शब्द का अर्थ
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					चँवर					 :
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					पुं० [सं० पा० प्रा० चामर, बँ० चमर, उ० आअर, पं० चौर, मरा० चौरी] [स्त्री० अल्पा० चँवरी] १.पशुओं मुख्यतः सुरा गाय की पूँछ के लंबे बालों का वह गुच्छा जो दस्ते के अगले भाग में लगा होता है और जिसे देवमूर्तियों, धर्मग्रंथों, राजाओं आदि के ऊपर और इधर-उधर इसलिए डुलाया जाता है कि उन पर मख्खियां आदि न बैठने पावें। क्रि० प्र-डुलाना।-हिलाना। २. घोड़ों, हाथियों आदि के सिर पर लगाई जानेवाली कलगी।				 | 
			 
			
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					चँवरी					 :
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					स्त्री० [?] विवाह-मंडप। उदाहरण–चँवरी ही पहिचाणियौ, कँवरी मरणौ कंत।-कविराजा सूर्यमल। स्त्री०=छोटा चँवर।				 | 
			 
			
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