शब्द का अर्थ
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गगन :
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पुं० [सं०√गम(जाना+युच्-अन,ग आदेश)] १. आकाश। आसमान। मुहावरा–गगन खेलनानदी आदि के बहते हुए पानी का रह-रहकर उछलना। (किसी चीज का) गगन होना उड़ते-उड़ते हुए बहुत ऊपर आकाश में चले जाना। जैसे–कबूतर या पतंग का गगन होना। २. आकाशस्थ ईश्वर या दैव। उदाहरण–गगन कटोरहिं जगत बँधाएउ।–जायसी। ३. शून्य-स्थान। ४. छप्पय नामक छंद का एक भेद। ५. अबरक। ६. रहस्य संप्रदाय में, (क) अंतःकरण या हृदय (ख) ब्रह्म के रहने का स्थान या हृदय रूपी कमल। |
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गगन-कुसुम :
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पुं० [मध्य० सं०] आकाश-कुसुम। कोई अलौकिक या अवास्तविक वस्तु। |
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गगनगढ़ :
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पुं० [सं०+हिं०] बहुत ऊँचा किला या महल।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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गगन-गति :
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वि० [ब० स० ] आकाश में चलनेवाला। आकाशचारी। पुं० १. चन्द्रमा, सूर्य आदि ग्रह। २. देवता। ३. वायु। हवा ४. पक्षी। |
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गगन-गिरा :
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स्त्री० [मध्य० स०] आकाशवाणी। |
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गगनचर :
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वि० [सं० गगन√चर (गति)+ट] आकाश में उड़ने या चलनेवाला। आकाशचारी। पुं० १. ग्रह, नक्षत्र आदि। २. देवता। ३. पक्षी। |
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गगनचुंबी (बिन्) :
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वि० [सं० गगन√चुंब् (चूमना)+णिनि] इतना अधिक ऊँचा कि आकाश को चूमता हुआ जान पड़े। बहुत ऊँचा। अभ्रकष। (स्काई स्क्रैपर) |
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गगन-धूलि :
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पुं० [सं० ष० त० ] १. कुकुरमुत्ते का एक भेद। २. केतकी या केवड़े पर की सुंगधित धूल। |
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गगन-ध्वज :
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पुं० [ष० त० ] १. सूर्य। २. बादल। मेघ। |
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गगन-पति :
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पुं० [ष० त०] इन्द्र। |
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गगन-भेड़ :
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स्त्री० [हिं० गगन+भेड़] कराँकुल या कूँज नामक जल-पक्षी। |
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गगनभेदी (दिन्) :
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वि० [सं० गगन√भिद(फाड़ना)+णिनि] १. आकाश को भेदने या फाड़नेवाला (शब्द या स्वर)। आकाशभेदी। २. बहुत अधिक ऊँचा। |
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गगन-मंडल :
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पुं० [ष० त० ] १. पृथ्वी के ऊपर का आकाश रूपी घेरा या मंडल। २. हठ-योग की परिभाषा में ब्रह्माण्ड (सिर में ऊपर की ओर की भीतरी भाग) और ब्रह्म-रध्रं। |
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गगन-रोमंथ :
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पुं० [ष० त० ] अनहोनी या असंभव बात। |
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गगनवटी :
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पुं० [सं० गगनवर्ती] सूर्य। (डिं० ) |
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गगन-वाटिका :
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स्त्री० [स० त० ] वैसी ही असंभव बात जैसी आकाश में वाटिका या बाग-बगीचे के होने की होती है। आकाश-कुसुम। |
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गगनवाणी :
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स्त्री० आकाशवाणी। |
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गगन-बिहारी(रिन्) :
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[सं० गगन-वि.√हृ (हरण करना)+णिनि] आकाशचारी। गगनचर। पुं० १. सूर्य, चंद्रमा आदि ग्रह। २. देवता। |
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गगन-सिंधुं :
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स्त्री० [ष० त०] आकाश-गंगा। |
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गगन-स्पर्शन :
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पुं० [ष० त०] १. वायु। हवा। २. आठ मरुतों में से एक मरुत का नाम। |
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गगन-स्पर्शी (शिन्) :
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वि० [सं० गगन√स्पृश् (छूना)+णिनि] आकाश को स्पर्श करनेवाला। बहुत अधिक ऊँचा। |
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गगन-स्पृक् (श्) :
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वि० [सं०गगन√स्पृश्+क्विप्] गगनस्पर्शी। |
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गगनांगना :
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स्त्री० [गगन-अंगना, मध्य० स० ] अप्सरा। |
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गगनांबु :
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पुं० [गगन-अंबु, मध्य० स०] आकाश से गिरा हुआ अर्थात् वर्षा का जल। बरसाती पानी। |
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गगनाध्वग :
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वि० पुं० [गगन-अध्वग, ष० त० ] =गगनचर। |
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गगनानंग :
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पुं० [गगन-अनंग, स० त० ] एक प्रकार का मात्रिक छंद जिसके प्रत्येक चरण में पच्चीस मात्राएं होती है। |
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गगनापगा :
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स्त्री० [गगन-आपगा, ष० त०] आकाश गंगा। |
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गगनेचर :
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पुं० [अलुक् स०] १. ग्रह, नक्षत्र आदि। २. देवता। ३. चिडियाँ। पक्षी। वि० आकाश में उड़ने या चलनेवाला। |
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गगनोल्मुक :
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पुं० [गगन-उल्मुक,.स० त० ] मंगलग्रह। |
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