| शब्द का अर्थ | 
					
				| जंत्र					 : | [सं० यंत्र] १. यंत्र (दे०)। २. ताला। | 
			
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				| जंत्रना					 : | पुं० [सं० जंत्र](यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) १. जंत्र अर्थात् ताला लगना। २. बाँध या रोक (दे.) रखना। स,.स्त्री० [सं० यंत्रणा] १. यंत्रणा देना। दुःख देना। २. दंड देना। | 
			
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				| जंत्र-मंत्र					 : | पुं०=जंतर-मंतर। | 
			
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				| जंत्रा					 : | स्त्री=जंतरा। | 
			
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				| जंत्रित					 : | वि० [सं० यंत्रित] १. यंत्र द्वारा बाँधा या रोका हुआ। २. जो किसी के वश में हो। पर-वश। | 
			
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				| जंत्री					 : | पुं० [सं० यंत्रिन्] वीणा आदि बजानेवाला। बाजा बजानेवाला व्यक्ति। पुं० [सं० यंत्र] बाजा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री०=जंतरी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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