शब्द का अर्थ
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नाग :
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पुं० [सं० नग=पर्वत+अण्] [स्त्री० नागिन] १. सर्प। साँप। २. काले रंग का, बड़ा और फनवाला साँप। करैत। मुहा०—नाग खेलाना=नागों या साँपों को खेलाने की तरह का ऐसा विकट काम करना जिससे प्राण जाने का भय हो। ३. पुराणानुसार पाताल में रहनेवाला एक उप-देवता जिसका ऊपरी आधा भाग मनुष्य का और नीचेवाला आधा भाग साँप का कहा गया है। ४. कद्रु से उत्पन्न कश्यप की संतान जिनका निवास पाताल में माना गया है। इनके वासुकि, तक्षक, कुलक, कर्कोटक, पद्म, शंख, चूड़, महापद्म और धनंजय ये आठ कुल हैं। ५. एक प्राचीन देश। ६. उक्त देश में बसनेवाली एक प्राचीन जाति। विशेष–नाग जाति संभवतः भारत के उत्तर में और हिमालय के उस पार रहती थी,क्योंकि तिब्बतवाले अपने आपको नाग-वंशी कहते हैं। महाभारत काल तक ये लोग भारत में आ गये थे। और उत्तर भारतीय आर्यों से इनका बहुत वैमनस्य था। इसी लिए जनमेजय ने बहुत से नागों का नाश किया था। बाद में ये लोग मध्यभारत में आ कर फैल गए थे; जहाँ नागपुर, छोटा नागपुर आदि नगर और प्रदेश इनके नाम की स्मृति के रूप में अब तक अवशिष्ट हैं। ये लोग नागों (बड़े बड़े फनदार साँपों) की पूजा करते थे। इसी से इनका यह नाम पड़ा था। बंगाल में अब तक हिंदुओं में ‘नाग’ एक जाति का नाम मिलता है। ७. एक प्राचीन पर्वत। ८. हाथी। ९. एक प्रकार की घास। १॰. नागकेसर। ११. पुन्नाग। १२. नागर-मोथा। १३. तांबूल। पान। १४. सीसा नामक धातु। १५. ज्योतिष के करणों मे से तीसरा, करण जिसे ‘ध्रुव’ भी कहते हैं। १६. बादल। मेघ। १७. दीवार में लगी हुई खूँटी। १८. कुछ लोगों के मत से सात की और कुछ के मत से आठ की संख्या। १९. आश्लेषा नक्षत्र का एक नाम। २॰. शरीर में रहनेवाले पाँच प्राणों या वायुओं में से एक जिससे डकार आता है। वि० १. (व्यक्ति) जो बहुत अधिक क्रूर घातक और दुष्ट हो। २. यौ० के अंत में, सब में श्रेष्ठ। जैसे–पुरुष नाग। |
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नाग-कंद :
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पुं० [ब० स०] हस्तिकंद। |
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नाग-कन्या :
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स्त्री० [ष० त०] नाग जाति की बालिका या स्त्री। |
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नाग-कर्ण :
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पुं० [ष० त०] १. हाथी का कान। २. एरंड या रेंड जिसका पत्ता हाथी के कान के आकार का होता है। |
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नाग-किंजल्क :
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पुं० [ब० स०] नागकेसर। |
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नाग-कुमारिका :
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स्त्री० [ष० त० ] १. गुरुच। गिलोय। २. मजीठ। ३. नाग-कन्या। |
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नाग-केसर :
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पुं० [ब० स०] एक सदाबहार वृक्ष और उसके सुगंधित फूल। इसके बीजों की गिनती गंध द्रव्यों में होती है। |
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नाग-खंड :
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पुं० [मध्य० स०] पुराणानुसार जंबू द्वीप के अंतर्गत भारतवर्ष के नौ खंडों में से एक खंड। |
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नाग-गंधा :
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स्त्री० [ब० स०, टाप्] नकुलकंद। |
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नाग-गति :
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स्त्री० [सं०] किसी ग्रह की अश्विनी भरणी और कृतिका नक्षत्रों से होकर निकलने की अवस्था या गति। |
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नाग-गर्भ :
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पुं० [ब० स०] सिंदूर। |
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नाग-चंपा :
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पुं० [सं०] नागकेसर (पेड़ और उसका फूल)। |
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नाग-चूड़ :
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पुं० [ब० स०] शिव। |
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नागच्छत्रा :
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स्त्री० [सं०] नागदंती (वृक्ष)। |
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नागज :
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वि० [सं० नाग√जन् (उत्पत्ति)+ड] नाग से उत्पन्न। पुं० १. सिंदूर। २. राँगा। |
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नाग-जिह्वा :
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स्त्री० [सं० ष० त०] १. अनंतमूल। २. सारिवा। |
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नाग-जिह्विका :
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स्त्री० [ब० स० कप्, टाप्, इत्व] मैनसिल नामक खनिज द्रव्य। |
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नाग-जीवन :
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पुं० [ब० स०] फूँका हुआ राँगा। |
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नाग-झाग :
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पुं० [सं० नाग+हिं० झाग] १. साँप की लार। अहिफेन। २. अफीम। |
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नाग-दंत :
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पुं० [ष० त०] १. हाथी दांत। २. [नागदन्त+अच्] दीवार पर गड़ी हुई खूँटी। |
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नाग-दंतिका :
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स्त्री० [ब० स०, कप्, टाप्, इत्व] वृश्चिकाली नामक पौधा। |
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नाग-दंती :
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स्त्री० [ब० स०, ङीष्] कुंभा नामक औषधि। |
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नाग-दमन :
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पुं० [ष० त०] नागदौना (पौधा)। |
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नाग-दमनी :
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स्त्री०=नागदमन (नागदौना)। |
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नागदला :
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पुं० [सं० नाग-दल] एक प्रकार का बड़ा पेड़ जिसकी लकड़ी बहुत कड़ी और मजबूत होती है और पानी में भी जल्दी नहीं सड़ती। इसलिए इसकी लकड़ी से नावें बनती हैं। इसके बीजों का तेल जलाने के काम आता है। |
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नागदुमा :
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वि० [सं० नाग+फा० दुम] जिसकी दुम या पूँछ नाग के फन के समान हो। पुं० उक्त प्रकार की दुमवाला हाथी जो ऐबी माना जाता है। |
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नागदौन :
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पुं० [सं० नागदमन] १. छोटे आकार का एक पहाड़ी पेड़। २. एक प्रकार का पौधा जिसमें डालियाँ नहीं होतीं, केवल हाथ-हाथ भर लंबे-लंबे पत्ते होते हैं जो देखने में साँप के फन की तरह होते हैं। कहते हैं कि इसके पास भी साँप नहीं आता। ३.एक प्रकार का कँटीला पेड़ जिसकी सूखी पत्तियां लोग कागजों और कपड़ों की तहों में उन्हें कीड़ों से बचाने के लिए रखते हैं। |
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नाग-द्रु (द्रुम) :
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पुं० [मध्य० स०] १. सेंहुड़। थूहर। २. नागफनी। |
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नाग-द्वीप :
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पुं० [मध्य० स०] भारतवर्ष के नौ खंडों में से एक खंड। (विष्णु पुराण)। |
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नाग-धर :
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वि० [ष० त०] नाग को धारण करनेवाला। पुं० शिव। |
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नाग-ध्वनि :
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स्त्री० [सं०] मल्लार और केदार या सूहा अथवा कान्हड़े और सारंग के योग से बनी हुई एक संकर रागिनी। |
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नाग-नक्षत्र :
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पुं० [मध्य० स०] आश्लेषा नक्षत्र। |
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नाग-नग :
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पुं० [सं० नाग+हिं० नग]=गज मुक्ता। |
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नाग-नामक :
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पुं० [ब० स०, कप्] रांगा। |
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नाग-नामा (मन्) :
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पुं० [ब० स०] तुलसी। |
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नाग-पंचमी :
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स्त्री० [मध्य० स०] श्रवण शुक्ला पंचमी के जिस दिन नागों की पूजा करने का विधान है। |
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नाग-पति :
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पुं० [ष० त०] १. साँपों के राजा, वासुकि। २. हाथियों के राजा, ऐरावत। |
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नाग-पत्रा :
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स्त्री० [ब० स०, टाप्]=नागदमनी (नागदौना)। |
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नाग-पत्री :
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स्त्री०[ब० स०, ङीष्] लक्ष्मणा (कंद)। |
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नाग-पद :
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पुं० [सं०] एक प्रकार का रतिबंध जो सोलह रतिबंधों में से दूसरा माना जाता है। |
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नाग-पर्णी :
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स्त्री० [ब० स०, ङीष्] पान। |
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नाग-पाश :
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पुं० [उपमि० स०] १. वरुण का एक अस्त्र जिससे वे शत्रुओं को लपेटकर उसी प्रकार बाँध लेते थे जिस प्रकार नाग या सांप किसी चीज को अपने शरीर से लपेटकर बाँध लेता है। २. सर्पों का फंदा जो किसी चीज के चारों ओर अपना शरीर लपेटकर बनाते हैं ३. डोरी आदि का ढाई फेर का फंदा। नाग-बंध। |
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नाग-पुर :
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पुं० [ष० त०] १. नागों का पुर, पाताल। २. हस्तिना नामक पुर जहाँ पर्वत के रूप में स्वलील दानव ने गंगा का मार्ग रोका था। |
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नाग-पुष्प :
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पुं० [ब० स०] १. नागकेसर। २. पुन्नाग। ३. चंपा। |
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नाग-पुष्पिका :
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स्त्री० [ब० स० कन्, टाप्, इत्व] १. पीली जूही। २. नागदौन। |
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नाग-पुष्पी :
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स्त्री० [ब० स०, ङीष्] १. नागदौन। २. मेढ़ा सींगी। |
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नागपूत :
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पुं० [सं० नागपुत्र कचनार की जाति की एक प्रकार की लता। |
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नागफनी :
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स्त्री० [हिं० नाग+फन] १. थूहर की जाति का एक प्रसिद्ध पौधा जिसमें टहनियाँ नहीं होतीं, केवल सांप के फन के आकार के मोटे गूदेदार दल एक दूसरे के ऊपर निकलते जाते हैं। इन दलों में बहुत से काँटे होते हैं जिनसे किसी स्थान को घेरने के लिए इसकी बाढ़ लगाई जाती है। २. नागफनी के दल के आकार की एक प्रकार की कटार जिसकी फल आगे की ओर चौड़ा और पीछे की ओर पतला होता है। ३. नरसिंघे की तरह का एक प्रार का नेपाली बाजा। ४. कान में पहनने का एक प्रकार का गहना। ५. वह कौपीन या लँगोटी जो नागा साधु पहनते या बाँधते हैं। |
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नाग-फल :
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पुं० [ब० स०] परवल। |
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नागफाँस :
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पुं० [सं० नाग+हिं० फाँस ] नाग-पाश। (दे०) |
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नाग-फेन :
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पुं० [ष० त०] १. सांप की लार। २. अफीम। |
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नाग-बंध :
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पुं० [उपमि० स०] किसी चीज को लपेटकर बाँधने का वह विशेष प्रकार जो प्रायः वैसा ही होता है जैसा नाग का किसी जीव-जंतु या वृक्ष आदि को अपने शरीर से लपेटने का होता है। उदा०–सेस नाग कौ नाग-बंध तापर कसि बाँध्यौ।–रत्ना०। |
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नाग-बंधु :
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पुं० [ष० त०] पीपल का पेड़। |
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नाग-बल :
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वि० [ब० स०] हाथी की तरह बलवान्। पुं० भीम। |
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नाग-बला :
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स्त्री० [ब० स०, टाप्] गँगेरन। |
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नागबेल :
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स्त्री० [सं० नागवल्ली ] १.पान की बेल। पान। २. किसी चीज पर बनाई जानेवाली वह लहरियेदार बेल जो देखने में साँप की चाल की तरह जान पड़े। ३. घोड़े आदि पशुओं की टेढ़ी-तिरछी चाल। |
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नाग-भगिनी :
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स्त्री० [ष० त०] जरत्कारु (वासुकि की बहन)। |
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नाग-भिद् :
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पुं० [नाग√भिद् (विदारण)+क्विप्] १. सर्पों की एक जाति। २. उक्त जाति का सर्प, जो बहुत ही जहरीला और भीषण होता है। |
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नाग-भूषण :
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पुं० [ब० स०] शिव। |
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नागमंडलिक :
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पुं० [सं० नाग-मंडल, ष० त०+ठन्–इक] सँपेरा। |
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नागमरोड़ :
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पुं० [हिं० नाग+मरोड़ना] कुश्ती का एक पेंच जिसमें प्रतिद्वंद्वी को अपनी गर्दन के ऊपर या कमर से एक हाथ से घसीटते हुए गिराते हैं। |
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नाग-मल्ल :
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पुं० [सं० त०] ऐरावत। |
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नाग-माता (तृ) :
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स्त्री० [ष० त०] १. नागों की माता, कद्रु। २. सुरसा नाम की राक्षसी। ३. मनसा देवी। ४. मैनसिल। |
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नाग-मार :
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पुं० [नाग√मृ (मरना)+णिच्+अच्] काला भँगरा। |
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नाग-मुख :
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पुं० [ब० स०] गणेश। |
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नाग-यष्टि :
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स्त्री० [मध्य० स०] तालाब के बीचोबीच गढ़ा हुआ लकड़ी या पत्थर का खंभा। |
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नाग-रंग :
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पुं० [ब० स०] नारंगी। |
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नागर :
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वि० [सं० नगर+अण्] [स्त्री० नागरी, भाव० नागरता] १. नगर-संबंधी। नगर का। (अर्बन) २. नगरवासियों में होने अथवा उनसे संबंध रखनेवाला। (सिविल)। जैसे–नागर अधिकार। (सिविल राइट) नगरपालिका, महापालिका या नगर परिषद् से संबंध रखनेवाला। (म्युनिस्पल) जैसे–नागर निधि। (म्युनिस्पल फंड) ४. नागरिकों और उनके अधिकारों तथा कर्तव्यों से संबंध रखनेवाला। (सिविक) ५. चतुर। होशियार। पुं० १. नगर में रहनेवाला व्यक्ति। नागरिक। २. चतुर, शिष्ट, और सभ्य व्यक्ति। ३.विवाहिता स्त्री का देवर। ४. सोंठ। ५. नागर मोथा। ६. नारंगी। ७. गुजरात प्रदेश में रहनेवाले ब्राह्मणों की एक जाति। ८. नागरी लिपि का कोई अक्षर। पुं० [?] दीवार का टेढ़ापन। |
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नागरक :
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पुं० [सं० नगर+वुञ्–अक] १. नगर का प्रबंध या शासन करनेवाला अधिकारी। २. कारीगर। शिल्पी। ३. चोर। ४. कामशास्त्र में एक प्रकार का आसन या रतिबंध। ५. सोंठ। वि०=नागर। |
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समानार्थी शब्द-
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नाग-रक्त :
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पुं० [मध्य० स०] १. सर्प का रक्त। २. हाथी का रक्त। ३. सिंदूर। |
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नागर-धन :
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पुं० [मयू० स०] नागर मोथा। |
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समानार्थी शब्द-
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नागरता :
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स्त्री० [सं० नागर+तल्–टाप्] नागर होने की अवस्था, गुण या भाव। (सिटिजनशिप) २. आचार, व्यवहार आदि का वैसा सभ्यतापूर्ण और शिष्ट प्रकार जैसा साधारणतः सिक्षित और सभ्य नगरवासियों में प्रचलित हो। (सिविलिटी) ३. चतुरता। ४. दे० नागरिकता’। |
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समानार्थी शब्द-
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नागरनट :
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पुं०=नटनागर। |
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समानार्थी शब्द-
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नागर-बेल :
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स्त्री० [सं० नागवल्ली] पान की बेल। |
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समानार्थी शब्द-
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नागर-मुस्ता :
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स्त्री० [उपमि० स०]=नागरमोथा। |
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समानार्थी शब्द-
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नागरमोथा :
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पुं० [सं० नागरोत्थ] एक प्रकार का तृण जिसकी पत्तियाँ मूँज या सर की पत्तियों की तरह होती और दवा के काम आती हैं। |
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समानार्थी शब्द-
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नाग-राज :
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पुं० [ष० त०] १. बहुत बड़ा सर्प। २. शेषनाग। ३. ऐरावत। ४. नराच या पंचामर चंद का एक नाम। |
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समानार्थी शब्द-
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नागराह्वन :
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पुं० [सं० नागर-आह्वा, ब० स०] सोंठ। |
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समानार्थी शब्द-
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नागरिक :
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वि० [सं० नगर+ठञ्–इक] [भाव० नागरिकता] १. (व्यक्ति) जिसने नगर में जन्म लिया हो और नगर में ही जिसका पालन-पोषण हुआ हो। २. चतुर। चालाक। पुं० किसी राज्य में जन्म लेनेवाला वह व्यक्ति जिसे उस राज्य में रहने, नौकरी या व्यापार आदि करने, संपत्ति रखने तथा स्वतन्तत्रापूर्वक अपने विचार आदि प्रकट करने के अधिकार जन्म से ही स्वतः प्राप्त होते हैं। (सिटिजन) विशेष–अन्य राज्यों में जन्म लेनेवाले व्यक्ति भी कुछ विशिष्ट अवस्थाओं में तथा कुछ विशिष्ट शर्तें पूरी करने पर किसी दूसरे राज्य के नागरिक बन सकते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नागरिकता :
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स्त्री० [सं० नागरिक+तल्–टाप्] १. नागरिक होने की अवस्था, पद या भाव। २. नागरिक होने पर प्राप्त होनेवाले अधिकार तथा सुविधाएँ। |
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समानार्थी शब्द-
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नागरिक-शास्त्र :
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पुं० [ष० त० या मध्य० स०] वह शास्त्र जिसमें नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों का उल्लेख और उसके देश, जाति आदि के परस्पर संबंधों पर विचार होता है। (सिविक्स) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नाग-रिपु :
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पुं० [ष० त०] शेर। सिंह। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नाग-रिपुछाला :
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स्त्री० दे० ‘बाघंबर।’ |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नागरी :
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स्त्री० [सं० नागर+ङीष्] १. नगर की रहनेवाली स्त्री। शहर की औरत। २. चतुर या होशियार स्त्री। ३. पशु आदि की मादा। जैसे–नाग-नागरी=हथिनी। ४. थूहर। ५. पत्थर की मोटाई नापने की एक नाप। ६. पत्थर का बहुत बड़ा और मोटा चौकोर टुकड़ा। ७. देव-नागरी नाम की लिपि। दे० ‘देवनागरी’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नागरीट :
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पुं० [सं० नागरी√इट् (गति)+क०] १. कामुक और व्यसनी पुरुष। २. स्त्री का उपपति। जार। ३. विवाह करानेवाला व्यक्ति। घटक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नागरुक :
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पुं० [सं० नाग√रु (गति)+क बा०] नारंगी (वृक्ष और फल)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नाग-रेणु :
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पुं० [ष० त०] सिंदूर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नागरेयक :
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वि० [सं० नगर+ठकञ्—एय] १. जो नगर में उत्पन्न हुआ हो। २. नागरिक संबंधी। जैसे–नागरेयक अधिकार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नागरोत्थ :
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पुं० [सं० नागर-उद्√स्था (स्थिति)+क] नागरमोथा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नागर्य्थ :
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पुं० [सं० नागर+ष्यञ्] १. नागरता। २. नगरवासियों की सी चतुराई या चालाकी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नागल :
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पुं० [देश०] १. हल। २. वह रस्सी जिससे बैल जूए में जोड़े या बाँधे जाते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नाग-लता :
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स्त्री० [उपमि० स०] पान की बेल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नाग-लोक :
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पुं० [ष० त०] नागों का देश, पाताल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नाग-वंश :
|
पुं० [ष० त०] १. नागों का वंश। २. शक जाति की एक शाखा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नागवंशी (शिन्) :
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वि० [सं० नागवंश+इनि] १. नागवंश में उत्पन्न २. नागवंश-संबंधी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नाग-वल्लरी :
|
स्त्री० [उपमि० स०] पान। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नाग-वल्ली :
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स्त्री० [उपमि० स०] पान की लता। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नाग-वारिक :
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पुं० [सं० नाग-वार, ष० त०+ठक्–इक] १. राज-कुंजर। २. हाथियों का झुंड। 3. महावत ४. गरुड़। ५.मोर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नाग-वीथी :
|
स्त्री० [ष० त०] १. चन्द्रमा के मार्ग का वह अंश जिसमें अश्विनी, भरणी, और कृत्तिका नक्षत्र पड़ते हैं। २. कश्यप की एक पुत्री। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नाग-वृक्ष :
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पुं० [मध्य० स०] नागकेसर नामक पेड़। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नाग-शत :
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पुं० [ब० स०] एक प्राचीन पर्वत। (महाभारत) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नाग-शुंडी :
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स्त्री० [सं० नाग-शुंड, ष० त०,+अच्–ङीष्] एक प्रकार की ककड़ी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नाग-शुद्धि :
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स्त्री० [ष० त०] मकान की नींव रखते समय इस बात का रखा जानेवाला ध्यान कि कहीं पहला आघात सर्प के मस्तक या पीठ पर न पड़े। विशेष–फलित ज्योतिष में, विशिष्ट समयों में सर्प का मुख निश्चित दिशाओं में माना जाता है। भादों, कुआर और कार्तिक में पूरब की ओर अगहन, पूस और माघ में दक्षिण की ओर आदि आदि सर्प का मुख होता है। कहते हैं कि सर्प के मस्तक पर पहला आघात लगने से स्वामिनी की मृत्यु होती है। पेट पर होनेवाला आघात शुभ माना जाता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नाग-संभव :
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पुं० [ब० स०] १. सिंदूर। २. एक प्रकार का मोती। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नाग-संभूत :
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पुं० [पं० त०]=नाग-संभव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नाग-साह्वय :
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पुं० [ब० स०] हस्तिनापुर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नाग-सुगंधा :
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स्त्री० [ब० स०, टाप्] एक प्रकार की रास्ना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नाग-स्तोकक :
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पुं० [सं०] वत्सनाभ नामक विष। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नाग-स्फोता :
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स्त्री० [उपमि० स०] १. नागदंती। २. दंतीवृक्ष। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नाग-हनु :
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पुं० [ष० त०] नख नामक गंध द्रव्य। |
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समानार्थी शब्द-
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नागांग :
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पुं० [नाग-अंग, ब० स०] हस्तिनापुर। |
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नागांगना :
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स्त्री० [ना-गअंगना, ष० त०] हथिनी। |
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नागांचला :
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स्त्री० [नाग-अंचल, ब० स०, टाप्०] नाग-यष्टि। |
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नागांजना :
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स्त्री० [नाग-अंजन, ब० स०, टाप्] १. नागयष्टि। २. हथिनी। |
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नागांतक :
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वि० [नाग-अंतक, ष० त०] नागों का अंत या नाश करनेवाला। पुं० १. गरुड़। २. मोर। ३. सिंह। |
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नागा :
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वि० [सं० नग्न] १. नंगा २. खाली। रहित। रीता। उदा०–नागे हाथ ते गए जिनके लाख करोड़।–कबीर। पुं० १. शैव साधुओं का एक प्रसिद्ध संप्रदाय। २. उक्त संप्रदाय के साधु जो प्रायः बिलकुल नंगे रहते हैं। पुं० [सं० नाग] १. असम देश की एक पर्वत-माला। २. एक प्रकार की अर्द्ध-सभ्य जंगली जाति जो उक्त पर्वत-माला पर रहती है। पुं० [तुं० नागः] १. वह दिन जिसमें कोई व्यक्ति अपने काम पर उपस्थित न हुआ हो। जैसे–नौकर ने इस महीने में चार नागे किये हैं। २. वह दिन जिमसें परम्परा आदि के कारण कोई काम नहीं किया जाता अथवा काम पर उपस्थित नहीं हुआ जाता। जैसे–रविवार को प्रायः नौकर नागा करते हैं। ३. वह दिन जिसमें कोई नित्य किया जानेवाला काम छूट या रह जाय। जैसे–पढ़ाई का नागा, दूकान का नागा। ४. अनवधान के कारण होनेवाली चूक या व्यतिक्रम। उदा०–नागा करमन कौ करत दुरि छिपि छिपि।–सेनापति। क्रि० प्र०–करना।–देना।–पड़ना। |
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नागाख्य :
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पुं० [नाग-आख्या, ब० स०] नागकेसर। |
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नागानंद :
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पुं० [सं०] हर्ष का एक प्रसिद्ध नाटक। |
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नागानन :
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पुं० [नाग-आनन, ब० स०] गणेश। |
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नागाभिभू :
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पुं० [सं०] महात्मा बुद्ध। |
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नागाराति :
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वि०, पुं० [नाग-आरति, ष० त०]=नागांतक। |
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नागारि :
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पुं० [नाग-अरि, ष० त०]=नागांतक। |
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नागार्जुन :
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पुं० [सं०] एक प्रसिद्ध बौद्ध चिंतक जो माध्यमिक शाखा के प्रवर्तक और बौद्ध धर्म के प्रचारक थे और जिन्होंने बौद्ध धर्म को दार्शनिक रूप दिया था। इनका समय ईसा से लगभग १00 वर्ष अथवा ईशवी पहली शती के आस-पास माना गया है। |
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नागार्जुनी :
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स्त्री० [सं०] दुद्धी नाम की घास। |
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नागालाबु :
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पुं० [नाग-अलाबु, उपमि० स०] गोल कद्दू। |
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नागाशन :
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वि० [नाग-अशन, ष० त०] नागों का नाशक। पुं० १. गरुण। २. मोर। ३. सिंह। शेर। |
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नागाश्रय :
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पुं० [नाग-आश्रय, ष० त०] हस्तिकंद। |
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नागाह्व :
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पुं० [ब० स०]नागकेसर (वृक्ष और फूल)। |
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नागाह्वा :
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स्त्री० [सं० नाग-आह्व√हवे (स्पर्धा)+अच्–टाप्] लक्ष्मणकंद। |
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नागिन :
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स्त्री० [सं०] १. नाग जाति की स्त्री। २. नाग (सर्प) की मादा। ३. बोलचाल में दूसरों का अपकार, अहित आदि करनेवाली दुष्ट और निष्ठुर स्त्री। ४. मनुष्यों, पशुओं आदि की गरदन या पीठ पर होनेवाली एक प्रकार की भौंरी या लंबी रोमावली जो बहुत ही अशुभ मानी जाती है। |
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नागिनी :
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स्त्री०=नागिन। |
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नागो (गिन्) :
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पुं० [नाग+इनि] शिव। महादेव। स्त्री० सं० [‘नाग’ की स्त्री०] हथिनी। |
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नागुला :
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पुं० [सं० नकुल] १. नेवला। २. नाकुली नाम की वनस्पति। |
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नागेंद्र :
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पुं० [नाग-इंद्र, ष० त०] १. बहुत बड़ा साँप। २. वासुकि, शेष आदि नाग। ३. बहुत बड़ा हाथी। ४. ऐरावत। |
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नागेश :
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पुं० [नाग-ईश, ष० त०] १. नागेश। शेषनाग। २. वैद्यक में एक प्रकार का रसौषध। |
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नागेसर :
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पुं० १.=नागकेसर। २.=नागेश्वर। |
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नागेसरी :
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वि० [हिं० नागेसर] नागकेसर के रंग का। पुं० उक्त प्रकार का रंग। |
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नागोद :
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पुं० [सं०] लोगे का तवे के आकार का वह उपकरण, जिसे प्राचीन काल में योद्धा छाती पर बाँधते थे। पुं०=नागौद।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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नागोदर :
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पुं० [नाग-उदर, ब० स०, कप-टाप् इत्व] एक प्रकार का दस्ताना जो युद्ध में हाथ की रक्षा के लिए पहना जाता था। (कौ०) |
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नागोद्भेद :
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पुं० [नाग-उद्भेद, ब० स०] मेरु पर्वत का एक स्थान जहां सरस्वती की गुप्त धारा ऊपर देखाई पड़ती है। |
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नागौद :
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पुं० [हिं० नव+नगर] मारवाड़ के अंतर्गत एक नगर जहाँ की गौएँ और बैल बहुत प्रसिद्ध हैं। |
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नागौर :
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पुं०=नागौद। वि०=नागौरा। |
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नागौरा :
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वि० [हिं० नागौद] [स्त्री० नागौरी] १. नागौद या नागौर नाम नगरी से संबंध रखनेवाला। २. अच्छी या बढ़िया जाति या नसल का (चौपाया)। |
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नागौरी :
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वि० [हिं० नागौद] १. नागौर का। २. अच्छी जाति या नसल का (चौपाया)। जैसे नागौरी जाति का बैल। पुं० नागौर का बैल। स्त्री० १. नागौर की गाय। २. छोटी टिकिया की तरह की एक प्रकार की फूली हुई पूरी। (पकवान) |
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