शब्द का अर्थ
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आर्थ :
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वि० [सं० अर्थ+अण्] [स्त्री०आर्थी] १. जिसका कोई विशेष अर्थ या महत्व हो। २. शब्दों या वाक्यों के अर्थ से संबंध रखनेवाला। ३. साहित्य में, स्पष्ट कथन के अभाव में केवल अर्थ से निकलने अथवा उससे संबंध रखनेवाला। ‘शब्द’ से भिन्न और उसका विपर्याय। जैसे—आर्थी व्यंजना या विभावना। ४. दे० ‘आर्थिक’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
आर्थिक :
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वि० [सं० अर्थ+ठक्-इक] १. अर्थ से संबंध रखनेवाला। अर्थ संबंधी। २. राजनीति और समाजशास्त्र में धन-संपत्ति और इसके अर्जन,उत्पादन,विभाजन व्यवस्था आदि से संबंध रखनेवाला। रुपए-पैसे, आय-व्यय आदि से संबंध रखने या इनके विचार से होनेवाला। (इकाँनामिक) जैसे—देश की आर्थिक उन्नति। ३. दे० ‘आर्थी’। |
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आर्थिकी :
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स्त्री० [सं० अर्थ से] अर्थशास्त्र। |
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आर्थी :
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वि० [सं० आर्थ+ङीष्] शब्दों के अर्थ से संबंध रखनेवाला। जैसे—आर्थी व्यंजना। |
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आर्थी-अपह्रति :
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स्त्री० [सं० व्यस्त०पद] दे० ‘कैतवापह्वति’। |
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आर्थी-व्यंजना :
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स्त्री० [सं० व्यस्त०पद] साहित्य में, व्यंजना (शब्द शक्ति) का वह प्रकार या भेद जिसमें स्वयं शब्दों से नहीं, बल्कि उनके द्वारा निकलनेवाले अभिप्राय या आशय से अथवा शारीरिक चेष्टा, व्यंग्य काकु, प्रसंग आदि के द्वारा कोई विशेष अर्थ या भाव व्यंजित होता है। जैसे—‘बाल-मराल कि मंदर लेही’। से वक्ता यह बतलाना चाहता है कि रामचंद्र धनुष नहीं उठा सकते। |
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