शब्द का अर्थ
|
अवर :
|
वि० [सं०√वृ (आवरण)+अप (बा०) न० त०] १. जो ‘वर’ अर्थात् श्रेष्ठ न हो, फलतः अधम, तुच्छ, नीच या हीन। २. नीचा। ३. कम। न्यून। ४. पीछे या बाद में आने या होनेवाला। (इन्फीरियर) पुं० १. बीता हुआ समय। अतीत काल। २. हाथी का पिछला भाग। अव्य० [सं० अपर] और कोई। अन्य। दूसरा। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरज :
|
पुं० [सं० अवर√जन् (उत्पत्ति)+ड] [स्त्री० अवरजा] १. छोटा भाई। २. नीच कुल में उत्पन्न व्यक्ति। ३. शूद्र। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरण :
|
वि० =अवर्ण। पुं० =आवरण। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरत :
|
वि० [सं० अव√रम् (क्रीड़ा)+क्त] १. जो रत न हो। विरत। २. ठहरा हुआ। स्थिर। ३. अलग। पृथक्। पुं० =आवर्त्त। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरति :
|
स्त्री० [सं० अव√रम्+क्तिन्] १. अवरत होने की अवस्था या भाव। २. विराम। ठहराव। ३. निवृत्ति। छुटकारा। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवर-शैल :
|
पुं० [कर्म० स०] पुराणानुसार पश्चिम का वह पर्वत जिसके पीछे सूर्य का अस्त होना माना जाता है। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवर-सेवक :
|
पुं० [कर्म० स०] वह कर्मचारी जिसकी गिनती ऊँचे या बड़े सेवकों में न होती हो। (इन्फीरियर सर्वेन्ट) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवर-सेवा :
|
स्त्री० [कर्म० स०] राजकीय अथवा लोक सेवा का वह अंग जिसमें निम्न कोटि के कर्मचारी होते है। (इन्फीरियर सर्विस) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरा :
|
स्त्री० [सं० अवर+टाप्] १. दुर्गा। २. दिशा। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरागार :
|
पुं० [सं० अवर-आगार, कर्म० स०] दे० ‘लोकसभा’। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवराधक :
|
वि० [सं० अव√राध्(सिद्ध करना)+ण्युल्-अक] =आराधक। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवराधन :
|
पुं० [सं० अव√राध्+ल्युट्-अन] =आराधन। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवराधना :
|
स० [सं० अवराधन] =आराधना। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवराधी (धिन्) :
|
वि० [सं० अव√राध्+णिनि] आराधक। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरार्ध :
|
पुं० [अवर-अर्ध, कर्म० स०] १. नीचे या पीछे का आधा भाग। २. उत्तरार्ध। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरावर :
|
वि० [अवर-अवर, पं० त०] सबसे बुरा या खराब। निकृष्टतम्। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरिय :
|
वि० दे० ‘आवृत्त’। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरु :
|
अव्य० वि० =और। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरुद्ध :
|
वि० [सं० अव√रुर्ध (रोक)+क्त] १. रूँधा या रूँधा हुआ। २. जिसके आगे का मार्ग रूका हो या रोका गया हो। ३. छापा या ढका हुआ। आच्छादित। ४. छिपा हुआ। गुप्त। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरुद्धा :
|
स्त्री० [सं० अवरूद्ध+टाप्] १. अपने वर्ण की वह दासी या स्त्री जिसे कोई पुरुष अपने घर में रख लें। २. रखी हुई स्त्री। रखेली। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरू :
|
अव्य० =अवर (और)। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरूढ़ :
|
वि० [सं० अव√रुह् (ऊपर चढ़ना)+क्त] १. नीचे उतरा या उतारा हुआ। आरुढ़ का विपर्याय। २. जो दृढ़ या तत्पर न हो। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरेखना :
|
स० [सं० अवलेखन] १. चित्र आदि अंकित करना या बनाना। उरेहना। २. ध्यानपूर्वक देखना या समझना। ३. अनुमान या कल्पना करना। ४. अनुभव करना। जानना। ५. महत्त्व मान या मूल्य समझना। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरेब :
|
पुं० [सं० अव-विरुद्ध+रेव-गति] १. तिरछी चाल। २. पहनने के कपड़े की तिरछी काट। ३. टेढ़ी या पेचीली उक्ति अथवा बात। ४. उलझन या संकट की स्थिति। ५. झगड़ा। विवाद। ६. खराबी। दोष। बुराई। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरेबदार :
|
वि० [हिं०+फा०] १. तिरछी काट का (कपड़ा)। २. पेचीला (कथन या वाक्य)। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरोक्त :
|
वि० [सं० अवर-उक्त, स० त०] १. बाद में कहा हुआ। २. जिसका उल्लेख अंत या बाद में हुआ हो। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरोचक :
|
पु० [सं० अव√रुच् (दीप्ति)+णिच्+ण्वुल्-अक] एक रोग जिसमें भूख बहुत कम हो जाती है। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरोध :
|
पुं० [सं० अव√रुध् (रोक)+घञ्] १. वह तत्त्व या पदार्थ जो किसी उद्देश्य की पूर्ति या कार्य की सिद्धि में बाधक हो। वह तत्त्व या वस्तु जो बीच में या सामने आकर आगे बढ़ने से रोकती हो। २. चारों ओर से घेरने की क्रिया या भाव। ३. घेरा। ४. मार्ग या रास्ता बंद करना। ५. अंतःपुर। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरोधक :
|
वि० [सं० अव√रूध्+ण्वुल्-अक] [स्त्री० अवरोधिक] अवरोध करनेवाला। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरोधन :
|
पुं० [सं० अव√रूध्+ल्युट्-अन] [वि० अवरोधक, अवरूद्ध अवरोधित] १. अवरोध करने की क्रिया या भाव। २. अंतःपुर। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरोधना :
|
स० [सं० अवरोधन] [वि० अवरोधक] १. अवरोध करना। २. मार्ग छेकना अथवा आगे बढ़ने से रोकना। ३. चारों ओर से घेरना। घेरा डालना। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरोधिक :
|
पुं० [सं० अवरोध+ठन्-इक] अंतःपुर का पर्हरी। वि० =अवरोधक। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरोधित :
|
भू० कृ० [सं० अव√रुध्+णिच्+क्त] १. जिसका अवरोध किया गया हो। २. जिसका मार्ग रोका गया हो। ३. जिसे चारों ओर से घेरा गया हो। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरोधी (धिन्) :
|
वि० [सं० अव√रुध्+णिनि] [स्त्री० अवरोधिनी] =अवरोधक। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरोपण :
|
पुं० [सं० अव√रुह्+णिच्,पुक्+ल्युट्-अन] १. उखाड़ना। ‘रोपण’ का विपर्याय। २. न्यायालय द्वारा ऐसे व्यक्ति को अबियोग से मुक्त करना, जिस पर अभियोग सिद्ध न होता हो। (डिस-चार्ज)। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरोपणीय :
|
वि० [सं० अव√रुह्+णिच्+पुक्+अनीयर] १. जिसका अवरोपण हुआ हो। उखाड़ा हुआ। २. जिसका अवरोहण हो सकता हो। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरोपित :
|
वि० [सं० अव√रुह्+णिच्+पुक्+क्त] १. जिसका अवरोपण हुआ हो। उखाड़ा हुआ। २. जो अभियोग आदि से मुक्त किया गया हो। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरोह :
|
पुं० [सं० अव√रुह्+घ़ञ्] १. ऊपर या ऊँचाई से नीचे आना या उतरना। जैसे—संगीत में स्वरों का अवरोह। २. अवनति। पतन। ३ ०मूल में शाखाएँ निकलना। ४. लता का वृक्ष के चारों ओर लिपटना। ५. साहित्य में, एक अलंकार जिसमें किसी प्रकार के उतार का उल्लेख होता है। (वर्द्धमान नामक अलंकार का विपरीत रूप)। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरोहक :
|
वि० [सं० अव√रुह्+ण्वुल्-अक] ऊपर या ऊँचाई से नीचे की ओर आने या उतरनेवाला। पुं० अश्वगंध। असगंध। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरोहण :
|
पुं० [सं० अव√रुह्+ल्युट्-अन] ऊपर या ऊँचाई से नीचे उतरने की क्रिया या भाव। उतार। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरोहना :
|
अ० [सं० अवरोहण] ऊपर या ऊँचाई से नीचे आना या उतरना। स० [सं० अवरोधन] रोकना। स० दे० ‘उरेहना’। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरोहशाखी (खिन्) :
|
पुं० [सं० अवरोह-शाखा, कर्म० स०+इनि] वट-वृक्ष। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरोहिका :
|
स्त्री० [सं० अव√रुह्+ण्वुल्-अक-टाप्, इत्व] अश्वगंध (ओषधि)। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरोहिणी :
|
स्त्री० [सं० अव√रुह्+णिनि णिनि-ङीष्] फलित ज्योतिष में एक अनिष्ट दशा जो नक्षत्रों के कुछ विशिष्ट स्थानों में पहुँचने से उत्पन्न होती है। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरोहित :
|
भू० कृ० [सं० अवरोह+इतच्] १. जिसने अवरोह किया हो या जिसका अवरोह हुआ हो। नीचे आया या उतरा हुआ। २. अवनत। पतित। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवरोही (हिन्) :
|
वि० [सं० अव√रुह्+णिनि] १. ऊपर से नीचे की ओर आने वाला। २. जो क्रम के विचार से ऊँचे से नीचे की ओर हो। (डिसेन्डिंग) जैसे—अवरोही स्वर। पुं० १. संगीत में आलाप, स्वर साधन आदि का वह प्रकार या रूप जिसमें क्रमशः ऊँचे स्वर के उपरांत नीचे स्वरों का उच्चारण होता है। आरोही का विपर्याय। २. वटवृक्ष। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवर्ग :
|
वि० [सं० न० ब०] जो किसी वर्ग में न हो अथवा जिसका कोई वर्ग न हो। पुं० [ष० त०] स्वर-वर्ण। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवर्गित :
|
वि० [सं० वर्ग√+इतच्, न० त०] १. जो किसी वर्ग में न रखा गया हो। २. जिसके वर्ग न बनायें गये हों। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवर्ण :
|
वि० [सं० न० ब०] १. जिसका कोई वर्ण या रंग न हो। रंगहीन। २. बिगड़े हुए अथवा भद्देरंगवाला। ३. जो ब्राह्मण क्षत्रिय आदि में से किसी वर्ण का न हो। पुं० [कर्म० स०] अकार अक्षर। अ। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवर्ण्य :
|
वि० [सं० न० त०] १. जिसका वर्णन न हुआ हो अथवा न हो सकता हो। वर्णनातीत। २. जो वर्ण या उपमेय न हो अर्थात् उपमान। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवर्त्त :
|
पुं० [सं०√वृत्त (बरतना)+घ़ञ्, न० त०] १. अपारदर्शी वस्तु। २. पानी की भँवर। आवर्त्त। ३. घुमाव। चक्कर। फेर। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवर्त्तन :
|
पुं० [सं०√वृत्+ल्युट्-अन, न० त०] १. जीविका या वृत्त का अभाव। २. पारस्परिक बरताव या व्यवहार का अभाव। दे० ‘आवर्त्तन’। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवर्त्तमान :
|
वि० [सं० न० त०] १. जो वर्त्तमान या प्रस्तुत न हो। अविद्यमान। २. जो उपस्थित न हो। अनुपस्थित। पुं० वर्त्तमान न होने की अवस्था या भाव। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवर्धमान :
|
वि० [सं० न० त०] जो वर्धमान न हो अर्थात् न बढ़ानेवाला। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अवर्षण :
|
पुं० [सं० न० त०] वर्षा या वृष्टि का अभाव। अनावृष्टि। सूखा। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |