शब्द का अर्थ
|
साया :
|
पु० [सं० छाया से फा० सायः] १. छाया। छाँह। २. परछाँई। मुहा०—(किसी के) साये से भागना=बहुत अलग या दूर रहना। बहुत बचना। ३. जिन, भूत, प्रेत, परी आदि जिनके संबंध में माना जाता है कि ये छाया के रूप में होते हैं और उस छाया से युक्त होने पर लोग रोगी, विक्षिप्त हो जाते है। मुहा०—साये में आना =भूत-प्रेत आदि के प्रभाव से आविष्ट होकर रोगी या विक्षिप्त होना। प्रेत बाधा से युक्त होना। ४. ऐसा संपर्क या संबंध जो किसी को अपने आधीन करता अथवा उसे अपने गुण, प्रभाव आदि से युक्त करता हो। मुहा०—(किसी पर अपना) साया डालना= (क) किसी को अपने प्रभाव से युक्त करना। (किसी पर किसी का ) साया पड़ना=संगति आदि के कारण अथवा यों ही किसी के गुण, प्रभाव आदि से युक्त होना। पु० [अ० शेमीज] १. घाघरे की तरह का एक प्रकार का पहनावा। जो प्रायः पाश्चात्य देशों की स्त्रियाँ पहनती हैं। २. एक प्रकार का छोटा लहँगा जिसे स्त्रियाँ प्रायः महीन साड़ियों के बीच पहनती हैं। अस्तर। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सायाबंदी :
|
स्त्री० [फा० सायःबंदी् ] विवाह के लिये मंडप बनाने की क्रिया। (मुसलमान) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सायाम :
|
वि० [सं० स+आयाम] लंबा-चौड़ा। विस्तृत। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सायास :
|
अव्य० [सं० स+आयास] आयास अर्थात परिश्रम प्रयत्नपूर्वक |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सायाह्न :
|
पुं० [सं० ष० स०] दिन का अन्तिम भाग। संन्ध्या का समय। शाम। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |