शब्द का अर्थ
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अनर्थ :
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पुं० [सं० न-अर्थ,न० त०] १. अर्थ का अभाव। २. अनुचित या विपरीत अर्थ। ३. अनुचित काम या अशुभ घटना। ४. विपत्ति। ५. अधर्म से प्राप्त किया हुआ धन। ६. [न० ब०] विष्णु का एक नाम। वि० १. जिसका कोई अर्थ न हो। अर्थ-हीन। २. जिससे कुछ अर्थ या प्रायोजन न निकले। निरर्थक। व्यर्थ का। ३. भिन्न अर्थवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अनर्थक :
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वि० [सं० न-अर्थ,न० ब०कप्] १. अनर्थ या खराबी करने वाला। २. अर्थरहित। निरर्थक। व्यर्थ। ३.बेफायदा। |
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अनर्थ-कर :
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वि० [ष० त०] =अनर्थकारी। |
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अनर्थकारी (रिन्) :
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[सं० अनर्थ√कृ(करना)+णिनि] १. उलटा या विपरीत अर्थ करनेवाला। २. अनर्थ या परम अनुचित काम करनेवाला। ३.बहुत बड़ी हानि या खराबी करनेवाला। जैसे—अनर्थकारी भूकंप। |
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अनर्थनाशी (शिन्) :
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पुं० [अनर्थ√नश्(अदर्शन)+णिच्+णिनि] शिव। |
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अनर्थ भाव :
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वि० [ब० स०] जिसका भाव दुष्ट हो। बुरे भाव या स्वभाव वाला। पुं० [कर्म० स०] दुष्ट भाव। |
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अनर्थ-लुप्त :
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वि० [ब० स०] जिसमें अनर्थ या व्यर्थ के तत्त्वों या बातों का अभाव हो। |
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अनर्थ-संशय :
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पुं० [ब० स०] महान अनर्थ या अनिष्ट होने की आशंका या उससे युक्त कोई कार्य। |
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अनर्थानुबंध :
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पुं० [सं० अनर्थ-अनुबंध, ष० त०] ऐसी स्थिति जिसमें शत्रु का कुछ नाश होने पर भी उसके द्वारा अनर्थ होने की संभावना हो। |
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अनर्थापद :
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पुं० [सं० अनर्थ-आपद्,ष०त०] अनर्थ होने की आशंका या सम्भावना। |
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अनर्थार्थसंशय :
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पुं० [सं० अनर्थ-अर्थसंशय,द्व०स०] ऐसी स्थिति जिसमें एक ओर तो अर्थसिद्धि की संभावना हो और दूसरी ओर अनर्थ की आशंका। |
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अनर्थार्थानुबंध :
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पुं० [सं० अनर्थ-अर्थानुबंध,द्व०स०] अपने लाभ के लिए उपद्रव खड़ा करने के उद्देश्य के लिए शत्रु या पड़ोसी की धन तथा सैन्य से की जाने वाली सहायता। |
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अनर्थ्य :
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वि० [सं० अनर्थ+यत्]=अनर्थक। |
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