शब्द का अर्थ
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बकोट :
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स्त्री० [सं० प्रकोष्ठ या अभिकोष्ठ, पा० पक्कोष्ठ] १. बकोटने की क्रिया या भाव। २. बकोटने के फल-स्वरूप पड़ा हुआ चिन्ह। ३. बकोटने के लिए बनायी हुई उँगलियों और हथेली की मुद्रा। ४. किसी पदार्थ की उतनी मात्रा जितनी उक्त मुद्रा में समाती हो। चंगुल। जैसे—एक बकोट चना इसे दे दो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बकोटना :
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स० [वि० बकोट+ना (प्रत्यय)] १. नाखूनों से कोई चीज विशेषतः शरीर की त्वचा या मांस नोचना। २. लाक्षणिक रूप में कोई चीज किसी से बलपूर्वक लेना या वसूल करना। उदाहरण—ये चंदा बकोटनेवाले फिर जेल से बाहर आ गये।—वृन्दावनलाल वर्मा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बकोटा :
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पुं० [हिं० बकोटना] १. बकोटने की क्रिया या भाव। २. बकोटने से पड़नेवाला चिन्ह या निशान। ३. उतनी मात्रा जितनी चंगुल या मुट्ठी में आ जाय। |
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