शब्द का अर्थ
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अंज :
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पुं० [सं०√अंबुज या अब्ज] कमल। |
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समानार्थी शब्द-
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अंजन :
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पुं० [सं०√अञ्च् (आँजना)+ल्युट-अन्] १. आँखों में लगाने का काजल या सुरमा। २. काजल या सुरमा लगाने की क्रिया या भाव। ३. हलके नीले रंग का एक प्रसिद्ध खनिज पदार्थ जिससे सुरमा बनता है। (एण्टिमनी) ४. स्याही। ५. रात। ६. पश्चिम दिशा के दिग्गज का नाम। ७. व्यंजना वृत्ति। ८. बगले की एक जाति। ९. नीलगिरि पर्वत का एक नाम। १॰. दीपक, दीया। ११. वह कार्य या बात जो कोई दूसरी बात बतलाने या समझाने में सहायक हो। १२. दे० सिद्धांजन। वि० काला या सुरमई रंग का। पुं० (अं इंजन) इंजन। |
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अंजन केश :
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पुं० [ष० त०] दीया। चिराग। पुं० [ब० सं० ] अंजन के समान वाले बालवाला व्यक्ति। |
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अंजन-केशी :
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स्त्री०- [सं० अंजनकेश+डीप्] १. नख नामक सुगन्धित द्रव्य। २. अंजन के समान काले बालोंवाली स्त्री०। |
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अंजन-गिरि :
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पुं० [मध्य० त०] नीलगिरि पर्वत का एक नाम। |
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अंजन-शलाका :
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स्त्री० [ष० त०] अंजन या सुरमा लगाने की सलाई, सुरमचू। |
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अंजन-सार :
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वि० [सं० अञ्जनसारण] (आँखे) जिनमें अंजन या सुरमा लगा हो। उदा—एक तो नैना मद भरे, दूजे अंजनसार। |
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अंजनहारी :
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स्त्री० [सं० अञ्जनहार] १. बिलनी नाम का आँख का रोग। २. एक प्रकार का कीड़ा जिसे बिलनी या भृंगी भी कहते हैं। |
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अंजना :
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स्त्री० [सं० अंजन-टाप्] १. हनुमान की माता का नाम। २. आँख की पलक पर होने वाली फुँसी, बिलनी। ३. स्त्री० जिसने अंजन या सुरमा लगाया हो। ४. छिपकली। ५. व्यंजना वृत्ति। पुं० पहाड़ी प्रदेश में उपजने वाला एक प्रकार का मोटा धान। सं० =अंजन लगाना। आँजना। उदा—यथा सुअंजन अंजि दृग साधक सिद्ध सुजान—तुलसी। |
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अंजना नन्दन :
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पुं० [ष० त०] अंजना के पुत्र, हनुमान। |
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अंजनाद्रि :
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पुं० [अंजन-आदि, मध्य० सं० ] पुराणानुसार पश्चिम दिशा का एक पर्वत। |
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अंजनावती :
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स्त्री० [अंजन+मतुप्, वत्व, दीर्घ-डीप्] १. उत्तर-पूर्व दिशा के दिग्गज सुप्रतीक की स्त्री० का नाम। २. कालांजन नाम का वृक्ष। |
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अंजनिका :
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स्त्री० [सं० अंजन+ठन्-इक-टाप्] १. एक प्रकार की छिपकली। २. चुहिया। ३. दे० ‘अंजनावती’। |
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अंजनी :
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स्त्री० [सं०√अंजू (आँजना, गति आदि)+ल्युट्-अन्-डीप्] १. हनुमान की माता अंजना। विशेष—इस शब्द के साथ पुत्र वाचक शब्द लगने पर उसका अर्थ हनुमान हो जाता है। जैसे—अंजनी-नंदन। २. माथा। ३. आँख पर की फुंसी, बिलनी। ४. कुटकी नामक औषधि। ५. कालांजन का वृक्ष। ६. स्त्री०, आँखों में अंजन लगाया हो या शरीर में चन्दन आदि का लेप किया हो। |
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अंजबार :
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पुं० [फा०] ओषधि के काम में आने वाला एक प्रकार का पौधा। |
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अंजर :
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वि० [सं० उज्ज्वल] सफेद और स्वच्छ। उज्ज्वल। |
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अंजर-पंजर :
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पुं० [सं० पंजर का अनु० अंजर+सं० पंजर] १. शरीर की ठठरी और उसके अंग या जोड़। मुहावरा—अंजर-पंजर ढीले होना=झटके, श्रम आदि के कारण सब अंगों और जोड़ों का हिलकर शिथिल हो जाना। २. किसी चीज का ढाँचा। |
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अंजरि :
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स्त्री०=अंजलि। |
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अंजल :
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पुं० [अन्न+जल]=अन्न जल (दाना पानी)। स्त्री०=अंजलि।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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अंजलि :
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स्त्री० [सं०√अंज्+अलि; प्रा० गुज० अंजली; मरा० ओंजल] १. हथेली का वह रूप जो उँगलियों को कुछ ऊपर उठाने से बनता है। २. दोनों हथेलियों को उक्त रूप में एक साथ मिलाने से बनने वाला गड्ढा, जिसमें कुछ भरकर लिया या दिया जाता है। |
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अंजलि-गत :
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भू० कृ० [द्वि० त०] १. अंजलि में आया हुआ या रखा हुआ। २. प्राप्त या हस्तगत किया हुआ। |
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अंजलि-पुट :
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पुं० [(ष० त०] दे० ‘अंजलि २'। |
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अंजलि-बद्ध :
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वि० [ब० स०] जो हाथ जोड़े हुए हो करबद्ध। |
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अंजली :
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स्त्री० [सं० अंजलि-डीष्]=अंजलि। |
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अँजवाना :
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सं० ‘आँजना' का प्रे० रूप। आँख में काजल या सुरमा लगवाना। |
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अंजस :
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वि० [सं०√अंज्+असच्] १. सीधा, सरल। २. ईमानदार। |
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अंजहा :
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वि० [हि०अनाज+हा (प्रत्यय) स्त्री०अंजही]=अनाजी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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अंजही :
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स्त्री० [हिं० अनाज] अनाज की मंडी। |
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अँजाना :
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सं०=अँजवाना। वि० १. अनजान। २. अनजाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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अंजाम :
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पुं० [फा०] १. परिणाम, फल। २. अंत, समाप्ति। |
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अंजित :
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भू० कृ० [सं० √अंज्+क्त] १. जिसमें अंजन लगाया गया हो अंजनयुक्त। २. आराधित। पूजित। |
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अंजिष्ठ :
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पुं० [सं०√अंज्+इष्ठच्] सूर्य। |
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अंजिष्णु :
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पुं० [सं०√अंज्+इष्णुच्] सूर्य। |
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अंजी :
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स्त्री० [सं०√अंज्+इन्-डीष्] १. आशीर्वाद। २. शुभकामना। पुं० एक प्रकार का बढ़िया चावल। |
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अंजीर :
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पुं० [सं०√अंज्+ईरन्] गूलर जाति का एक प्रसिद्ध फल और उसका वृक्ष। |
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अंजुबार :
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पुं० [फा०] अंजबार (दे०)। |
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अंजुमन :
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पुं० [फा०] १. सभा। २. समाज। |
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अँजुरी :
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स्त्री०=अंजलि।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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अंजुल :
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स्त्री०=अंजलि। |
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अँजुली :
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स्त्री०=अंजलि। |
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अँजोर :
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पुं० [सं० उज्ज्वल] उजाला।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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अँजोरना :
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सं० [हिं० अँजोरा] १. उजाला या प्रकाश करना। २. दीया जलाकर घर में प्रकाश करना। ३. उज्ज्वल या स्वच्छ करना। सं० [सं० अँजलि) १. अंजुली में भरना या लेना २. निकाल या ले लेना। उदाहरण—पैठि उर बरबस दयानिधि दंभ लेत अँजोरि—तुलसी। |
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अँजोरा :
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पुं० [हिं० उजाला] प्रकाश, उजाला, रोशनी। वि० प्रकाशमान।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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अँजोरी :
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स्त्री० [हिं० अँजोर+ई] १. चन्द्रमा की चाँदनी। २. चाँदनी रात। ३. उजाला, प्रकाश। ४. आभा, चमक, दीप्ति।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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