शब्द का अर्थ
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तुषार :
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पुं० [सं०√तुष् (प्रसन्न होना)+आरन्] १. हवा में उड़नेवाले वे जलकण जो जम जाने के फलस्वरूप जमीन पर गिर पड़ते हैं। पाला। २. लाक्षणिक रूप में, ऐसी बात जो किसी चीज को नष्ट कर दे। ३. बरफ। हिम। ४. एक प्रकार का कपूर। चीनिया कपूर। ५. हिमालय के उत्तर का एक प्राचीन प्रदेश जहाँ के घोड़े प्रसिद्ध थे। ६. उक्त प्रदेश में रहनेवाली एक जाति। वि० बरफ की तरह ठंढा। |
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समानार्थी शब्द-
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तुषार-कर :
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पुं० [सं० ब० स०] हिमकर। चंद्रमा। |
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तुषार-गौर :
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पुं० [सं० उपमि० स०] कपूर। |
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तुषार-मूर्ति :
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पुं० [ब० स०] चंद्रमा। |
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तुषार-पाषाण :
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पुं० [ष० त०] १. ओला। २. बरफ। हिम। |
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तुषार-रश्मि :
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पुं० [ब० स०] चंद्रमा। |
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तुषार-रेखा :
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स्त्री० [ष० त०] पर्वतों पर की वह कल्पित रेखा जिससे ऊपरवाले भाग पर बरफ जमा रहता है। (स्नो लाइन)। |
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तुषारर्तु :
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स्त्री० [तुषार-ऋतु, ष० त०] जाड़े का मौसम। शीतकाल। |
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तुषारांशु :
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पुं० [तुषार-अंशु, ब० स०] चंद्रमा। |
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तुषाराद्रि :
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पुं० [तुषार-अद्रि, ष० त०] हिमालय पर्वत। |
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