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शब्द का अर्थ

छूँछा  : वि०=छूछा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
छूँटा  : पुं० [देश०] एक प्रकार का गहना जो काले काँच की गुरियों का बना होता है।
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छू  : पुं० [अनु०] मंत्र पढ़कर फूँक मारने का शब्द। जैसे–दन्त-डाक छू। मियाँ की माई का मूई की भू।–भारतेन्दु। मुहावरा–छू-मंतर होना=चंपत होना। गायब होना।
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छूआछूत  : स्त्री० [हिं० छूना+छूत] १. अछूत अर्थात् अस्पृश्य को न छूने या उससे अपने को न छुलाने की भावना या विचार। २. धार्मिक या सामाजिक दृष्टि से अस्पृश्य वस्तुओं या व्यक्तियों से छूए जाने का भाव। ३. बच्चों का एक खेल, जिसमें किसी एक लड़के को दूसरे लड़कों को छूना पड़ता है।
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छूई-मूई  : पुं० [हिं० छूना+मूना=मरना] लजालू या लज्जावंती नाम का पौधा जो स्पर्श किये जाने पर अपनी पत्तियाँ सिकोड़ लेता है।
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छूछा  : वि० [हिं० तुच्छ] १. (पात्र) जिसमें कुछ भी न हो। खाली। २. (व्यक्ति) जिसके पास या हाथ में धन, हथियार आदि कुछ न हो। जैसे–छूछे हाथ चला आया हूँ। ३. तत्त्वहीन। निःसार।
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छूट  : स्त्री० [हिं० छूटना] १. छूटने अर्थात् बंधन आदि से मुक्त होने की अवस्था, क्रिया या भाव। जैसे–बच्चों को मिलनेवाली खेलने की छूट। २. नियम, बंधन, मर्यादा आदि से मिली हुई स्वतंत्रता। जैसे–(क) दिल्लगी में होनेवाली छूट अर्थात् ऐसी स्थिति जिसमें मर्यादा, शिष्टता, श्लीलता आदि का ध्यान न रखा जाता हो। (ख) पटा, बनेठी, बांक आदि खेलों में की छूट अर्थात् वह स्थिति जिसमें खिलाड़ी अपने विपक्षी के जिस अंग पर चाहे चोट कर सकता है। ३. वह रियायत या सुविधा जिसके कारण किसी को कोई कत्तर्व्य या दायित्व पूरा न करने पर भी दंड का भागी नहीं समझा जाता है। ४. देय धन चुकाने में किसी कारण से मिलनेवाली सुविधा जिसमें उसका कुछ अंश नहीं देना पड़ता है। ५. असावधानता, जल्दी आदि के कारण कार्य के किसी अंग पर ध्यान न जाने अथवा उसके छूट या रह जाने की अवस्था या भाव ६. मालखंभ की एक कसरत। ७. स्त्री-पुरूष का संबंध त्याग। ८. परिहास के समय अशिष्ट अश्लील आदि बातों का किया जानेवाला प्रयोग (बोलचाल)।
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छूटना  : अ० [सं० छुट्ट या आच्छोहन] १. बंधन आदि से मुक्त होकर स्वतंत्र होना। जैसे–(क) कैदियों का छूटना। (ख) सांसारिक आवागमन या जन्म-मरण से छूटना। २. जकड़, पक़ड आदि से रहित होकर अलग या दूर होना। जैसे–हाथ में पकड़ा हुआ गिलास या शीशा छूटना (अर्थात् नीचे गिर पड़ना) ३. द्रव पदार्थ का बंधन टूटने या हटने पर धारा के रूप में वेगपूर्वक आगे बढ़ना। जैसे–रक्त की धारा छूटना। ४. द्रव पदार्थ का किसी चीज में से रस-रसकर निकलना। जैसे–(क) शरीर में से पसीना छूटना। (ख) पकाते समय तरकारी में से पानी छूटना। ५. निर्दोष सिद्ध होने पर अभियोग, आरोप आदि की क्रियाओं से मुक्त या रहित होना। बरी होना। जैसे–अदालत से अभियुक्त का छूटना। ६. व्यवहार, संग-साथ से अलग या विमुक्त होना। वियोग होना। बिछुड़ना। जैसे–(क) नौकरी के कारण घर छूटना। (ख) लड़ाई-झगड़े के कारण भाई-बंधु या मित्र छूटना। ७. देन आदि चुकाये जाने पर अथवा और किसी प्रकार से किसी दूसरे के हाथ गई हुई वस्तु का वापस मिलना। जैसे–(क) बंधक रखा हुआ मकान छूटना। (ख) वयस्क होने पर अभिभावक के हाथ से संपत्ति छूटना। ८. किसी स्थान पर जमे या लगे हुए तत्त्व या पदार्थ का किसी प्रकार अलग या दूर होना। जैसे–(क) कागज पर लगा हुआ टिकट छूटना। (ख) कपड़े पर लगा हुआ दाग या मैल छूटना। (ग) दीवार पर लगा हुआ रंग छूटना। ९. यांत्रिक, रासायनिक आदि क्रियाओं से चलनेवाली चीजों के संबंध में पकड़ या रोक से निकलकर वेगपूर्वक किसी ओर बढ़ना या किसी व्यापार में प्रवृत्त होना। जैसे–आतिशबाजी, गोली, तीर या फुहारा छूटना। १॰. आगे बढ़ते हुए या चलते समय मार्ग में किसी का पीछे पड़ या रह जाना। जैसे्–(क) यात्रियों में से किसी का पीछे छूटना। (ख) किसी की दूकान या कोई बाजार पीछे छूटना। ११. किसी यान आदि की गंतव्य स्थान के लिए चल पड़ना। प्रस्थान या यात्रा आरंभ करना। जैसे–गाड़ी या जहाज छूटना। १२. अनुसंधान करने या टोह लेने के लिए किसी के पीछे लगना या लगाया जाना। जैसे–उनके पीछे जासूस छूटे हैं। १३. शारीरिक विकार का दूर होना अथवा न रह जाना। जैसे–खाँसी या बुखार छूटना। १४. कुछ विशिष्ट मानसिक या शारीरिक क्रियाओं के संबंध में, अस्तित्व, गति, व्यवहार, व्यापार आदि से रहित होना। जैसे–(क) रोगी की नाड़ी या प्राण छूटना। (ख) भय या साहस छूटना। (ग) अभ्यास या आदत छूटना। 1५. काम-धंधे से अलग किया जाना या होना। जैसे–नौकरी या रोजगार छूटना। १६. कष्ट, विपत्ति, बाधा, विघ्न आदि से मुक्त या रहित होना। जैसे–(क) झगड़े-बखेड़े या मुकदमेबाजी से जान छूटना। १७. औचित्य, मर्यादा आदि का इस प्रकार अतिक्रमण या उल्लंघन होना कि उसके फल-स्वरूप कोई अनुचित या निन्दनीय कार्य या व्यापार घटित हो। जैसे–(क) बात-चीत करने में जबान छूटना। (ख) क्रोध में किसी पर हाथ छूटना। 1८. कथन, लेख आदि के प्रसंग में, आवश्यक या उपयुक्त पद वाक्य या विषय यथास्थान आदि आने से रह जाना। जैसे–(क) भाषण में कोई प्रसंग छूटना। (ख प्रतिलिप करने में अक्षर, पद या वाक्य छूटना। १९. किस चीज का भूल से कहीं रह जाना या न लाया जाना। जैसे–न जाने मेरा छाता कहाँ छूट गया है। २॰. उपयोग, व्यवहार आदि में आने से बचा या रह जाना। जैसे–(क) थाली में जूठन छूटना (ख) प्रश्नपत्र में का कोई प्रश्न छूटना। २१. नियम, व्रत आदि का भंग होना। जैसे–रोजा छूटना। २२. संयोग के लिए नर का मादा की ओर प्रवृत्त होना या उस पर आसन जमाना। जैसे–घोड़ी पर घोड़ा छूटना।
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छूटा  : स्त्री० [हिं० छूटना] एक प्रकार की बरछी। वि=छुट्टा।
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छूत  : स्त्री० [सं० युप्ति, प्रा० छुट्टी] १. छूने की क्रिया या भाव। मुहावरा–छूत छुड़ाना=पीछा छुड़ाने या नाम-मात्र के लिए यों ही अवज्ञापूर्वक कोई काम करना। २. ऐसा निषिद्ध संसर्ग जिससे रोग आदि का संचार होता हो। ३. गंदी अथवा घृणित वस्तु का संसर्ग। ४. धार्मिक क्षेत्र में अपवित्र होने अथवा घृणित वस्तु छूने पर लगनेवाला दोष। ५. यह धारणा कि अमुक वस्तु या व्यक्ति छूने अथवा उससे छुए जाने पर हम अपवित्र हो जायँगे। ६. व्यक्ति पर पड़नेवाली भूत-प्रेत आदि की छाया या उससे होनेवाली बाधा। मुहावरा–छूत जाड़ना=प्रेत बाधा दूर करना।
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छूत-छात  : स्त्री० [हिं० छूत+अनु० छात] स्पृश्य और अस्पृश्य का भाव। छुआछूत।
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छूना  : स० [सं० चुपति, प्रा० छुवइ] १. उँगलियों या हाथ से किसी वस्तु या व्यक्ति को अथवा उसके तल का कोई अंश स्पर्श करना। मुहावरा–आकश छूना=बहुत ऊँचा होना। २. शरीर के किसी अंग का अथवा पहने हुए किसी वस्त्र का किसी से लगना या स्पर्श करना। जैसे–तुम्हें चमार ने छू दिया है। ३. दान के लिए कोई वस्तु स्पर्श करना। जैसे–चावल छूकर भिखमंगे को बाँटना। ४. ऐसा काम करना जिससे किसी चीज में गति उत्पन्न हो। जैसे–हृदय के तार छूना। ५. किसी विषय के संबंध में कुछ कहना या लिखना। जैसे–इस विषय को भी उन्होंने छुआ है। ६. लीपना। पोतना। जैसे–कमरा छूना।
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