शब्द का अर्थ
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द्यू :
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पुं० [सं०√दिव् (क्रीड़ा)+क्विप्, ऊठ्] जूआ खेलनेवाला। जुआरी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
द्यूत :
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पुं० [सं०√दिव्+क्त,ऊठ्] ऐसा खेल जिसमें दाँव पर धन लगाया जाय और उसकी हार-जीत हो। जूआ। |
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द्यूत-कर, द्यूतकार :
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वि० [सं० ष० त० द्यूत√कृ (करना) +अण्] जूआ खेलनेवाला। जुआरी। |
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द्यूत-दास :
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पुं० [मध्य० स०] [स्त्री० द्यूतदासी] जूए में जीतकर प्राप्त किया हुआ व्यक्ति, जिसे अपने विजेता का दास बनकर रहना पड़ता था। |
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द्यूत-पूर्णिमा :
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पुं० [च० त०] आश्विन की पूर्णिमा। कोजागरी। प्राचीन काल में लोग इस रोज रात भर जागकर जूआ खेलते थे। |
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द्यूत-फलक :
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पुं० [ष० त०] वह चौकी या तख्ता जिस पर बिसात बिछाई जाती थी और कौड़ी या पासा फेंका जाता था। |
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द्यूत-बीज :
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पुं० [ष० त०] जूआ खेलने की कौड़ी। |
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द्यूत-भूमि :
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स्त्री० [ष० त०] जूआ खेलने का स्थान। जुआरियों का अड्डा। |
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द्यूत-मंडल :
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पुं० [ष० त०] १. जुआरियों की मंडली। २. वह स्थान जहाँ बैठकर लोग जूआ खेलते हों। जूआखाना। |
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द्यूत-समाज :
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पुं० [ष०त०] जुआरियों का जमघट। |
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द्यूताभियोग :
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पुं० [द्यूत-अभियोग ष० त०] जूआ खेलने के अपराध में चलाया जानेवाला अभियोग या मुकदमा। |
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द्यूतावास :
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पुं० [द्यूत-आवास, ष० त०] जूआखाना। |
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द्यूति-प्रतिपदा :
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स्त्री० [सं० द्यूतप्रतिपत्] कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा जिस दिन लोग जूआ खेलते हैं। |
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द्यून :
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पुं० [सं०√दिव्+क्त, ऊठ्, नत्व] जन्म-कुंडली में लग्न स्थान से सातवीं राशि। |
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