शब्द का अर्थ
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अमी :
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वि० [सं०√अम् (रोग)+इनि] बीमार। रूग्ण। पुं० =अमिय (अमृत)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अमीकर :
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पुं० [सं० अमृतकर] चंद्रमा। |
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अमी-कला :
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पुं० चंद्रमा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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अमीत :
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वि० [सं० अमित्र, प्रा० अमित्त] जो मीत अर्थात् मित्र न हो, फलतः बैरी या शत्रु।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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अमीन :
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पुं० [अ०] [भाव० अमीनी] माल-विभाग का वह कर्मचारी जो जमीन की नाप-जोख, बँटवारे आदि का प्रबंध करता है। |
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अमी-निधि :
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पुं० [हिं० अमी+सं० निधि] १. अमृत का समुद्र। २. चंद्रमा। |
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अमीमांसा :
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स्त्री० [सं० न० त०] १. मीमांसा का अभाव। २. दूषित विवेचन। |
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अमीर :
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पुं० [अ०] [भाव० अमीरी] १. धनवान। संपन्न। २. उदार। जैसे—दिल का अमीर। ३. नेता। सरदार। ४. अफगानिस्तान के राजाओं की उपाधि। |
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अमीरजादा :
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पुं० [अ०+फा०] [स्त्री० अमीरजादी] १. राजकुमार। शाहजादा। २. बहुत बड़े अमीर या धनवान का पुत्र। |
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अमीराना :
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वि० [अ० अमीर से फा०] अमीरों का सा। अमीरों जैसा। |
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अमीरी :
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स्त्री० [अ०] १. अमीर या धनी होने की अवस्था या भाव। दौलतमंदी। संपन्नता। २. उदारता। वि० १. अमीरों से संबंध रखनेवाला। २. अमीरों की तरह का। जैसे—अमीरी ठाठ। |
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अमीव :
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पुं० [सं०√अम्+वन, नि० ई] १. पाप। २. कष्ट। दुःख। ३. बीमारी। रोग। |
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