शब्द का अर्थ
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अभिद :
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वि० =अभेद्य।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अभिदत्त :
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वि० [सं० प्रा० स०]-प्रदत्त। |
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अभिदर्शन :
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पुं० [सं० अभि√दृश् (देखना)+ल्युट्-अन] १. सामने आकर दिखाई देना। २. सामने पहुँचकर देखना। |
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अभिदान :
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पुं० [सं० प्रा० स०] [वि० अभिदत्त] १. देने की क्रिया या भाव। दान। २. राज्य या शासन की ओर से उद्योग-धंधों की अभिवृद्धि के लिए उनके कर्त्ताओं या संचालकों को दी जानेवाली आर्थिक सहायता। (बाउन्टी) |
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अभिदिशा :
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स्त्री० [सं० प्रा० स०] वह दिशा जिधर (क) किसी कार्य की गति हो अथवा (ख) किसी व्यक्ति का मन या विचार अग्रसर या प्रवृत्त हो। (डाइरेक्शन) |
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अभिदिष्ट :
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भू० कृ० [सं० अभि√दिश् (बताना)+क्त] जिसका अभिदेश हुआ हो। अभिदेश के रूप में आया हुआ। |
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अभिदेश :
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पुं० [सं० अभि√दिश्+घञ्] [कर्त्ता अभिदेशक, वि० अभिदेशिक, भू० कृ० अभिदिष्ट] १. किसी बात, वस्तु या व्यक्ति की ओर किसी उद्देश्य से देखना या संकेत करना। २. किसी उल्लिखित घटना आदि की ऐसी चर्चा जो किसी मत के खंडन या पुष्टि के लिए प्रमाण, संकेत साक्षी आदि के रूप में हो। ३. किसी विवादास्पद विषय के संबंध में किसी का मत जानने या उसका स्पष्टीकरण करने के लिए अथवा उस संबंध में आधिकारिक आदेश या निर्णय प्राप्त करने के लिए उसे उपयुक्त अधिकारी के पास भेजना। (रेफरेन्स, अंतिम दोनों अर्थों के लिए) ४. दे० ‘अभिदेश-ग्रंथ’। |
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अभिदेशक :
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वि० [सं० अभि√दिश् (बताना)+ण्वुल्-अक] अभिदेश करनेवाला। |
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अभिदेश-ग्रंथ :
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पुं० [सं० ष० त०] वह ग्रंथ जिसका उपयोग समय-समय पर किसी विशिष्ट विषय का ठीक और पूरा ज्ञान प्राप्त करने के लिए किया जाता है। संदर्भ-ग्रंथ। (रेफरेन्स-बुक) |
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अभिदेशना :
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स्त्री० [सं० अभि√दिश्+णिच्+युच्-टाप्] १. विधान-मंडल द्वारा पारित अथवा प्रस्तावित कोई विधेयक या प्रस्ताव मतदाताओं की स्वीकृति अथवा अस्वीकृति जानने के लिए उन्हें अभिदिष्ट करना। २. उक्त रूप में कोई बात अभिदिष्ट करने का कार्य या सिद्धांत। (रेफरेन्डम) |
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अभिदेशिकी :
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पुं० [सं० अभिदेश] वह आधिकारिक व्यक्ति जिसे कोई विषय या झगड़े की कोई बात उसके निर्णय के लिए अभिदिष्ट की जाए। (रेफरी) |
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अभिद्रोह :
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पुं० [सं० अभि√द्रुह (मारने की इच्छा)+घञ्] १. किसी के अनिष्ट अपकार आदि की वह प्रबल भावना जो द्वेष, वैर आदि के कारण उत्पन्न होती है और उसे हानि पहुँचाने का प्रयत्न कराती है। २. निंदा। ३. हानि। ४. निष्ठुरता। |
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