शब्द का अर्थ
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असत :
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वि० [सं० न० त०] १. जिसका अस्तित्व या सत्ता न हो, फलतः अवास्तविक। २. जो सत्य न हो, फलतः झूठा या मिथ्या। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
असती :
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वि० [सं० असत्+ङीष्] जो सती या पवित्रता न हो अर्थात् कुटला या दुश्चचरित्रा (स्त्री० ) |
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असतुति :
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स्त्री० =स्तुति।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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असत्कार :
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पुं० [सं० न० त०] १. सत्कार या उचित आदर का अभाव। २. तिरस्कार। |
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असत्कृत :
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भू० कृ० [सं० न० त०] जिसका असत्कार हुआ हो। अपमानित। |
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असत्कृत्य :
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वि० [असत्-कृत्य,ब० स०] अनुचित या बुरे कार्य या कृत्य करनेवाला। पुं० [कर्म० स०] अनुचि या बुरा काम। |
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असत्ता :
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स्त्री० [सं० न० त०] सत्ता का अभाव। अस्तित्व में या विद्यमान न होना। अविद्यमानता। |
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असत्त्व :
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वि० [सं० न० ब०] १. जिसमें सत्त्व या सार न हो। सार-हीन। २. जो सच्चा या वास्तविक न हो। |
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असत्परिग्रह :
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पुं० [कर्म० स०] अनुपयुक्त वस्तु या अनुपयुक्त व्यक्ति की वस्तु ग्रहण करना। (धर्म-शास्त्र)। |
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असत्य :
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वि० [सं० न० त०] जो सत्य या उसके अनुरूप न हो, फलतः झूठ या मिथ्या। जैसे—असत्य कथन। पुं० १. झूठापन। झुठाई। २. झूठ बोलनेवाला व्यक्ति। |
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असत्यता :
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स्त्री० [सं० असत्य+तल्-टाप्] असत्य होने की अवस्था या भाव। सच्चाई न होना। मिथ्यात्त्व। |
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असत्यवाद :
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पुं० [ष० त०] असत्य या झूठ बोलना। मिथ्या भाषण। |
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असत्यवादी (दिन्) :
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वि० [असत्य√वद् (बोलना)+णिनि] असत्य बोलनेवाला। झूठा। |
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असत्यशील :
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वि० [ब० स०] जो अपने आचरण भाषण आदि में सत्यता का पालन न करता हो। प्रायः झूठ बोलने या झूठा आचरण व्यवहार करनेवाला। |
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असत्यसंध :
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वि० [न० त०] १. सत्य का ध्यान न रखने या पालन न करनेवाला। २. प्रायः धोखा देने वाला। कपटी। छली। |
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