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शब्द का अर्थ

अज्ञा  : स्त्री०=आज्ञा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
अज्ञातक  : वि० [सं० अज्ञात+कन्] १. अज्ञात। २. अप्रसिद्ध। (क्व)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
अज्ञात-कुल  : वि० [सं० न० ब०] १. जिसके कुल या वंश का ठीक पता न हो। २. जो अपने अनिश्चित या अस्पष्ट गुण, रूप आदि के कारण किसी वर्ग में न रखा गया हो।(नॉन-डेस्कि्रप्ट
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अज्ञात-चर्या  : स्त्री० [सं० क्रम० स०]=अज्ञातवास।
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अज्ञात-नामा (मन्)  : वि० [सं० न० ब०] १. जिसका नाम विदित न हो। २. अप्रसिद्ध। अविख्यात।
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अज्ञात-पितृक  : वि० [सं० न० ब, कप्] १. जिसे अपने पिता या जनक का पता न हो। २. वेश्या का पुत्र।
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अज्ञात-यौवना  : स्त्री० [सं० न० ब०] साहित्य में वह मुग्धा नायिका जिसे अपने यौवन के आगमन का अभी तक ज्ञान या भान न हुआ हो।
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अज्ञात-वास  : पुं० [सं० कर्म० स०] समाज से बिल्कुल अलग होकर ऐसे स्थान पर रहना जहाँ किसी को पता न लग सके। सब कि दृष्टि से छिपकर रहना।
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अज्ञाता  : स्त्री० [सं० अज्ञात+टाप्, न० त०]=अज्ञात-यौवना।
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अज्ञान  : वि० [सं० न० त०] (भाव० अज्ञानता) १. जिसे ज्ञान न हो। २. मूर्ख। पुं० (न० त०) १. सामान्य ज्ञान न होने की अवस्था या भाव। २. किसी विषय-विशेष का ज्ञान न होने की अवस्था या भाव। ३. मिथ्या ज्ञान। ४. मूर्खता। जड़ता। ५. जीवात्मा के गुण और गुण के कार्यों से विभिन्न तथा पृथक न समझने का अविवेख। (अधायत्म) ६. न्याय में निग्रह का एक स्थान।
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अज्ञानतः  : क्रि० वि० [सं० अज्ञान+तस्) १. अज्ञान के कारण। अज्ञता-वश (किया हुआ) २. बिना जाने बुझे या समझे।
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अज्ञानता  : स्त्री० [सं० अज्ञान+तल्-टाप्) १. ज्ञान न होने की अवस्था या भाव। २. किसी वस्तु का ज्ञान कन होने की अवस्था या भाव। ३. मिथ्या ज्ञान। ४. मूर्खता। ना समझी।
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अज्ञानपन  : पुं०=अज्ञानता।
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अज्ञानी (निन्)  : वि० [सं० न० त०] १. जिसे ज्ञान न हो। ज्ञान-शून्य। २. मूर्ख। न-समझ।
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