शब्द का अर्थ
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पठ :
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स्त्री० [हिं० पट्ठा] वह जवान बकरी जो ब्यायी न हो। पाठ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पठक :
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वि० [सं०] पढ़नेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
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पठन :
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पुं० [सं०√पठ् (पढ़ना)+ल्युट्—अन] पढ़ने की क्रिया या भाव। पढ़ना। पद—पठन-पाठन=पढ़ना और पढ़ाना। |
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पठनीय :
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वि० [सं०√पठ्+अनीयर्] (ग्रंथ या पाठ) जो पढ़ने के योग्य हो या पढ़ा जाने को हो। पाठ्य। |
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पठनेटा :
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पुं० [हिं० पठान+एता=बेटा (प्रत्य०)] पठान का बेटा। पठान जाति का पुरुष। |
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पठवना :
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स०=पठाना (भेजना)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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पठवाना :
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स० [हिं० पठाना का प्रे०] पठाने या भेजने का काम दूसरे से कराना। दूसरे को पठाने या भेजने में प्रवृत्त करना। भेजवाना। |
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पठान :
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पुं० [फा० पुख्तोन] [स्त्री० पठानिन,पठानी] १. पुख्तो या पश्तो भाषा बोलनेवाला व्यक्ति। २. उक्त भाषा बोलनेवाली एक प्रसिद्ध जाति जो अफगानिस्तान-पख्तूनिस्तान प्रदेश में रहती है। ३. पख्तूनिस्तान का नागरिक या निवासी। |
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पठाना :
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स० [सं० प्रस्थान,प्रा० पट्ठान] रवाना करना। भेजना। |
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पठानिन :
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स्त्री० हिं० ‘पठान’ का स्त्री०। |
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पठानी :
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वि० [हिं० पठान] १. पठानों का। पठान संबंधी। जैसे—पठानी राज्य। स्त्री० पठान होने की अवस्था या भाव। स्त्री० हिं० ‘पठान’ का स्त्री०। |
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पठानी लोध :
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स्त्री० [सं० पट्टिका लोध्र ] कुमाऊँ, गढ़वाल आदि प्रदेश में होनेवाला एक जंगली वृक्ष जिसकी लकड़ी और फूल औषध और पत्तियाँ तथा छाल रंग बनने के काम में आती हैं। |
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पठार :
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पुं० [देश०] एक पहाड़ी जाति। पुं० [सं० पृष्ट+धार] भूगोल में, वह ऊँचा विस्तृत मैदान जो समीपवर्ती निचले प्रदेशों में ढालुएँ अंश से मिला रहता है तथा जिसका ऊपरी भाग बहुत अधिक चौड़ा और चपटा होता है। (प्लेटो) |
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पठावन :
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पुं० [हिं० पठाना] १. पठाने अर्थात् भेजने की क्रिया या भाव। २. व्यक्ति, जो इस प्रकार भेजा जाय। ३. संदेशवाहक। दूत। |
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पठावनी :
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स्त्री० [हिं० पठाना] १. किसी को कहीं पठाने अर्थात् भेजने की क्रिया या भाव। किसी को कहीं कोई वस्तु या संदेश पहुँचाने के लिए भेजना। क्रि० प्र०—आना।—जाना।—भेजना। |
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पठावर :
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स्त्री० [देश०] एक प्रकार की घास। |
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पठित :
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भू० कृ० [सं०√पठ्+क्त] १. (ग्रंथ या पाठ) जो पढ़ा जा चुका हो। २. (व्यक्ति) जो पढ़ा-लिखा हो। शिक्षित। (असिद्ध प्रयोग)। |
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पठियर :
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स्त्री० [हिं० पाटी] वह बल्ली या पटिया जो कूएँ के मुँह पर बीचोबीच या किसी एक ओर इसलिए रख दी जाती है कि पानी खींचनेवाला उसी पर पैर रखकर पानी खींचे।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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पठिया :
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स्त्री० [हिं० पट्ठा+इया (प्रत्य०)] १. हिं० पट्ठा का स्त्री०। २. हृष्ट-पुष्ट तथा नौजवान स्त्री। (बाजारु)। |
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पठोर :
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स्त्री० [हिं० पट्ठा+ओर (प्रत्य०)] १. जवान परन्तु बिना ब्याई हुई बकरी। २. मुरगी, जो जवान तो हो गई हो, पर जो अभी अंडे न देती हो। |
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पठौना :
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स०=पठाना (भेजना)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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पठौनी :
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स्त्री०=पठावनी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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पठ्यमान :
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वि० [सं०√पठ्+लट् (कर्म में), यक्+शानच्,मुक् ] (ग्रंथ या पाठ) जो पढ़ा जाने को हो या पढ़ा जा सके।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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