शब्द का अर्थ
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दायँ :
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स्त्री० [अनु०] बंदूक, तोप आदि छूटने का शब्द।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री०=दँवरी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दायँ :
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पुं० १.=दांव। २.=दाँज (बराबरी)। स्त्री० १.=दाई। २.=दवँरी। वि० दायाँ (दाहिना)। |
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समानार्थी शब्द-
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दाय :
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वि० [सं०√दा (देना)+घञ्] १. (धन या पदार्थ) जो किसी को दिया जाने को हो अथवा दिया जा सकता हो। २. जिसका दिया जाना आवश्यक या कर्तव्य हो। पुं० १. देने की क्रिया या भाव। दान। २. वह अवस्था जिसमें किसी को कुछ देना या किसी के लिए कुछ करना आवश्यक, उचित अथवा कर्त्तव्य हो। दायित्व। उदाहरण—सिर धुनि धुनि पछतात मीजि कर, कोउ न मीत हित दुसह दाय।—तुलसी। ३. ऐसा धन या संपत्ति जिसका बँटवारा या विभाजन उत्तराधिकारियों में होने को हो या न्यायतः होना उचित हो। ४. बँटवारा होने पर हिस्से में आने या मिलनेवाला धन या संपत्ति। ५. ऐसा धन या पदार्थ जो अनिवार्य रूप से किसी को मिलने को हो या मिल सकता हो। उदाहरण—और सिंगार म्हारे दाय न आवै।—मीराँ। ६. कन्या को उसके विवाह के समय दिया जानेवाला धन या पदार्थ। दहेज। दायजा। स्त्री०=दाई।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं० [सं० दायित्व] १. जिम्मेदारी। दायित्व। २. उत्तरदायित्व। जवाब-देही। जैसे—जमदाज-यमराज के सामने उपस्थित होनेवाला लेखा और उसका दिया जानेवाला उत्तर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) पुं० १. दाँव। २. दाव। |
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दायक :
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वि० [सं०√दा( दान)+ण्वुल्—अक] १. समस्तपदों के अंत में लगने पर देनेवाला। जैसे—सुखदायक, दुःखदायक, पिंडदायक। २. (कार्य) जिसमें आर्थिक दृष्टि से लाभ होता या हो रहा हो। (पेइन्ग) |
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दायज :
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पुं०=दायजा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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दायजा :
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पुं० [सं० दायसे फा०] दहेज। वह धन जो विवाह के उपरान्त कन्या को विदा करते समय अपने साथ ले जाने के लिए दिया जाता है। |
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दाय-भाग :
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पुं० [सं० ष० त०] १. धर्म-शास्त्र का वह अंश या विभाग जिसमें यह बतलाया गया है कि पिता अथवा पूर्वजों का धन उसके उत्तराधिकारियों अथवा संबंधियों में किस प्रकार और किन सिद्धान्तों के अनुसार बाँटा जाना चाहिए। २. पैतृक संपत्ति का वह अंश जो उक्त व्यवस्था के आधार पर किसी उत्तराधिकारी को मिले। उदाहरण—सोचो यह स्वार्थ क्या तुम्हारा दायभाग है ?—गुप्त। |
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दायम :
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अव्य० [अ० दाइम] सदा। हमेशा। |
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दायमी :
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वि० [अ० दाइमी] नित्य या सदा बना रहनेवाला। |
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दायमुलहब्स :
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पुं० [अ० दाइमुल हब्स] १. जन्म भर के लिए दी जानेवाली कैद की सजा। आजीवन कारावास का दंड। |
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दायर :
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वि० [अ० दाइर] १. घूमता या चलता-फिरता हुआ। २. जारी। प्रचलित। ३. (अभियोग या मुकदमा) जो निर्णय या विचार के लिए न्यायालय में उपस्थित किया गया हो। जैसे—किसी पर कोई मुकदमा दायर करना। |
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दायरा :
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पुं० [अ० दाइरः] १. गोल घेरा। २. वृत्त। ३. कक्षा। ४. मंडली। ५. क्रिया या व्यवहार का क्षेत्र। हल्का। ६. खँजड़ी, डफली आदि बाजे जिनमें मेंडरा लगा होता है। |
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दायाँ :
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वि०=दाहिना। |
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दाया :
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स्त्री० [फा० दायः] १. वह स्त्री जो दूसरों के बच्चों को अपना दूध पिलाकर पालती हो। २. बच्चा जनाने की विद्या जाननेवाली स्त्री। बच्चाजनाने वाली स्त्री। ३. नौकरानी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री०=दया।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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दायागत :
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वि० [सं० दाय-आगत, तृ० त०] जो दाय अर्थात् पैतृक संपत्ति के बँटवारे में मिला हो। पुं० पन्द्रह प्रकार के दायों में से वह जो दाय अर्थात् पैतृक संपत्ति के बँटवारे में मिला हो। |
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दायागरी :
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स्त्री० [फा० दायगरी] १. दाई का पेशा या काम। २. बच्चा जनाने की विद्या या वृत्ति। धात्रीकर्म। |
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दायाद :
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वि० [सं० दाय+आ√दा (देना)+क] [स्त्री० दायादा] जो दाय का अधिकारी हो। जिसे पैतृक संबंध के कारण किसी की जायदाद में हिस्सा मिले। पुं० १. कुटुंब का ऐसा व्यक्ति जो संपत्ति के उक्त प्रकार के बँटवारे में हिस्सा पाने का अधिकारी हो। सपिंड। कुटुँबी। पुत्र। बेटा। |
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दायादा :
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स्त्री० [सं० दायाद+टाप्] १. उत्तराधिकारिणी। २. कन्या। |
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दायादी :
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स्त्री० [सं० दाय√अद् (भक्षण)+अण्+ङीप्] कन्या। पुं० ऐसा संबंधी जो पैतृक संपत्ति में हिस्सा बँटवा सकता हो। दायाधिकारी। स्त्री० लोगों में परस्पर उक्त प्रकार का संबंध होने की अवस्था या भाव। |
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दायाद्य :
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पुं० [सं० दायाद+ष्यञ्] वह संपत्ति जिस पर सपिंड कुटुंबियों का अधिकार माना जाय या माना जा सकता हो। |
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दायाधिकारी :
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पुं० [सं० दाय-अधिकारिन्, ष० त०] वह जो किसी का उत्तराधिकारी होने के नाते उसकी संपत्ति का कुछ अंश पाने का न्यायतः अधिकारी हो। उत्तराधिकारी। वारिस। (हेयर) |
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दायापवर्तन :
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पुं० [सं० दाय-अपवर्त्तन, ष० त०] किसी जायदाद में मिलनेवाले हिस्से की जब्ती। |
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दायित :
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भू० कृ० [√दय् (देना)+णिच्+क्त] १. दिलाया हुआ। २. दाम के रूप में सदा के लिए दिलाया हुआ। |
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दायित्व :
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पुं० [सं० दायिन्+त्व] १.दायी (जबावदेह) होने की अवस्था या भाव। जिम्मेदारी। (ऑब्लिगेशन) २. देनदार होने की अवस्था या भाव। (लायबिलिटी) |
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दायिनी :
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वि०, स्त्री० [सं० दायिन्+ङीप्] सं० दायी का स्त्री रूप। देनेवाली। जैसे—जन्मदायिनी, सुखदायिनी। |
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दायी (यिन्) :
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वि० [सं०√दा+णिनि] [स्त्री० दायिनी] १. देनेवाला। (व्यक्ति) जिस पर किसी कार्य या बात का दायित्व या जबावदेही हो। जैसे—इस गड़बड़ी के लिए आप ही दायी है। |
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दायें :
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क्रि० वि० [हिं० दायाँ] दाहिनी ओर। दाहिने। मुहा० के लिए दे० दाहिना के मुहा०। |
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दायोपगतदास :
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पुं० [सं० दाय-उपगत, तृ० त० दायोपगत-दास, कर्म० स०] वह दास जो बँटवारे में मिला हो। |
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