शब्द का अर्थ
|
ढोर :
|
पुं० [हिं० ढुरना] गाय, बैल आदि पशु। चौपाया। स्त्री० [हिं० ढुरना] १. ढुरने की क्रिया या भाव। २. अंगों आदि का कोमलतापूर्ण और मोहक संचालन। नजाकत की दशा। उदाहरण–-कोमल चरन कौल नटवर ढोर मोर, पोर-पोर छोरै छवि कोटिन अनंग की।– |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ढोरना :
|
स० [हिं० ढारना] १. ढालना। ढरकाना। २. लुढ़काना। ३. हिलाना-डुलाना। ४. (अपने या किसी के) पीछे या साथ चलने में प्रवृत्त करना। पीछे लगाना। अ० १. जमीन पर लोटना या लुढ़कना। २. किसी का अनुयायी बनकर उसके पीछे या साथ चलना। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ढोरा :
|
पुं=ढोर। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ढोरी :
|
स्त्री० [हिं० ढोरना] १. ढोरने का भाव। २. उत्कट अभिलाषा। ३. धुन। लगन। उदाहरण–-ढोरी लाई सुनन की कहि गोरी मुसकात।–बिहारी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |