शब्द का अर्थ
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अपद :
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वि० [सं० न० ब०] १. जिसके पैर न हों। बिना पैर का। जैसे—मछली, साँप आदि। २. जो किसी पद या ओहदे पर न हो। पुं० [न० त०] १. अनुचित या अनुपयुक्त पद या स्थान। २. अनुपयुक्त समय। |
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समानार्थी शब्द-
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अपदस्थ :
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वि० [सं० पत√स्था (ठहरना)+क, न० त०] जो अपने पद, स्थान या सेवा से हटा दिया गया हो। पदच्युत। |
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अपदांतर :
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वि० [सं० न० ब०] १. संयुक्त। मिला-जुला। २. अति निकट। समीप। ३. समान। बराबर। क्रि० वि० शीघ्र। तत्क्षण। |
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अपदान :
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पुं० [सं० अप√देप् (शोधन)+ल्युट्—अन; पा० अवदान] १. अच्छा और प्रशंसनीय कार्य। २. वह कथानक जिसमें लोगों के पूर्व और भावी जन्मों के अच्छे और बुरे कर्मों का उल्लेख हो। |
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अपदार्थ :
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वि [सं० न० त०] १. जो पदार्थ न हो। (नॉन-मैटर) २. जिसमें तत्त्व या सार न हो। ३. तुच्छ। नगण्य। पुं० तुच्छ वस्तु। |
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अपदिष्ट :
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वि० [सं० अप√दिश् (बताना)+क्त] १. अपदेश के रूप में किया या कराया हुआ। २. कहा हुआ। ३. प्रयुक्त। |
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अपदेखा :
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वि० [हिं० अप=अपने को+देखा=देखनेवाला] १. अपने को अधिक या बड़ा माननेवाला। घमंडी। २. स्वार्थी। मतलबी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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अपदेश :
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पुं० [सं० अप√दिश्+घञ्] १. कोई कार्य करने की आज्ञा देना अथवा ढंग, प्रकार, स्वरूप या विधि बतलाना। निर्देश। २. लक्ष्य। उद्देश्य। ३. बुरा देश या स्थान। ४. कारण या हेतु। ५ बहाना। ६. प्रसिद्धि। ७ छिपाना। ८ इनकार। |
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