शब्द का अर्थ
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जद :
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अव्य० [सं० यदा] १. जिस समय। २. जब कभी। ३. यदि। स्त्री० [फा० जद] १. आघात। चोट। २. लक्ष्य। निशाना। ३. हानि। नुकसान। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जदनी :
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वि० [फा०] मारने योग्य। वाध्य। स्त्री० मारने की क्रिया या भाव। |
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जदपि :
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अव्य=यद्यपि।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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जदबद :
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पुं=जद्दबद्द। |
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जदल :
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पुं० [अं०] युद्ध। लड़ाई। |
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जदवर, जदवार :
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पुं० [अ० जडदवार] निर्विषी नामक ओषदि। निर्विसी। |
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जदा :
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वि० [फा० ज़दा] १. जिस पर किसी प्रकार का आघात हुआ हो। २. पीड़ित। |
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जदि :
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अव्य=यदि। २. =जब।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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जदीद :
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वि० [अ०] १. नया । नवीन। २. आधुनिक। हाल का। |
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जदु :
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पुं०=यदु।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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जदुकुल :
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पुं०=यदुकुल।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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जदुपति :
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पुं० [सं० यदुपति] श्रीकृष्ण।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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जदुपाल :
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पुं० [सं० यदुपाल] श्रीकृष्ण। |
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जदुपुर :
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पुं०=यदुपुर (मथुरा)। |
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जदुबंसी :
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पुं०=यदुवंशी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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जदुबीर :
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पुं०=यदुवीर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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जदुराई :
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पु० [सं० यदुराज] श्रीकृष्णचंद्र। |
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जदुराज :
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पुं० [सं० यदुराज] श्रीकृष्ण चंद्र। |
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जदुराम :
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पुं० [सं० यदुराम] यदुकुल के राम। बलदेव। |
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जदुराय :
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पुं० [सं० यदुराज] श्रीकृष्णचंद्र। |
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जदुबर :
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पुं० [सं० यदुवर] श्रीकृष्णचंद्र।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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जदुवीर :
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पुं=यदुवीर। |
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जद्द :
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पुं० [अं०] १. दादा। पितामह। २. पूर्वज। वि० [अ० ज्यादा] अधिक। ज्यादा। वि० [फा० जद] प्रचंड। प्रबल। अव्य० [सं० यदि] १. जब। २. जब कभी। |
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जद्दपि :
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अव्य०=यद्यपि।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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जद्दबद्द :
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पुं० [सं० यत्+अवद्य] अकथनीय या अश्लील बात। |
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जद्दव :
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पुं० [सं० यादव] श्रीकृष्ण। उदाहरण–का चहुआनि कित्ति, जेपि जद्दव रस चंगी।–चंदबरदाई। |
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जद्दी :
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वि० [अं०] (वह अधिकार या संपत्ति) जो बाप-दादाओं से उत्तरा-धिकार में मिलती हो। बाप-दादाओं के समय से चला आनेवाला। स्त्री० कोशिश। प्रयत्न। |
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जद्दौ :
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पुं० [सं० यादव] यादववंशी राजा। |
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