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ठेंगा  : पुं० [हिं० हेंठ+अंग या अँगूठा] १. किसी को उसकी विफलता पर चिढ़ाने या लज्जित करने के लिए दिखाया जानेवाला दाहिना हाथ का अँगूठा। क्रि० प्र०–दिखाना। पद–ठेंगे से=हमारी बला से। हमें कुछ चिन्ता या परवाह नहीं हैं। (बाजारू)। मुहावरा–ठेंगा बजना=लज्जाजनक विफलता होना। २. लिगेंद्रिय (अशिष्ट) ३. डंडा। सोंटा। उदाहरण–जम का ठेंगा बुरा है ओहु नहि सहिआ जाई।-कबीर। मुहावरा–ठेंगा बजाना=लाठियों से मार-पीट होना। ४. मध्ययुग में, बिक्री के माल पर लिया जानेवाला महसूल। चुंगी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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