंगित :
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वि० [सं०√जुंग+क्त] १. परित्यक्त। २. नीच या शूद्र जाति का। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुंडी :
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स्त्री=जुन्हरी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुंबर :
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पुं० [?] बंदर का बच्चा। (कलंदर)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुंबली :
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स्त्री० [हिं० दुंबा] एक प्रकार की पहाड़ी भेड़। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुंबिश :
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स्त्री० [फा०] १. हिलते-डुलने की क्रिया या भाव। गति। २. अपने स्थान से थोड़ा हटकर इधर-उधर होने की क्रिया या भाव। मुहावरा–जुंबिश खाना=किसी पदार्थ का अपने स्थान से थोड़ा हटकर इधर-उधर होना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जु :
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अव्य० १.=जो। २.=ज्यों। ३.=जी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुअ :
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अव्य० [?] अलग। (दूर या पृथक्)। उदाहरण–बक्खर पक्खर टुट्टि, टुट्टि हय खंड परिय जुअ।–चंदबरदाई। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुअती :
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स्त्री=युवती।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुअना :
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स०=जोवना (देखना) उदाहरण–बिरदैत दमित आजान भुअ, उर किवार वर वज्र जुअ।–चंदबरदाई। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुअलि :
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वि० [सं० युगल] दो। उदाहरण–जुअलि नालि तसु गरभ जेहवी।–प्रिथीराज। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुआँ :
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स्त्री०=जूँ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुआँरी :
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स्त्री० [हिं० जूँ] बहुत छोटी जूँ (कीड़ा) या उसका बच्चा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री०=ज्वार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुआ :
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पुं०=जूआ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुआठा :
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पुं० दे०=जूआ (हल का)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुआनी :
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स्त्री=जवानी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुआर :
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स्त्री०=ज्वार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुआर-वासी :
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स्त्री० [?] एक प्रकार का पौधा और उसका फूल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुआर भाटा :
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पुं०=ज्वारभाटा। |
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समानार्थी शब्द-
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जुआरा :
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पुं० [हिं० जोतार] वह भूखंड जिसे एक जोड़ी बैल एक दिन में जोत सकते हों। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुआरी :
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पुं० [हिं० जुआ] वह व्यक्ति जिसे जुआ खेलन का व्यसन हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुआल :
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स्त्री०=ज्वाला।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुइना :
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पुं० [सं० यूनि=बंधन या जोड़] घास, फूस आदि को बटकर बनाई जानेवाली रस्सी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुई :
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स्त्री० [हिं० जूँ] १. बहुत छोटी जूँ (कीड़ा) या उसका बच्चा। २. मटर, सेम आदि की फलियों में लगनेवाला एक प्रकार का छोटा कीडा़। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुईं :
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स्त्री० [?] लंबा पतला पात्र जिससे हवन करते समय अग्नि में घी छोड़ा जाता है। श्रुवा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुकत्तिय :
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स्त्री०=युक्ति।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुकाम :
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पुं० [अ०] सरदी-गरमी के योग से होनेवाला एक रोग जिसमें नाक से कफ मिला हुआ पानी निकलता और सिर भारी जान पड़ता है। प्रतिश्याय सरदी । (कोल्ड)। मुहावरा–मेंढकी को भी जुकाम होना=किसी छोटे व्यक्ति का भी बड़े बनने या बड़प्पन दिखलाने के लिए बड़े आदमियों का अनुकरण, बराबरी या रीस करना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुकिहारा :
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पुं० [हिं० जोंक] [स्त्री० जुकिहारी] जोंक लगनेवाला। उदाहरण–जुकिहारी जौवन लिए हाथ फिरै रस हेत।–रहीम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुकुट :
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पुं० [सं०] १. कुत्ता। २. मलय पर्वत। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुगंतै :
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वि०=जाग्रत। उदाहरण–जानि जुगेतै जम कौं करण प्रथीपुर अन्त।–रासो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुग :
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पुं० [सं० युग्म] १. एक ही तरह की दो चीजों की जोड़ी। जोड़ युग्म। मुहावरा–जुग टूटना या फूटना=प्रायः साथ रहनेवाली दो वस्तुओं या व्यक्तियों का किसी प्रकार एक दूसरों से अलग हो जाना। जुग बैठना या मिलना=एक ही तरह की दो वस्तुओं या व्यक्तियों का घनिष्ठ संपर्क या संग-साथ होना। २. चौसर के खेल में दो गोटियों का एक ही घर में एक साथ बैठने की अवस्था। विशेष–ऐसी गोटियों में से कोई गोटी तब तक मारी नहीं जा सकती, जब तक वे दोनों एक दूसरे से अलग या आगे-पीछे न हो जायँ। ३. करघे में का वह डोरा जो ताने के सूतों को अलग-अलग रखने के लिए होता है। पद–पुं० =युग। (काल-विभाग)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुगजुग :
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अव्य० [हिं० जुग] अनेक युगों अर्थात् बहुत दिनों तक। जैसे–बच्चा तुम जुग-जुग जीओ। (आशीष)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुगजुगाना :
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अ० [हिं० जगना=प्रज्वलित होना] १. रह-रहकर थोड़ा थोड़ा चमकना। टिमटिमाना। २. अपने अस्तित्व का परिचय या प्रमाण देते रहना। ३. नया जीवन पाकर हीन दशा से कुछ अच्छी दशा में आना। उभरना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुगजुगी :
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स्त्री० [हिं० जुगजुगाना] १. शकरखोरा नाम की चिड़िया। २. गले में पहनने का एक आभूषण। जुगनूँ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुगत :
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स्त्री० [सं० युक्ति] [कर्त्ता जुगती] १. बहुत सोच-समझकर किया जाने वाला उपाय। तरकीब। युक्ति। २. आचार, व्यवहार आदि में दिखाई देनेवाला कौशल। जैसे–खूब जुगत से गृहस्थी चलाना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुगती :
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पुं० [हिं० जगत] १. व्यक्ति जो समझ-बूझकर कोई विकट काम करने का उत्तम उपाय निकाले। २. किफायत से घर-गृहस्थी का खरच चलानेवाला व्यक्ति। स्त्री०=जुगत (युक्ति)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुगनी :
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स्त्री०=जुगनूँ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुगनूँ :
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पुं० [हिं० जुगजुगाना] १. एक प्रसिद्ध कीड़ा जिसका पिछला भाग रात में खूब चमकता है। खद्योत। २. पान के पत्ते के आकार का गले का एक गहना। जुगजुगी। रामनवमी। ३. गले में पहनने के गहनों में नीचे लटकनेवाला खंड (पेन्डेन्ट)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुगम :
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वि०=युग्म। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुगराफिया :
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पुं० [अ०] भूगोल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुगल :
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वि०=युगल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुगलिया :
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पुं० [?] जैन कथाओं के अनुसार एक कल्पित प्राणी जिसके ४०९६ बाल मिलकर आज कल के मनुष्यों के एक बाल के बराबर हों। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुगवना :
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स० [सं० योग+अवना (प्रत्यय)] १. कोई आवश्यक वस्तु कहीं से लाकर उपस्थित करना। २. कोई कठिन कार्य सिद्ध करने की युक्ति। क्रि० प्र०–बैठाना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुगादरी :
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वि० [सं० युगादि से] बहुत पुराना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुगादि :
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पुं० [सं० युगादि] १. युग का आरंभिक समय। २. बहुत पुराना समय।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुगाना :
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स०=जुगवाना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुगार :
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स्त्री०=जुगाली।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुगारना :
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अ०=जुगालना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुगालना :
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अ० [सं० उद्विलन=उगलना] सींगवालें पशुओं (जैसे–गाय भैंस, बकरी आदि), का जुगाली या पागुर करना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुगाली :
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स्त्री० [हिं० जुगालना] सींगवाले पशुओं का जल्दी-जल्दी खाये या निगले हुए चारे को गले से थोड़ा निकालकर फिर से अच्छी तरह चबाना। पागुर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुगुत, जुगुति :
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स्त्री०=जुगत। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुगुप्सक :
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वि० [सं०√गुप् (निंदा करना)+सन् द्वित्वादि+ण्वुल्-अक] दूसरे की व्यर्थ में निंदा करनेवाला। निंदक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुगुप्सन :
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पुं० [सं०√गुप्+सन्, द्वित्वादि+ल्युट्-अन] [वि० जुगुप्सु, जुगुप्सित] जुगुप्सा या निंदा करना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुगुप्सा :
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स्त्री० [सं०√गुप्+सन्, द्वित्वादि+अ–टाप्] १. दूसरों की की जानेवाली निंदा या बुराई। २. उपेक्षापूर्वक की जानेवाली घृणा। ३. योग शास्त्र के अनुसार अपने शरीर तथा संसार के लोगों के प्रति होनेवाली वह घृणा जो मन के परम शुद्ध हो जाने पर होती है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुगुप्सित :
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भू० कृ० [सं०√गुप्+सन्, द्वित्वादि+क्त] १. जिसकी जुगुप्सा हुई हो। निंदक। २. घृणित। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुगुप्सु :
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वि० [सं०√गुप्+सन्, द्वित्वादि+उ] बुराई करनेवाला। निंदक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुगुल :
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वि०=युगल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुग्ण :
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पुं०=युग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुग्गिनवै :
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पुं० [सं० योगिनी+पति] दिल्ली का राजा पृथ्वीराज।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुग्गिनी :
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स्त्री० [सं० योगिनी] योगिनीपुर। दिल्ली। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुज :
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पुं० [फा० मि० सं० युज] १. अंश। भाग। २. छपे हुए कागज के जुड़े हुए ८ या १६ पृष्ठों का समूह। एक फारम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुजबन्दी :
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स्त्री० [फा०] पुस्तकों की सिलाई का वह प्रकार जिसमें प्रत्येक फरमा एक ओर तो अलग-अलग और दूसरी ओर बाकी सब फरमों के साथ मिलाकर भी सीया जाता है। (दफ्तरी)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुजवी :
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वि० [फा०] १. जो जुज या बहुत छोटे अंश के रूप में अथवा बहुत थोड़ी मात्रा में किसी किसी के अंतर्गत हो। २. बहुत कम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुजीठल :
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पुं०=युधिष्ठिर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुज्झ :
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स्त्री० [?] १. जूझने की क्रिया या भाव। जूझ। २. युद्ध। लड़ाई।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुझवाना :
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स० [हिं० जूझना का प्रे०] किसी को जूझने में प्रवृत्त करना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुझाऊ :
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वि० [हिं० जूझ+आऊ (प्रत्यय)] १. प्रायः जूझता या लड़ता रहनेवाला। लड़का। २. युद्ध या लड़ाई के उपयोग में आनेवाला। युद्ध-संबंधी। जैसे–जुझाऊ जहाज। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुझाना :
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स०=जुझवाना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुझार :
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वि० [हिं० जुज्झ+आर (प्रत्यय)] योद्धा। लड़ाका। पुं० युद्ध। लड़ाई। उदाहरण–का जानसि कस होइ जुझारा।–जायसी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुझारू :
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वि० पुं०=जुझार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुझ्झ :
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पुं० [सं० युद्ध] १. जूझने की क्रिया या भाव। जूझ। २. युद्ध। लड़ाई। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुट :
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पुं० [हिं० जुटना] १. एक ही तरह की दो चीजों का जोड़ा। जुग। २. एक साथ काम आनेवाली कई वस्तुओं का समूह। जोड़ा। जैसे–कपड़ों या गहनों का जुट। ३. किसी के जोड़ या मुकाबले की कोई दूसरी चीज। जोड़ा। ४. एक साथ बँधी या लगी हुई चीजों का एक वर्ग या समूह जो प्रायः गुच्छे के रूप में हो। ५. जत्था। दल। मंडली। ६. दे० ‘जुग’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुटक :
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पुं० [सं०√जुट् (मिलना)+क+कन्] १. जटा। २. कबरी। जूडा़। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुटना :
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अ० [सं० युक्त, प्रा० जुत्त+ना (प्रत्यय)] १. एक चीज का दूसरी चीज के बिलकुल पास पहुँचकर उससे लगना या सटना। जुड़ना। जैसे–इमारत में पत्थर के पास पत्थर जुटना। २. इस प्रकार पास या समीप होना कि बीच में बहुत ही थोड़ा अवकाश रह जाय। ३. किसी काम में जी लगाकर योग देना। जैसे–तुम भी आकर जुट जाओ तो काम जल्दी हो जाय। ४. एक या अनेक प्रकार की चीजों, व्यक्तियों आदि का एक जगह इकट्ठा होना। जैसे–(क) धन या पत्थर, लकड़ी आदि जुटना। (ख) तमाशा देखने के लिए भीड़ जुटना। ५. किसी प्रकार प्राप्त या हस्तगत होना। मयस्सर होना। ६. स्त्री का पुरुष से अथवा पुरूष का स्त्री से प्रसंग या संभोग करना। (बाजारू)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुटला :
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वि० [हिं० जुटना] [स्त्री० जुटली] लंबे-लंबे बालों की लटोंवाला। पुं० [अल्पा० जुटली] लंबे लंबे बालों की लटा। जटा-जूट। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुटाना :
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स० [हिं० जुटाना] १. जुटने या एकत्र होने में प्रवृत्त करना। २. इकट्ठा करना। ३. बहुत पास लाकर मिलाना या सटाना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुटाव :
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पुं० [हिं० जुटना] जुटाने की क्रिया या भाव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुटिका :
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स्त्री० [सं० जुटक+टाप्-इत्व] १. चोटी। शिखा। २. बालों का जूड़ा। ३. गुच्छा। ४. एक प्रकार का कपूर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुट्टा :
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वि० [हिं० जुटना-मिलना] [स्त्री० जुट्टी] आपस में मिले या सटे हुए (पदार्थ) जैसे–जुट्टी भौंहें। पुं० [स्त्री० अल्पा० जुट्टी] १. घास, डंठलों आदि का बड़ा पूला। २. दे० ‘जुट्टी’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुट्टी :
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स्त्री० [हिं० जुटना] १. घास, डंठलों आदि का पूला। २. ऐसे डंठलों, पत्तों आदि का कल्ला जो आरम्भ में प्राय एक में मिले या सटे हुए रहते हैं। ३. एक दूसरी पर रखी हुई एक ही तरह की चीजों की गड्डी या थाक। ४. बेसन में लपेट कर तले हुए पत्ते या साग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुठारना :
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स० [हिं० जूठा] १. खाने-पीने की चीज कुछ खा या पीकर जूठी करना। जैसे–कुत्ते का दूध जुठारना। २. नाम मात्र के लिए थोड़ा सा खाकर बाकी देना छोड़। जैसे–थाली जुठारना। ३. नाम मात्र के लिए या बहुत थोड़ा सा खाना, जैसे–मुँह जुठारना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुठिहारा :
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पुं० [हिं० जूठा+हारा] [स्त्री० जुठिहारी] दूसरों का जूठा खानेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुठैल :
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वि० [सं० जुष्ठ+ऐल] जूठा। उच्छिष्ट। उदाहरण–कातिक राति जगी जम जोइ जुठैल जठेरि सुजठ की जेणी।–देव।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुडंगी :
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वि० [हिं० जुड़ना+अंग] जिसके साथ अंग और अंगीवाला संबंध हो बहुत ही निकट का संबंधी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुड़ना :
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अ० [हिं० जोड़ना का अ०] १. हिंदी ‘जोड़ना’ का अकर्मक रूप। जोड़ा जाना। २. दो या अधिक वस्तुओं का आपस में इस प्रकार मिलना कि एक का कोई भाग या अंग दूसरे के साथ दृढ़तापूर्वक लगा या सटा रहे। दृढ़तापूर्वक संबंद्ध, संश्लिष्ट या संयुक्त होना जैसे–सरेस से कुरसी के पाये जुड़ना। संयो–क्रि०–जाना। ३. संगृहीत या संचित होकर एक स्थान पर एकत्र होना। जुटना। जैसे–किसी के पास धन जुड़ना। ४. किसी प्रकार उपलब्ध, प्राप्त या हस्तगत होना। मयस्कर होना। जैसे–हमें ऐसे कपड़े भला कहाँ जुड़ेगे। ५. गाड़ी, घोड़े, बैल आदि के संबंध में जोता जाना। जुतना। जैसे–इस गाड़ी में दो घोड़े जुड़ते हैं। ६. किसी प्रकार के कठिन या श्रमसाध्य कार्य में किसी व्यक्ति या कुछ व्यक्तियों का योग देने के लिए सम्मिलित होना। ७. दे० ‘जुटना’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुड़पित्ती :
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स्त्री० [हिं० जूड़+पित्त] शीत और पित्त के प्रकोप के कारण होनेवाला एक रोग जिसमें सारे शरीर में बड़े-बड़े चकते पड़ जाते हैं। और उनमें खुजली या जलन होती है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुड़वाँ :
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वि० [हिं० जुड़ना] १. (बच्चे) जो एक साथ जुड़े हुए जन्मे हों। २. (बच्चे) जिनका जन्म एक ही समय में कुछ आगे-पीछे हुआ हो। ३. (कोई ऐसे दो या अधिक पदार्थ) जो आपस में एक साथ जुड़ेलगे या सटें हों। जैसे–जुड़वाँ केले या फलियाँ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुड़वाई :
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स्त्री० [हिं० जुड़वाना] जुड़वाने या जोड़ लगवाने की क्रिया या भाव या मजदूरी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुड़वाना :
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स० [हिं० जुड़ाना=ठंढा होना] ठंढ़ा या शीतल करना। २. किसी संतप्त को शांत, संतुष्ट या सुखी करना। स० [हिं० जोड़ना का प्रे०] १. जोड़-बैठवाना, मिलवाना या लगवाना। २. जुड़ाना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुड़ाई :
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स्त्री०=जोड़ाई।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री० [हिं० जुड़ाना] १. ठंढे या शीतल होने की क्रिया या भाव। ठंढक। शीतलता २. तृप्ति। स्त्री=जुड़वाई। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुड़ाना :
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स० [हिं० जुड़ना का स०] १. जुड़ने या जोड़ने में प्रवृत्त करना। २. फलित ज्योतिष के अनुसार योग और फल का मिलान करना। जैसे–जन्म पत्र जुड़ाना अर्थात् वर और कन्या के ग्रहों का मिलान कराके यह जानना कि दोनों का वैवाहिक संबंध कैसा होगा। अ० [हिं० जाड़ा, पू० हिं० जूड़=ठंडा] १. ठंडा या शीतल होना। २. शांत और सुखी होना। जैसे–किसी को देखकर कलेजा जुड़ाना। ३. तृप्त होना। स० ठंडा या शीतल करना। २. शांत और सुखी करना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुड़ावना :
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स०=जुड़ाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुड़िया :
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वि० पुं०=जुड़वाँ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुत :
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वि०=युक्त।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुतना :
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अ [सं० युक्त, प्रा० जुत्त] १. घोड़े बैल आदि का गाड़ी में जोता जाना। २. खेत आदि का जोता जाना। ३. जी लगाकर किसी ऐसे काम में सम्मिलित होना जिसमें बहुत अधिक परिश्रम करना पड़ता हो। जैसे–वह दिन भर काम में जुता रहता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुतवाना :
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स० [हिं० जोतना का प्रे०] १. जोतने का काम किसी दूसरे से कराना। २. ऐसा काम करना जिससे कुछ (जैसे–खेत) या कोई (जैसे–घोड़ा या बैल) जोता जाय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुताई :
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स्त्री० [हिं० जोतना] जुतने या जोते जाने की क्रिया, भाव या मजदूरी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुताना :
|
स०=जुतवाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) अ०=जुतना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुतिऔवल :
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स्त्री० [हिं० जूता] ऐसी लड़ाई जिसमें दोनों पक्ष एक दूसरे पर जूतों से प्रहार करते हों। जूतों से होनेवाली लड़ाई। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुतियाना :
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स० [हिं० जूता+इयाना (प्रत्यय)] १. जूतों से किसी पर प्रहार करना। २. किसी को बहुत अधिक खरी खोटी सुनाकर अपमानित तथा लज्जित करना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुत्थ :
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पुं०=यूथ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुथौली :
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स्त्री०=जुठौली। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुदा :
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वि० [फा०] [स्त्री० जुदी (क्व०)] १. किसी से दूर हटा या बिछुड़ा हुआ। अलग। पृथक्। जैसे–माँ का बेटी से जुदा होना। २. आकार, गुण, महत्त्व, रंग-रूप आदि की दृष्टि से भिन्न प्रकार का। भिन्न। जैसे–यह बात जुदा है कि आप भी जायँगे या नहीं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुदाई :
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स्त्री० [फा०] १. जुदा या भिन्न होने की अवस्था या भाव। भिन्नता। २. जुदा या पृथक् होने की अवस्था या भाव। पाथर्क्य। ३. प्रेमियों, मित्रों आदि का पारस्परिक वियोग। बिछोह। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुद्ध :
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पुं०=युद्ध।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुधवान :
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पुं० [सं० युद्ध] १. युद्ध करनेवाला। योद्धा। उदाहरण–जग्गेयं जुधवानं कुंभेनयं कंक लंकायं।-चंदबरदाई। २. जोयुदध कर रहा हो। लड़ता हुआ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुन :
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स्त्री० १.=जून (काल या समय) २.=योनि।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुनब्बा :
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स्त्री० [अ० जुनूब-दक्षिण][स्त्री० अल्पा० जुनब्बी] पुरानी चाल की एक प्रकार की तलवार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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जुनरी :
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स्त्री०=जुन्हरी (ज्वार)। |
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जुनून :
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पुं० [फा०] उन्माद। पागलपन। |
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जुनूनी :
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वि० [अ०] उन्मत्त। पागल। |
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जुनूब :
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पुं०=जनूब (दक्षिण)। |
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जुन्हरी :
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स्त्री० [सं० यवनाल] ज्वार नाम का अन्न। |
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जुन्हाई :
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स्त्री० [सं० ज्योत्स्ना, प्रा० जोन्हा, हिं० जोन्हीं+ऐया] १. चंद्रमा का प्रकाश। चाँदनी। २. चन्द्रमा। |
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जुन्हैया :
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स्त्री०=जुन्हाई।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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जुफ्त :
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पुं० [फा०] १. जोड़ा। २. सम संख्या |
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जुब-राज :
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पुं०=युवराज।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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जुबाद :
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पुं० [अ०] एक प्रकार का तरल गंध द्रव्य जो गंध मार्जार या मुश्क बिलाव के अंडकोश से निकलता है। |
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जुबान :
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स्त्री०=जबान।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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जुबानी :
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वि०=जबानी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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जुमकना :
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अ० [हिं० जमना या सं० युग्म] १. दृढ़तापूर्वक किसी जगह खड़े रहना। डटना। २. पास या समीप आना। ३. इकट्ठा होना। |
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जुमना :
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स० [?] खेत में उगी या पड़ी हुई झाड़ियों को जलाकर उनकी खाद बनाना। पुं० खाद बनाने की उक्त क्रिया। |
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जुमला :
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वि० [फा० जुम्लः] कुल। पूरा। सब। पुं० वाक्य। |
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जुमा :
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पुं० [अ० जुमऽ] शुक्रवार। |
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जुमा मसजिद :
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स्त्री० [अ०] जामा मस्जिद। |
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जुमिल :
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पुं० [?] एक प्रकार का घोड़ा। |
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जुमिल्ला :
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पुं० [?] करघे की लपेटन की बाई ओर गड़ा रहनेवाला खूँटा। |
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जुमुकना :
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अ०=जुमकना। |
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जुमेरात :
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स्त्री० [अ०] गुरुवार। बृहस्पतिवार। |
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जुम्मा :
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पुं० [अ० जुमा] शुक्रवार। पुं०=जिम्मा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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जुयाँग :
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पुं० [?] सिंह भूमि के पास पाई जानेवाली एक जंगली जाति जो कोलों से मिलती-जुलती है। |
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जुर :
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पुं० [सं० ज्वर.] ज्वर। बुखार। उदाहरण–बासर रैनि नाँव लै बोलत भयो बिरह जुर कारो।–सूर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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जुरअत :
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स्त्री० [फा०] साहस। हिम्मत। |
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जुरझना :
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अ० स०=झुलसना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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जुरझरी :
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स्त्री०=झुरझुरी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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जुरना :
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अ० [हिं० जुड़ना का पुराना रूप](यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) १. एक में मिलना। जुड़ना। २. अँगड़ाई लेना। उदाहरण–झुकि झुकि झंपकी है पलनु फिरि फिरि जुरि जमुहाई।–बिहारी। अ०=जुड़ाना। (ठंडा होना)। |
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जुरबाना :
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पुं०=जुरमाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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जुरमाना :
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पुं० [फा० जुर्मानः] १. किसी अपराध के फल-स्वरूप न्यायालय द्वारा अभियुक्त का दिया जानेवाला अर्थ-दंड। २. किसी प्रकार की चूक, त्रुटि या भूल करने पर किसी अधिकारी द्वारा दिया जानेवाला अर्थ दंड। जैसे–पुस्तकालय में १५ दिन के अंदर पुस्तक न लौटाने पर एक आना रोज जुरमाना लगता है। ३. वह धन जो किसी प्रकार का अपराध, दोष या भूल करने पर दंड स्वरूप देना पड़ता है। |
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जुरा :
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स्त्री० [सं० जरा] १. बुढ़ापा। वृद्धावस्था। २. मृत्यु।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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जुराना :
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अ० स०=जुड़ाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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जुराफा :
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पुं० [अ० जुर्राफ़ः] ऊँट की तरह का पंद्रह सोलह फुट ऊँचा अफ्रीका का एक जंगली पशु जो संसार का सबसे ऊँचा प्राणी माना जाता है। कहते है कि मादा से विछोह होते ही नर की मृत्यु हो जाती है। |
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जुरावना :
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अ० स०=जुड़ाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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जुरी :
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स्त्री०=जूड़ी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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जुरूर :
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क्रि० वि०=जरूर। |
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जुर्म :
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पुं० [अ०] १. ऐसा अनुचित कार्य जो विधिक दृष्टि से दंडनीय हो। अपराध। २. कोई ऐसी दोष या भूल जिसके लिए दंड मिल सकता हो। |
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जुर्माना :
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पुं०=जुरमाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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जुर्रत :
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स्त्री० [अ० जुरअत] साहस। |
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जुर्रा :
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पुं० [फा० जुर्रः] बाज नामक पक्षी में का नर। |
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जुर्राब :
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स्त्री० [तु०] धागों आदि का बना हुआ पैरों का एक प्रसिद्ध पहनावा। मोजा। |
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जुल :
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पुं० [सं० छल] [वि० जुलबाज] कोई ऐसी बात जो किसी को धोखा देकर अपना काम निकालने के लिए कही गई हो। क्रि० प्र०–देना।–में आना। |
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जुलकरन :
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पुं० [अ० जुलकरनैन] सुप्रसिद्ध यूनानी बादशाह सिकंदर की एक उपाधि। |
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जुलकरनैन :
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पुं०=जुलकरन। |
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जुलकराँ :
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पुं०=जुलकरन। |
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जुलना :
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स० [हिं० मिलना का अनु० या हिं० जुड़ना] १. मेल-मिलाप करना या रखना। जैसे–मित्रों से मिलना जुलना। (केवल ‘मिलना’ के साथ प्रयुक्त) |
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जुलफ :
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स्त्री० [अ० जुल्फ] बालों की लट। |
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जुलफिकार :
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पुं० [अ० जुलफिकार] अली (मुसलमानों के चौथे खलीफा) की तलवार का नाम। |
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जुलबाज :
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वि० [हिं० जुल+फा० बाज] [भाव० जुलबाजी] दूसरों को जुल देनेवाला। धोखेबाज। |
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जुलम :
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पुं०=जुल्म (अत्याचार)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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जुलहा :
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पुं०=जुलहा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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जुलाई :
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वि० [हिं० जुल+आई (प्रत्यय)] जुल देनेवाला। धोखेबाज। उदाहरण–धाती, कुटिल ढीठ अतिक्रोधी, कपटी कुमति जुलाई।–सूर। स्त्री०=जुलाई। (अँगरेजी का सातवाँ महीना)। |
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जुलाब :
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पुं० [फा० गुलाब, अ० जुल्लाब] १. रेचन। दस्त। २. दस्त लानेवाली दवा। रेचक औषध। क्रि० प्र०–देना।–लेना। मुहावरा–जुलाब पचना=रेचक ओषध खाने पर भी उसका प्रभाव या फल न होना। ३. किसी से कुछ व्यय कराने की तरकीब या युक्ति। (बाजारू)। |
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जुलाहा :
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पुं० [फा० जौलाह] १. करघे पर कपड़ा बुननेवाली शिल्पी। कोरी। तंतुवाय। २. कपड़ा बुननेवालों की एक विशिष्ट जाति। ३. योग साधना में साधक। ४. पानी पर तैरनेवाला एक प्रकार का छोटा बरसाती कीड़ा। |
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समानार्थी शब्द-
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जुलुफ :
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स्त्री० [अ० जुल्फ] बालों की लट। |
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समानार्थी शब्द-
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जुलुम :
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पुं०=जुल्म (अत्याचार)। |
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जुलुस :
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पुं० [अ०] १. सिंहासनारोहण। २. दे० ‘जलूस’। |
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जुलोक :
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पुं० [सं० द्युलोक] स्वर्ग। |
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जुल्फ :
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स्त्री० [फा० जुल्फ] सिर के वे लंबे बाल जो पीछे या इधर-उधर लटों के रूप में लटकते रहते हैं। |
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जुल्फी :
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स्त्री०=जुल्फ। |
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जुल्म :
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पुं० [अ०] १. किसी प्रबल या शक्तिशाली व्यक्ति का अनीति या अन्यायपूर्ण ऐसा कार्य जिससे असहायों, दुर्बलों तथा निरीहों को कष्ट होता हो। अत्याचार। २. कोई कठोर आचरण या व्यवहार। जैसे–शरीर के साथ जुल्म मत करो। मुहावरा–जुल्म ढाना=(क) कोई बहुत बड़ा अत्याचार करना। (ख) कोई अद्भुत या विलक्षण काम कर दिखाना। |
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जुल्मत :
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स्त्री० [अ० जुल्मत] अंधकार। |
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जुल्मात :
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पुं० [अ० ज़ुल्मत का बहु० रूप] १. अंधकार। २. कुछ विशिष्ट अंधकारपूर्ण स्थान। जैसे–स्त्रियों का गर्भाशय, समुद्र का बिलकुल नीचेवाला भाग। |
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जुल्मी :
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वि० [अ० जुल्मी] १. जुल्म अर्थात् अच्याचार करनेवाला। २. बहुत अधिक उग्र, तीव्र या विकट। प्रचंड। प्रबल। |
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समानार्थी शब्द-
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जुल्लाब :
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पुं०=जुलाब। |
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समानार्थी शब्द-
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जुव :
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पुं०=युवक।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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जुवजन :
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पुं० [सं० युवा+जन] नवजवान आदमी। उदाहरण–मनु जगजुवजन जीतन एकहि बिधिना नची बनाय।-भारतेन्दु। |
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समानार्थी शब्द-
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जुवती :
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स्त्री०=युवती।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुवराज :
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पुं०=युवराज।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुवा :
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वि०=युवा। पुं०=जूआ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुवान :
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पुं०=जवान।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुवानी :
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स्त्री=जवानी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुवार :
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स्त्री०=ज्वार। |
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समानार्थी शब्द-
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जुवारी :
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पुं०=जुआरी। |
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जुविराज :
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पुं०=युवराज।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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जुष्ट :
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वि० [सं०√जु (प्रीति सेवा)+क्त] १. प्रसन्न। २. सेवित। ३. जूठा। पुं०=जूठन। |
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समानार्थी शब्द-
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जुष्य :
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वि० [सं०√जुष्+क्यप्] तलाश। |
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समानार्थी शब्द-
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जुहाना :
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स० [सं० यूथ, प्रा० जूह+आना (प्रत्यय)] १. एकत्र करना। जुटाना। २. वास्तु-रचना में एक पत्थर या लकड़ी को ठीक तरह से दूसरे पत्थर या लकड़ी पर या उसके साथ जमाना या बैठाना। (बढ़ई और राज) ३. चित्र में प्रभाव या रमणीयता लाने के लिए आकृतियों को यथा-स्थान बैठाना। संयोजन करना। |
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समानार्थी शब्द-
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जुहार :
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स्त्री० [सं० अवहार=युद्ध का रुकना या बंद होना] १. राजपूतों में प्रचलित एक प्रकार का अभिवादन। २. अभिवादन। प्रणाम। स्त्री०–ज्वार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुहारना :
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अ० [हिं० जुहार] अभिवादन या प्रणाम करना। उदाहरण–मंत्री, मित्र कलत्र पुत्र सब आइ जुहारयो।- सं० [जीवहार] किसी से कुछ सहायता माँगना। किसी का एहसान लेना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुहावना :
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स०=जुहाना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुही :
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स्त्री० [सं० यूथी]=जूही। (एक पौधा और उसका सुंगधित फूल)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुहुराण :
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वि० [सं०√हुर्च्छ (कुटिलता)+सन्, द्वित्वादि, आनच्, सन्लुक् छलोप] कुटिल। पुं० चंद्रमा। |
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समानार्थी शब्द-
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जुहुवान :
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पुं० [सं०√हु (देना, लेना+कानच्] १. अग्नि। आग। २. पेड़। वृक्ष। ३. क्रूर या निष्ठुर व्यक्ति। |
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समानार्थी शब्द-
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जुहू :
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पुं० [सं०√हु+क्विप्] १. पलाश की लक़ड़ी का बना हुआ एक प्रकार का अर्द्ध चंद्राकार यज्ञ-पात्र। २. पूर्व दिशा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुहूर :
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पुं० [अ० जहूर] प्रकट या प्रत्यक्ष होने की अवस्था, क्रिया या भाव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुहू-राण :
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पुं० [सं० जुहू√रण् (शब्द करना)+अण्] १. अग्नि २. अध्यर्यु। ३. चंद्रमा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुहू-वाण :
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पुं० [सं० जुह्√वण् (शब्द करना)+अण्] दे० ‘जुहूराण’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुहूवान्(वत्) :
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पुं० [सं० जुहू+मतुप्] अग्नि। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुहोता :
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पुं०=होता। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुआघर :
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पुं=जूआ-खाना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुआ-चोर :
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पुं० [हिं० जूआ+चोर] [भाव० जूआचोरी] बहुत बड़ा ठग या धूर्त्त। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुटि :
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स्त्री० [सं० जुड्] १. जोड़ी। २. मेल। ३. संधि।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जुड़ना :
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अ०=जुड़ना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |