शब्द का अर्थ
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					चरित्र-लेखक					 :
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					पुं० [ष० त०] किसी के जीवन की घटनाएँ या जीवन चरित्र लिखनेवाला लेखक।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					चरित्र					 :
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					पुं० [सं०√चर्+इत्र] १. वे सब बातें जो आचरण, व्यवहार आदि के रूप में की जायँ। किया या किये हुए काम। कार्य-कलाप। २. अच्छा आचरण या चाल-चलन। सदाचार। जैसे–चरित्रवान्। ३. जीवन में किये हुए कार्यों का विवरण। जीवन-चरित्र। जीवनी। ४. कहानी, नाटक में कोई पात्र। ५. कोई महान अथवा श्रेष्ठ व्यक्ति। ६. स्वभाव। ७. छलपूर्ण अनुचित आचरण और व्यवहार। करतूत। चरित्र। (व्यंग्य) ८. कर्त्तव्य। ९. शील। स्वभाव। १॰.चलने की क्रिया या भाव। ११. पग। पाँव। पैर।				 | 
			
			
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					चरित्र-नायक					 :
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					पुं०=चरितानायक।				 | 
			
			
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					चरित्र-पंजी					 :
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					स्त्री० दे० ‘आचरण पंजी’।				 | 
			
			
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					चरित्र-बंधक					 :
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					पुं० [ष० त०] १. मैत्रीपूर्ण तथा सद्व्यवहार करने की प्रतिज्ञा। २. वह चीज जो किसी के पास कुछ शर्तों के साथ बंधन या रेहन रखी जाय। ३. उक्त प्रकार से बंधक या रेहन रखने की प्रणाली।				 | 
			
			
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					चरित्रवान्(वत्)					 :
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					वि० [सं० चरित्र+मतुप्] [स्त्री० चरित्रवती] (व्यक्ति) जिसका चरित्र सद् हो। सदाचारी।				 | 
			
			
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					चरित्र-हीन					 :
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					वि० [तृ० त०] (व्यक्ति) जिसका आचरण या चाल-चलन बहुत ही खराब या निन्दनीय हो। बदचलन।				 | 
			
			
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					चरित्रा					 :
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					स्त्री० [सं० चरित्र+टाप्] इमली का पेड़।				 | 
			
			
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