शब्द का अर्थ
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अनुज्ञा :
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स्त्री० [सं० अनु√ज्ञा (जानना)+अङ्-टाप्] [वि० अनुज्ञप्त, अनुज्ञात] १. आज्ञा। हुकुम। २. वह अनुमति या स्वीकृति जो किसी बड़े अधिकारी द्वारा किसी को कोई इष्ट कार्य करने के लिए दी जाती है। इजाजत। (सैक्शन, परमिशन) ३. बिना आपत्ति किये किसी को कोई काम करने देना। (एलाऊ) ४. साहित्य में एक अलंकार जिसमें किसी बुरी चीज या बात में कोई गुण या विशेषता देखकर उसे पाने का उल्लेख होता है। जैसे—रावण चाहता था कि मैं राम के हाथों मरकर मोक्ष प्राप्त करूँ। |
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समानार्थी शब्द-
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अनुज्ञात :
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भू० कृ [सं० अनु√ज्ञा+क्त] १. (कार्य) जिसके संबंध में अनुज्ञा मिल चुकी हो। २. (व्यक्ति) जिसे अनुज्ञा मिली हो। |
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अनुज्ञान :
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पुं० [सं० अनु√ज्ञा+ल्युट्-अन]=अनुज्ञा। |
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अनुज्ञापक :
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वि० [सं० अनु√ज्ञा+णिच्,पुक्+ण्युल्-अक] १. अनुज्ञापन करने या अनुज्ञा देने वाला। २. जिसके लिए अनुज्ञा मुल चुकी हो। अनुज्ञा के अनुसार होनेवाला। (पर्मिसिव) जैसे—अनुज्ञापक कानून। |
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अनुज्ञा-पत्र :
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पुं० [सं० ष० त०] वह पत्र जिसमें किसी को किसी अधिकारी से कोई इष्ट कार्य करने अथवा कुछ लेने की अनुज्ञा मिली हो। (परमिट) |
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अनुज्ञापन :
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भू० कृ० [अनु√ज्ञा+णिच्, पुक्+ल्युट्-अन] [भू०कृअनुज्ञापित, अनुज्ञप्त] १. अनुज्ञा देने की क्रिया या भाव। अनुज्ञा देना। २. बतलाना। ३. क्षमा करना। |
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अनुज्ञापित :
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भू० कृ० [अनु√ज्ञा+णिच्+क्त]=अनुज्ञप्त। |
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