शब्द का अर्थ
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अरक :
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पुं० [अ० अरक़] वनस्पति आदि का वह सत्त्व सार जो भभके से खींच कर निकाला जाता है। २. निचोड़कर या पकाकर बनाया हुआ रस। ३. पसीना। स्वेद। पुं० [सं० अर+कन्] १. सूर्य। २. मदार नामक पौधा। ३. पानी में होनेवाली सेवार नामक घास।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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अरकगीर :
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पुं० [अ० अरक-पसीना+फा० गीर (प्रत्यय)] घोड़े की पीठ पर चारजामें के नीचे रखा जानेवाला नमदा। |
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अरकटी :
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पुं० [हिं० आर+काटना] नाव की पतवार सँभालनेवाला। माँझी। |
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अरकना :
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अ० [अनु०] १. अरराकर गिरना। २. टकराना। ३. फटना। ४. जोर से बोलना। पद—अरकना-बरकना=(क) व्यर्थ की तथा अत्यधिक बातें करना। (ख) इधर-उधर करना। टाल-मटोल करना। (ग) खींचातानी करना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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अरक नाना :
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पुं० [अ० अरक+नअनअ-पुदीना] सिरके में मिलाकर तैयार किया हुआ पुदीने का अरक या रस। |
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अरकला :
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पुं० [सं० अर्गल-अगरी या बेड़ा] १. रोक। रुकावट। २. मर्यादा। वि० रोकने या रुकावट करनेवाला। |
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अरकसी :
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स्त्री० [सं० आलस्य] आलस्य। सुस्ती। वि० [हिं० आलसी या आलसकी] आलस्य दिखाने या सुस्ती करनेवाला। सुस्त। उदाहरण |
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अरकाटी :
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पुं० [अरकाट (दक्षिण भारत का एक नगर)] वह ठेकेदार जो विदेशों में कुली , मजदूर आदि भेजने का काम करता है। |
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अरकान :
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पुं० [अ० रूक्न का बहु०] १. राज्य का प्रमुख अधिकारी। मंत्री। २. कारिंदा। गुमाश्ता। ३. उर्दू छंदों के मात्रारूप अक्षर। ४. वैभव। संपत्ति। |
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अरकासार :
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[?] १. तालाब। २. बाबली। (डिं०) |
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अरकोल :
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पुं० [सं० कौरीला] हिमालय में होने वाला लाकर नामक वृक्ष। |
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अरक्षित :
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वि० [सं० न० त०] १. जिसकी रक्षा न की जाती हो अथवा न की गई हो। २. (वस्तु या व्यक्ति) जिसकी रक्षा करने वाला कोई न हो। ३. (स्थान) जिसकी सामरिक रक्षा का प्रबंध न हो। |
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