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गाँठ  : स्त्री० [सं० ग्रन्थि, पा० गंठि] [वि० गँठीला] १. कपड़े, डोरे रस्सी आदि के सिरों को घुमाकर और एक दूसरे में फँसाकर कसने या बाँधने से बननेवाला रूप जो आस पास के तलों से कुछ उभरा हुआ, गोलाकार और मोटा होता है। ग्रंथि। गिरह। जैसे–कोई चीज बाँधने के लिए रस्सी में गाँठ लगाना। मुहावरा-गाँठ जोड़ना या बाँधना=(क) विवाह के समय अतवा उसके बाद कोई धार्मिक शुभ कार्य करने के समय वर और वधू के कपडों के पल्लें या सिरें आपस में उक्त प्रकार से बाँधना। (ख) परस्पर बहुत ही घनिष्ट संबंध स्थापित करना। २. डोरे या रस्सी के किसी अंश के घूमफिरकर फंदा बनाने और उस फंदे में उलझने या फँसने से बननेवाला उक्त प्रकार का रूप। जैसे–इस डोरे या नख में कई जगह गाँठ पड़ा गयी हैं। ३. कोई चीज बाँधकर अपने पास रखने के लिए कपड़े के पल्लों को आपस में फँसा कर दिया जानेवाला उक्त प्रकार का रूप। ४. उक्त के आधार पर कोई चीज अपने अधिकार में होने की अवस्था या भाव। उदाहरण–खोटे राम गाँठ लिअ डोलैं महँगी वस्तु मोलावै।–कबीर। मुहावरा–किसी की गाँठ कतरना या काटना=किसी की गाँठ से बँधा हुआ या किसी के पास का धन चालाकी या चोरी से ले लेना। चुरा या ठगकर ले लेना। (कोई बात) गाँठ बाँधना-किसी बात पर इस उद्देश्य से पूरा ध्यान देना कि वह सदा बहुत अच्छी तरह याद रहे। जैसे–हमारी बात गाँठ बाँध रखो, किसी समय बहुत काम आवेगी। पद–गाँठ का=अपने पास का। पल्ले का। जैसे–बात की बात में गाँठ के दस रुपये खर्च हो गये। गाँठ का पूरा=जिसके पास यथेष्ट धन हो। गाँठ से=अपने पास से। पल्ले से। जैसे–गाठ से निकालकर खर्च करना पड़े तब पता चले। ५. किसी चीज की बँधी हुई बड़ी गठरी। गट्ठर। जैसे–कपड़े या रेशम की आज चार गाँठे आयी है। ६. वानस्पतिक क्षेत्र में वृक्षों के कांडों, टहनियों आदि में बीच-बीच में होनेवाला उभारदार गोलाकार मोटा अंश या भाग। पर्व। पोर। (बल्ब) जैसे–ईख या बाँस में होनेवाली गाँठें। ७. उक्त आकार के आधार पर कोई उभारदार गोलाकार और ठोस चीज या रचना। जैसे–प्याज की गाँठ, हलदी की गाँठ। पद-गाँठ-गँठीला= (देखें)। ८. शरीर के अंगो में का जोड़ या संधि-स्थान। जैसे–आज तो हमारी गाँठ गाँठ में दरद हो रहा है। ९. उक्त के आधार पर मन में जमा या बैठा हुआ किसी प्रकार का दुर्भाव, द्वेष या वैर जो पारस्परिक सदभावना के अभाव का सूचक होता है। उदाहरण–साधू वही सराहिये जाके हिए न गाँठ। मुहावरा=मन की गाँठ खोलन=मन में छिपा हुआ दुर्भाव स्पष्टरूप से इस लिए कहना कि आगे के लिए सफाई हो जाए। मन गाँठ पड़ना=मन में दुर्भाव, द्वेष या वैर-विरोध का भाव जमना या बैठना। जैसे–मेरे पिया के जिया में पड़ गई गाँठ, कौन जतन से खोलूँ।–स्त्रियों का गीत। १॰. किसी प्रकार की उलझन या झगड़े-बखेड़े की अथवा पेचीदी बात या स्थिति। मुहावरा–गाँठ खुलना=उलझन या झंझट दूर होना। पेचीदी समस्या का निराकरण या समाधान होना। ११. कटोरी के आकार का एक प्रकार का घुँघरूदार गहना जो कोहनी के ऊपर पहना जाता है।
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गाँठकट  : पुं० [हिं० गाँठ+काटना] गाँठ काटनेवाला व्यक्ति। गिरहकट।
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गाँठ गँठीला  : वि० [हिं० गाँठ] जिसमें जगह जगह कई या बहुत सी गाँठे पड़ी हों। जैसे–टूटे से फिर जुड़े तो गाँठ गँठीला होय। (कहा०)
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गाँठगोभी  : स्त्री० [हिं० गाँठ+गोभी] गोभी की जाति का एक प्रकार का कंद जिसमें पत्तों का संपुट गोल और बड़ी गाँठ के रूप में होता है और जिसकी तरकारी बनती है।
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गाँठदार  : वि० [हिं० गाँठ+दार(प्रत्यय)] जिसमें गाँठ या गाँठे पड़ी हों। जैसे–गाँठदार लकड़ी।
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गाँठना  : स० [सं० ग्रंथन, पा० गंठन] १. गाँठ देना,बाँधना या लगाना। २. दो चीजे आपस में मिलाने या जोड़ने के लिए डोरी डोरे आदि से जोड़कर गाँठे लगाना या मोटी सिलाई करना। जैसे–जूता गाँठना। ३. किसी को अपनी ओर मिलाने के लिए उसके साथ स्वार्थपूर्ण संबंध स्थापित करना। जैसे–यदि किसी तरह उन्हें गाँठ सके तो बहुत काम हो। ४. पर-स्त्री को संभोग के लिए तैयार करना और फलतः उसके साथ संभोग करना। ५. अनुचित रूप में कोई काम पूरा या सिद्ध करना। जैसे–अपना मतलब गाँठना। ६. दबोचकर अपने अधिकार या हाथ में करना। जैसे–बिल्ली आज हमारा एक कबूतर गाँठ ले गयी। ७. आघात या वार रोककर उसे विफल करना।
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गाँठि  : स्त्री०=गाँठ।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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गाँठी  : स्त्री० [हिं० गाँठ] १. गाँठ। २. कोहनी पर पहनने का एक गहना।
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