शब्द का अर्थ खोजें

शब्द का अर्थ

ईर्ष्य  : वि० [सं०√ईर्ष्य+अच्] जिससे ईर्ष्या या डाह की जा सकती हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
ईर्ष्यक  : वि० [सं० ईर्ष्य+ण्वुल्-अक] किसी से ईर्ष्या करनेवाला। ईर्ष्यालु। पुं० वैद्यक के अनुसार एक प्रकार का नपुंसक जिसकी कामवासना तब तक उत्तेजित नहीं होती, जब तक वह किसी को संभोग करते हुए न देखे।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
ईर्ष्या  : स्त्री० [सं०√ईर्ष्य+अ-टाप्] [वि० ईर्ष्यक, ईर्ष्यालु] किसी को अपने से अधिक उन्नत, संपन्न या सुखी देखकर मन में होनेवाला वह कष्ट या जलन जिसके साथ उस व्यक्ति को वैभव सुख आदि से वंचित करके स्वयं उसका स्थान लेने की अभिलाषा लगी रहती है। डाह। (एन्वी)।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
ईर्ष्यालु  : वि० [सं०√ईर्ष्य+आलुच्] मन में किसी के प्रति ईर्ष्या रखनेवाला। ईर्ष्या या डाह करनेवाला।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
ईर्ष्य  : वि० [सं०√ईर्ष्य+अच्] जिससे ईर्ष्या या डाह की जा सकती हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
ईर्ष्यक  : वि० [सं० ईर्ष्य+ण्वुल्-अक] किसी से ईर्ष्या करनेवाला। ईर्ष्यालु। पुं० वैद्यक के अनुसार एक प्रकार का नपुंसक जिसकी कामवासना तब तक उत्तेजित नहीं होती, जब तक वह किसी को संभोग करते हुए न देखे।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
ईर्ष्या  : स्त्री० [सं०√ईर्ष्य+अ-टाप्] [वि० ईर्ष्यक, ईर्ष्यालु] किसी को अपने से अधिक उन्नत, संपन्न या सुखी देखकर मन में होनेवाला वह कष्ट या जलन जिसके साथ उस व्यक्ति को वैभव सुख आदि से वंचित करके स्वयं उसका स्थान लेने की अभिलाषा लगी रहती है। डाह। (एन्वी)।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
ईर्ष्यालु  : वि० [सं०√ईर्ष्य+आलुच्] मन में किसी के प्रति ईर्ष्या रखनेवाला। ईर्ष्या या डाह करनेवाला।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
लौटें            मुख पृष्ठ