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टाँगना  : स० [हिं० टँगना का स०] १. किसी चीज को किसी ऊँचे स्थान पर इस प्रकार अटकाना, बाँधना या लगाना कि वह बिना आधार के अधर में खड़ी, झूलती या लटकती रहे। जैसे–(क) रस्सी पर कपड़े या खूँटी में छीका टाँगना। (ख) दीवार पर घड़ी या चित्र टाँगना। २. छीकें आदि पर कोई चीज सुरक्षा के लिए रखना। जैसे–दही दूध या तरकारी टाँगना। ३. फाँसी पर चढ़ना या लटकाना। विशेष–टाँगना में मुख्य भाव किसी चीज के ऊपरी भाग को कहीं लगाने का और लटकाना में चीज के नीचेवाले भाग के झूलते या लटकते रहने का है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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