शब्द का अर्थ
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छेद :
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पुं० [सं०√ छिद्+घञ्] १. काटने, छेदने या विभक्त करने की क्रिया या भाव। जैसे– उच्छेद विच्छेद। २. बकरे आदि मारने की झटका नाम की क्रिया। उदाहरण–कतहूँ मिस मिल कतहूँ छेद।–कबीर। ३. विनाश। बरबादी। पुं० [सं० छिद्र] १. किसी वस्तु में का दोनों का दोनों ओर से खुला हुआ छोटा अंश। छिद्र। सुराख। जैसे–चलनी में का छेद, कपड़े में का छेद। २. किसी घन या ठोस वस्तु में का वह गहरा स्थान जिसमें से उस वस्तु का कुछ अंश निकाल लिया गया हो। जैसे–जमीन या दीवार में का छेद। ३. विवर। बिल। ४. दोष। दूषण। |
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समानार्थी शब्द-
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छेदन :
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पुं० [सं०√छिद्+ल्युट-अन] छेदने की क्रिया या भाव। |
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छेदनहार :
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वि० [हिं० छेदना+हार (प्रत्यय)] १. छेदनेवाला। २. काटनेवाला। ३. नष्ट करने या मिटानेवाला। |
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छेदना :
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स० [सं० छेदन] १. किसी तल में नुकीली वस्तु धँसाकर उसमें छेद या सुराख करना। २. शरीर में क्षत या घाव करना। जैसे–तीरों से किसी का शरीर छेदना। ३. छिन्न करना। काटना। |
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छेदनीय :
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वि० [सं०√ छिद+अनीयर] जिसका छेदन हो सकता हो या किया जाने को हो। |
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छेदि :
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वि० [सं० छिद+इनि] छेद करनेवाला। पुं० बढ़ई। |
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छेदिका :
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स्त्री० [सं० छेदक+टाप्, इत्व] १. छेदन करनेवाली चीज या रेखा। २. ज्यामिति में वह रेखा जो किसी वक्र रेखा को दो या अधिक भागों में काटती हो (सिकैन्ट)। |
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छेदित :
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भू० कृ० [सं० छेद+इतच्] १. जिसमें छेद किया गया हो। छेदा हुआ। २. कटा या काटा हुआ। |
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