शब्द का अर्थ
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तल :
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पुं० [सं०√तल (स्थिरहोना)+अच्] १. किसी चीज के बिलकुल नीचे का अंश या भाग। तला। पेंदा। २. जलाशय आदि के बिलकुल नीचे की जमीन जिस पर जल होता है। जैसे–नदी या समुद्र का तल। ३. किसी चीज के नीचेवाला भाग या स्थान। जैसे–तरुतल। ४. सात पातालों में से पहला पाताल। ५. एक नरक का नाम। ६. किसी चीज की ऊपरी सतह। जैसे–धरातल या समुद्रतल से १॰॰॰ फुट की ऊँचाई। ७. किसी पदार्थ के किसी पार्श्व का पैलाव या विस्तार। जैसे–चौकोर वस्तु के चारों तल। ८. चमड़े का वह पट्टा जो धनुष की डोरी की रगड़ से बचने के लिए बायी बाँह पर पहना जाता था। ९. बाएँ हाथ से वीणा बजाने की कला या क्रिया। १॰. हाथ की हथेली। ११. कलाई। पहुँचा। १२. बित्ता। बालिश्त। १३. पैर का तलवा। १४. गड्ढा। १५. ताड़ का पेड़ और फल। १६. दस्ता मुठिया। हत्था। १७. गोह नामक जंतु। १८. आधार। सहारा। १९. चपत। थप्पड़। २॰. जंगल। वन। २१. शिव का एक नाम। २२. कारण। मूल। २३. उद्देश्य। २४. स्वभाव। |
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समानार्थी शब्द-
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तलक :
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पुं० [सं० तल√कै (प्रकाश)+क] ताल। पोखरा। अव्य० हिं० ‘तक’ का पुराना रूप।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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तल-कर :
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पुं० [ष० त०] ताल या तालाब में होनेवाली वस्तुओं पर लगनेवाला कर। |
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तलकी :
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स्त्री० [देश०] एक तरह का पेड़ जिसकी लकड़ी का रंग ललाई लिए हुए भूरा होता है। |
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तलकीन :
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स्त्री० [अ० तल्कीनः] शिक्षा। |
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तलख :
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वि० [फा०] १. जिसमें कड़ुआपन हो। २. उग्र। प्रचंड। |
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तलखी :
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स्त्री० [फा० तल्खी] १. कडुआपन। कडुआहट २. स्वभाव का चिड़िचिड़ापन। |
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तलगू :
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स्त्री०=तेलगू। |
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तलघरा :
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पुं० [सं० तल+हिं० घर] तल अर्थात् नीचे का कमरा या घर। तहखाना। |
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तल-छट :
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स्त्री० [हिं० तल+छँटना] १. किसी तरल या द्रव पदार्थ के नीचे बैठी हुई गाद या मैल। तलौंछ। २. तरल पदार्थ में घुली या मिली हुई चीज का वह अंश जो भारी होने के कारण नीचे बैठ जाता है। कल्क। (सेडिमेन्ट)। |
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तलछटी :
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वि० [हिं० तल-छट-ई (प्रत्यय)] पिघले हुए गरम स्निग्ध द्रव्य में कोई खाद्य वस्तु छोड़कर पकाना। जैसे–पापड़, पकोड़े या पूरियां तलना। |
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तलप :
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पुं=तल्प।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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तल-पट :
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पुं० [मध्य० स] आय-व्यय फलक। वि० [हिं० तले+पट] चौपट। नष्ट। बरबाद। उदाहरण–कहीं न मुफ्त में देखों या माल तलपट हो।–नासिख। |
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तलपना :
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अ०=तड़पना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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तलफ :
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वि० [अ०] [भाव० तलफी] नष्ट। बर्बाद। |
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तलफना :
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अ०=तड़पना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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तलफाना :
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स०=तड़पाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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तलफी :
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स्त्री० [फा०] १. तलफ अर्थात् नष्ट होने की अवस्था या भाव। नाश। बरबादी। २. नुकसान। हानि। पद–हक-तलफी। (दे०)। |
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तलफ्फुज :
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पुं० [अ०] अक्षरों तथा शब्दों का उच्चारण। |
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तलब :
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स्त्री० [अ०] १. खोज। तलाश। २. प्राप्त करने की इच्छा। मुहावरा–तलब करना=किसी से अधिकारपूर्वक कुछ माँगना। ३. आवश्यकता। ४. बुलाना। बुलाहट। उदाहरण–-आवै तलब बांधि लै चालै बहुरि न करिहै फेरा।–कबीर। ५. तनख्वाह। वेतन। |
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तलबगार :
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वि० [फा०] १. तलब करने या चाहनेवाला। २. माँगनेवाला। |
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तलबाना :
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पुं० [फा० तल्बानः] १. गवाहों को कचहरी में तलब करने अर्थात् बुलाने के लिए अदालत के अधिकारी के पास जमा किया जानेवाला व्यय। २. वह अर्थदंड जो जमींदार को समय पर मालगुजारी न जमा करने पर भरना पड़ता था। |
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तलबी :
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स्त्री० [अ०] १. बुलाहट। २. माँग। |
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तलबेली :
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स्त्री० [हिं० तलफना] १. कुछ प्राप्त करने के लिए मन में होनेवाली व्यग्रता। छटपटी। २. विकलता। बेचैनी। |
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तल-मल :
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पुं० [मध्य० स] तल-छट। तलौंछ। |
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तलमलाना :
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अ० [भाव० तलमलाहट] दे० ‘तिलमिलाना’। |
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तलव :
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पुं० [सं० तल√वा (गति)+क] गानेवाला। गवैया। |
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तलव-कार :
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पुं० [ष० त०] १. सामवेद की एक शाखा। २. एक उपनिषद्। |
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तलवा :
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पुं० [सं० तल] पैर के बिलकुल नीचे का चिपटा अंश जोखड़े होने और चलने के समय जमीन पर पड़ता है। पद–तल। मुहावरा–तलवा (या तलवे) खुजलाना=तलवे (या तलवों) में खुजली होना जो लोक में इस बात का सूचक माना जाता है कि शीघ्र ही कोई यात्रा करनी पड़ेगी या कहीं बाहर जाना पड़ेगा। तलवा (या तलवे) न टिकना=एक जगह कुछ देर न बैठे रहा जाना। बराबर इधर-उधर आते-जाते या घूमते रहना। चलते-चलते तलवे चलनी या छलनी होना=इतनी अधिक दौड़-धूप करना कि पैरों में दम न रह जाय। (किसी के) तलवे चाटना=किसी को प्रसन्न करने के लिए उसकी छोटी-सी छोटी सेवाएँ करना। (किसी के) तलवे धो-धो कर पीना=अत्यन्त सेवा-शुश्रुवा करना। अत्यन्त प्रेम प्रकट करना। (किसी के) तलवे सहलाना=प्रसन्न करने के लिए बहुत ही दीन बनकर सभी तरह की सेवाएं करना। (कोई चीज) तलवों तले मेटना=कुचल कर नष्ट कर देना। रौंद डालना। (स्त्री०)। (कोई बात) तलवों तले मेटना=पूरी तरह से अवज्ञा या उपेक्षा करना। तुच्छ या हेय समझना। (किसी के) तलवों से आँखें मलना=दीन भाव से बहुत अधिक आदर-सत्कार और सेवा-सुश्रुषा करना। (कोई चीज) तलवों से मलना=पैरों से कुचल या रौंदकर नष्ट करना। (कोई बात देख या सुनकर) तलवों से लगना, सिर में जाकर बुझना=इतना अधिक क्रोध चढ़ना कि मानों सारा शरीर जल रहा हो। नीचे से ऊपर तक सारा शरीर जल जाना। (कभी-कभी इस मुहावरे का संक्षिप्त रूप होता है–तलवों से लगना, जैसे–उसकी बातें सुनकर मुझे तो तलवों से (आग) लग गई)। |
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तलवार :
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स्त्री० [सं० तलवारि] लोहे का एक लंबा धारदार प्रसिद्ध हथियार जिसके आघात से प्राणियों के अंग काटकर अलग किये जाते अथवा सिर काटकर उनकी हत्या की जाती है। मुहावरा–तलावर करना=तलवार की सहायता से युद्ध या वार करना। तलवार चलाना। तलवार कसना=तलवार का फल झुकाकर उसके लोहे की उत्तमता की परीक्षा करना। (किसी को) तलवार का पानी पिलाना=तलवार से आघात या वार करना। तलवार की छाँह (या छाहों) में=ऐसी स्थिति में जहाँ चारों ओर अपने सिर पर नंगी तलवारें ही दिखाई देती हों। (किसी को) तलवार के घाट उतारना-तलवार का आघात करके प्राण लेना। तलवार खींचना=आघात या वार करने के लिए म्यान से तलवार बाहर निकालना। तलवार तौलना=भरपूर वार करने के लिए तलवार ठीक ढंग से ऊपर उठाना। तलवार पर हाथ रखना (या ले जाना) तलवार से वार या आघात करने को उद्यत होना। तलवार बाँधना=इस उद्देश्य से तलवार सदा अपनी कमर में लटकाये रखना कि जब आवश्यकता हो, तब उसका उपयोग किया जा सके। तलावर सौंतना-तलवार तौलना। (देखें ऊपर)। पद–तलवार का खेत=लड़ाई का मैदान। युद्ध-क्षेत्र। तलवार का छाला-तलवार के फल पर उभरा हुआ चिन्ह या दाग। तलवार का डोरा=तलवार की धार या बाढ़ जो डोरे या सूत की तरह जान पड़ती है। तलवार का पट्टा या पट्ठा=तलवार का चौड़ा फल। तलावर का पानी=तलवार की चमकीली रंगत जो उसके बढ़िया होने की सूचक होती है। तलवार का फल=मूठ के आगे का सारा भाग। तलवार का बल=तलवार के फल का टेढ़ापन जो काट करने में सहायक होता है। तलवार का बाट=तलवार में वह स्थान जहां से इसका टेढ़ापन आरंभ होता है। तलवार का मुँह=तलवार की धार। तलवार का हाथ=(क) तलवार का आघात। (ख) तलवार चलाने का ढंग या प्रकार। तलवार की आँच=तलवार का आघात या वार। तलवार की माला=तलवार की मूठ और फल का वह जोड़ जो दुंबाले के पास होता है। |
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तलवारिया :
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पुं० [हिं० तलवार] वह व्यक्ति जो अच्छी तरह तलवार चलाना जानता हो। |
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तलवारी :
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वि० [हिं० तलवार] तलवार संबंधी। जैसे–तलवारी हाथ। |
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तलहटी :
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स्त्री० दे० ‘तराई’। |
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तलहा :
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वि० [हिं० ताल] ताल संबंधी। ताल काया ताल में होनेवाला। वि० [हिं० तल] तल अर्थात् नीचेवाले भाग में होने या रहनेवाला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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तलांगुलि :
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स्त्री० [संतल-अंगुलि,ष० त०] पैर की उँगली। |
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तला :
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पुं० [सं० तल] १. तल। (पेंदा)। २. तलवा। ३. जूते के नीचे का वह चमड़ा जो चलते समय जमीन पर पड़ता है। |
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तलाई :
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स्त्री० [हिं० ताल] छोटा ताल। तलैया। स्त्री० [हिं० तलना] तलने की क्रिया, भाव और मजदूरी। स्त्री० [हिं० तलाना] तलाने की भाव या मजदूरी। |
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तलाउ :
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पुं०=तलाव।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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तलाक :
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पु० [अ०] १. पति और पत्नी का विधि या नियम के अनुसार वैवाहिक संबंधों का होनेवाला पूर्ण विच्छेद। २. बोल-चाल में, किसी चीज को सदा के लिए छोड़ या त्याग देने की क्रिया या भाव। क्रि० प्र०–देना। |
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तलाची :
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स्त्री० [सं०] चटाई। |
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तलातल :
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पुं० [सं० तल-अतल, ष० त०] पुराणानुसार सात पातालों में से एक। |
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तलाफी :
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स्त्री० [सं० तलाफी] क्षति-पूर्ति। |
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तलाब :
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पुं०=तालाब।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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तलाबेली :
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स्त्री=तलबेली (बेचैनी)। |
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तलामली :
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स्त्री०=तलाबेली (तलबेली)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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तलाव :
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पुं० [हिं० तलना] तलने की क्रिया, ढंग या भाव। पुं० [सं० तल्ल] तालाब।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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तलाश :
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स्त्री० [तु०] १. किसी खोई हुई अथवा लुप्त व्यक्ति आदि का पता लगाने का काम। अन्वेषण। खोज। २. किसी नई चीज या बात का पता लगाने के लिए किया जानेवाला प्रयत्न। ३. आवश्यकता की पूर्ति के लिए होनेवाली चाह। |
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तलाशना :
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स० [फा० तलाश] १. तलाश करना० खोजना। ढूँढ़ना। २. किसी बात या विषय का अनुसंधान करना। |
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तलाशा :
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स्त्री [सं०] एक तरह का पेड़। |
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तलाशी :
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स्त्री० [फा०] १. तलाश करने के लिए किया जानेवाला प्रयत्न० २. अवैध रूप से छिपाई गई वस्तु का पता लगाने के लिए किसी संदिग्ध व्यक्ति के शरीर, घर आदि की होनेवाली देख-भाल। क्रि० प्र०–देना।–लेना। |
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तलि :
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क्रि० वि० पुं० हिं० में तले का एक रूप। उदाहरण–तलि कर साखा उपरि करि मूल।–कबीर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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तलिका :
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स्त्री० [सं० तल+ठन्-इक+टाप्] पशुओं विशेषतः घोड़ो के मुँह पर बाँधी जानेवाली वह थैली जिसमें दाना आदि भरा होता है। तोबड़ा। |
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तलित् :
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स्त्री० [सं० तडित्, ड-ल] दे० ‘तडित्’। |
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तलित :
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भू० कृ० [हिं० तलना से] तला हुआ। |
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तलिन :
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वि० [सं०√तल्+इनन्] १. दुबला-पतला। २. जीर्ण-शीर्ण। टूटा-फूटा। ३. इधर-उधर छितरा या फैला हुआ। विरल। ४. कम। थोड़ा। ५. साफ। स्वच्छ। स्त्री० शय्या। सेज। |
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तलिम :
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पुं० [सं०√तल्+इमन्] १. छत। पाटन। २. खाट या पलंग। शय्या। ३. चँदोआ। ४. खाँगा। ५. बड़ी छुरी। छुरा। ६. जमीन पर का पक्का फर्श। |
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तलिया :
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स्त्री० [सं० तल] १. तल। पेंदा। २. हाथ और पैर का तल। जैसे–हाथ की तली, पैर की तली। ३. पूजन आदि केसमय पैर की तली के नीचे रखा जानेवाला पैसा। ४. दे० ‘तलछट’। |
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तलुआ :
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पुं०=तालू।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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तलुन :
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पुं० [सं०√तृ (गति)+उनन्] १. वायु। हवा। २. जवान आदमी। मरद। |
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तले :
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क्रि० वि० [सं० तल] १. किसी चीज के तल या नीचेवाले भाग में। २. किसी ऊँची या ऊपर टँगी हुई वस्तु से नीचे। पद–तले-ऊपर=(क) एक के ऊपर दूसरा। (ख) उलट-पलट किया हुआ। तले-ऊपर के-ऐसे दो बच्चे जिनमें एक दूसरे के ठीक-बात उत्पन्न हुए हों। तले ऊपर होना-प्रसंग या संभोग करना। (जी) तले ऊपर होना-(क) घबराहट या विकलता होना। (ख) जी मिचलाना। मितली होना। ३. किसी के वश या शासन में। जैसे–इस अधिकारी के तले पाँच आदमी काम करते हैं। |
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तलेक्षण :
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पुं० [सं० तल-ईक्षण, ब० स०] सूअर। (जन्तु) |
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तलेटी :
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स्त्री० [सं० तल] १.=पेंदी। २.=तलहटी। (तराई)। |
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तलैंड :
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वि० [सं० तल] १. तल में होने या नीचे रहनेवाला। २. तुच्छ। हीन। |
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तलैचा :
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पुं० [हिं० तले] वास्तु शास्त्र में, छत और मेहराब के बीच का भाग या रचना। |
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तलैया :
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स्त्री० [हिं० ताल] छोटा ताल या तालाब। |
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तलोदर :
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वि० [सं० तल-उदर, ब० स०] [स्त्री० तलोदरी] तोंदवा ला। |
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तलोदरी :
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स्त्री० [सं० तलोदर-ङीष्] स्त्री। भार्या। वि० ‘तलोदर’ का स्त्री रूप। |
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तलोदा :
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स्त्री० [सं० तल-उदक, ब० स० उपादेश] नदी। |
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तलौंछ :
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स्त्री० [सं० तल-नीचे] द्रव पदार्थ के पात्र के तल में जमी हुई मैल। तल-छट। |
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तलौवन :
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पुं० [अ०] १. मत, विचार, सिद्धांत स्थिति आदि में होनेवाला परिवर्तन। २. किसी बात या विचार पर स्थिर न होने का भाव। |
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तल्क :
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पुं० [सं०√तल्+कन्] वन। जंगल। |
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तल्ख :
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वि० [फा० तल्ख] [भाव० तल्खी] १. (पदार्थ) कडुआ। कटु। २. (स्वभाव) जिसमें कटुता, चिड़चिड़ापन आदि बातें अधिक हों। |
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तल्प :
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पुं० [सं०√तल+पक्] १. पलंग। सेज। शय्या। २. बिछौना। बिस्तर। उदाहरण–-दूर्वादल की तल्प तुम्हारा।–पंत। ३. मकान का ऊपरी खंड। ४. अटारी। |
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समानार्थी शब्द-
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तल्यक :
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पुं० [सं० तल्प+कन्] १. पलंग। २. पलंग पर बिस्तर करनेवाला सेवक। |
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तल्प-कीट :
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पुं० [मध्य० स०] पलंग में रहनेवाला कीड़ा खटमल। |
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समानार्थी शब्द-
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तल्पज :
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पुं० [सं० तल्प√जन् (उत्पन्न होना)+ड] क्षेत्रज पुत्र। |
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तल्पन :
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पुं० [सं० तल्प+क्विप् (नाम धातु)+ल्युट-अन] १. हाथी की पीठ। २. हाथी की पीठ का मांस। |
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समानार्थी शब्द-
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तल्पल :
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पुं० [सं० तल्प√ला (लेना)+क] हाथी की रीढ़। |
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समानार्थी शब्द-
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तल्ल :
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पुं० [सं० तत्√ली (लीन होना)+ड] १. बिल। विवर। २. गड्ढा। ३. ताल। तालाब। |
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तल्लज :
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वि० [सं० तत्√लज् (कान्ति)+अच्] उत्तम श्रेष्ठ। |
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समानार्थी शब्द-
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तल्लह :
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पुं० [सं० तल्ल√हा (त्यागना)+क] कुत्ता। |
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समानार्थी शब्द-
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तल्ला :
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पुं० [सं० तल] १. तल। पेंदा। २. जूते में चमड़े का वह अंश या भाग जो तलवे के नीचे रहता है और जमीन पर पड़ता है। तला। ३. किसी प्रकार की दोहरी चीज में तले या नीचे की परत या पल्ला। ४. कपड़े में लगाया जानेवाला अस्तर ५. निकटता। समीपता। पुं० [सं० तल्प] मकान का कोई खंड या मंजिल। जैसे–तीन तल्ले का मकान। |
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तल्लिका :
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स्त्री० [सं० तल्ल+कन्-टाप्, इत्व] ताले की कुंजी। ताली। |
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तल्ली :
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स्त्री० [सं० तत्√लस् (शोभित होना)+ड-ङीष्] १. तरुणी। युवती। २. नौका। नाव। ३. वरुण की पत्नी का नाम। स्त्री० [सं० तल] १. जूते का तल्ला। तला। २. दे० ‘तल-छट’। |
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तल्लीन :
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वि० [सं० तत्-लीन, स० त०] जो किसी काम या बात के संपादन में दत्तचित्त होकर लगा हो। मग्न। |
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समानार्थी शब्द-
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तल्लुआ :
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पुं० [देश०] मध्य युग में गाढ़े या सल्लम की तरह का एक प्रकार का मोटा कपड़ा। तुकरी। महमूदी। |
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समानार्थी शब्द-
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तल्लो :
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पुं० [सं० तल] जाँते का नीचेवाला पाट।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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तल्वकार :
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पुं०=तलवकार। |
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समानार्थी शब्द-
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तलकेश्वर :
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पुं० [सं० दे० तारकेश्वर] एक तरह की ओषधि। |
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