शब्द का अर्थ
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अव्यक्त :
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वि० [सं० न० त०] [भाव० अव्यक्तता, अव्यक्ति] १. जो व्यक्त अर्थात् प्रकट, प्रत्यक्ष या स्पष्ट न हो। छिपा हुआ। अज्ञात। २. जो अगम्य या अगोचर हो। ३. जिसकी अभिव्यक्ति न हुई हो। ४. अनिर्वचनीय। ५. बीज-गणित में (राशि) जिसका मान अज्ञात हो। पुं० १. ईश्वर या ब्रह्म। २. जीव का सूक्ष्म शरीर। ३. विष्णु। ४. शिव। ५. कामदेव। ६. प्रकृति (सांख्य) |
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अव्यक्त-गणित :
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पुं० [सं० कर्म०स०] बीज-गणित। |
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अव्यक्त-गति :
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वि० [ब० स०] जिसकी गति ऐसी हो कि सामने दिखाई न दे। |
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अव्यक्त-पद :
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पुं० [कर्म० स०] ऐसा पद (या शब्द) जिसका मनुष्यों के कंठ, जीभ आदि से स्पष्ट उच्चारण न हो सके। जैसे—चिड़ियों या जानवरों की बोली या अनेक प्रकार के आघातों से उत्पन्न होनेवाले शब्द। |
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अव्यक्त-राशि :
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स्त्री० [कर्म० स०] बीज-गणित में वह राशि जिसका मान ज्ञात या निश्चित न हो। |
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अव्यक्त्-लक्षण :
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पुं० [ब० स०] शिव। |
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अव्यक्त-लिंग :
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पुं० [ब० स०] १. सांख्य के अनुसार महत्तत्त्व आदि। २. संन्यासी। वि० १. जिसके लिंग, स्वरूप आदि का पता न चले। २. जिसके चिन्ह, या लक्षण अदृष्य या अप्रकट हों। |
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अव्यक्त-साम्य :
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पुं० [ष० त०] बीजगणित में, अव्यक्त राशि का समीकरण। |
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अव्यक्तानुकरण :
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पुं० [सं० अव्यक्त-अनुकरण, ष० त०] अव्यक्त पद या शब्द का ऐसा उच्चारण जो उसके अनुकरण पर तथा उससे मिलता-जुलता हो। जैसे—पशु-पक्षियों की बोली का मनुष्यों के द्वारा होनेवाला अनुकरण। |
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अव्यक्तिक :
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वि० [सं० न० ब० कप्] १. जो व्यक्तिक या व्यक्तिगत न हो। जिसका संबंध किसी व्यक्ति या व्यक्तित्व से न हो। (इम्पर्सनल) २. राग-द्वेष आदि से रहित। निर्लिप्त। |
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