शब्द का अर्थ
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अत्र :
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अव्य [सं० इदम् वा एतद्+बल् अ आदेश] १. यहाँ से। इस स्थान से। २. इस अवस्था से। पुं० १.=अस्त्र। २. अतर। |
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समानार्थी शब्द-
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अत्रक :
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वि० [सं० अत्र+कन्] १. यहाँ का। २. इस लोक का। लौकिक। |
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अत्रभवान (वत्) :
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वि० [सं० अत्र (यहाँ प्रथमार्थ में बल् प्रयत्न) अत्रभवत्, कर्म० स०] [स्त्री० अत्रभवती] बहुत अधिक महान या श्रेष्ठ। |
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अत्रस्थ :
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वि० [सं० अत्र√स्था (ठहरना) +क] इस लोक में रहनेवाला। |
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अत्रि :
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पुं० [सं० √अद्(बंधन) +त्रिन्] १. सप्तऋषियों में से एक ऋषि का नाम। २. सप्तऋषि मंडल का एक तारा। |
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अत्रिगुण :
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वि० [सं० न-त्रिगुण, न० ब०] जो त्रिगुण (सत्, रज, और तम) से रहित या परे हो। त्रिगुणातीत। |
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अत्रिज :
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पुं० [सं० अत्रि√जन्(उत्पत्ति) +ड] अत्रि के पुत्र-चन्द्रमा, दत्तात्रेय तथा दुर्वासा। |
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अत्रेय :
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पुं० दे० आत्रेय।? (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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अत्रैगुण्य :
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पुं० [सं० न० त०] सत् रज और तम इन तीन गुणों का अभाव। |
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