शब्द का अर्थ
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दाद :
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स्त्री० [सं० दद्रु] एक प्रसिद्ध चर्म रोग जिसमें शरीर के किसी अंग में ऐसे चकते पड़ जाते हैं, जिनमें बहुत खुजली होती है। वि० [फा०] समस्त पदों के अंत में दिया हुआ। जैसे—खुदादाद। स्त्री० १. इंसाफ। न्याय। क्रि० प्र०—चाहना।—देना।—माँगना। २. न्याय के लिए की जानेवाली प्रार्थना। ३. न्यायपूर्वक (अर्थात् बिना किसी प्रकार के पक्षपात के) किसी द्वारा किये हुए किसी काम और उसके कर्त्ता की भी की जानेवाली प्रशंसा। सराहना। मुहावरा—दाद देना=न्यायपूर्वक और बिना पक्षपात किये किसी की उक्ति, कार्य आदि की प्रशंसा करना। दाद पाना=उचित, अनुग्रह, न्याय, सत्कार आदि का पात्र या भाजन बनना। उदाहरण—सदा सर्बदा राज राम कौ सूर दादि तहँ पाई।—सूर। |
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समानार्थी शब्द-
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दाद-ख्वाह :
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वि० [फा०] न्याय चाहनेवाला। फरियाद करनेवाला। |
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दादगर :
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वि० [फा०] न्याय करनेवाला। |
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दादनी :
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स्त्री० [फा०] १. वह जो दिया जाने को हो। दातव्य २. वह धन जो किसी काम के लिए अग्रिम या पेशगी दिया जाय; विशेषतः वह धन जो खेतिहरों को अनाज पैदा होने के पहले बनिया या महाजन इसलिए पेशगी देता है कि अनाज दूसरों के हाथ न बिकने पावे। |
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दादमर्दन :
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पुं० [सं० दद्रुमर्दन] चकवँड़ नामक पौधा, जिसकी पत्तियाँ पीसकर दाद पर लगाई जाती हैं। |
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दाद-रस :
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वि० [फा०] न्याय करनेवाला। |
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दादरा :
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पुं० [?] संगीत में एक प्रकार का चलता गाना। (पक्के या शास्त्रीय गानों से भिन्न)। |
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दादस :
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स्त्री० [हिं० दादा+सास] सास की सास। ददिया सास। |
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दादा :
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पुं० [सं० तात] [स्त्री० दादी] १. पिता का पिता। पितामह। २. बड़े-बूढ़ों के लिए आदरसूचक संबोधन। पुं० [स्त्री० दीदी] बड़ाभाई। |
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दादि :
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स्त्री०=दाद (न्याय)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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दादी :
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पुं० [फा० दाद] वह जो दाद (अर्थात् कष्ट का प्रतिकार) चाहता हो। दाद या न्याय का प्रार्थी। स्त्री० हिं० ‘दादा’ (पितामह) का स्त्री०। |
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दादु :
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स्त्री० [सं० दद्रु] दाद।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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दादुर :
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पुं० [सं० दर्दुर] मेंढक। मंडूक। |
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दादुल :
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पुं०=दादुर। (मेंढक)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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दादू :
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पुं० [अनु० दादा] १. दादा के लिए संबोधन या प्यार का शब्द। २. बडे भाई के लिए स्नेहसूचक संबोधन। पुं० दे० ‘दादू दयाल’। |
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दादूदयाल :
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पुं० एक प्रसिद्ध संत जिनके नाम पर दादू नाम का पंथ चला है। कहते हैं कि ये अहमदाबाद के धुनिया थे। जो अकबर के शासन काल में हुए थे। कबीर-पंथी इन्हें कबीर का अनुयायी कहते हैं। |
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दादूपंथी :
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पुं० [हिं० दादू+पंथी] दादू दयाल नामक संत के चलाये हुए पंथ या संप्रदाय का अनुयायी। |
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