शब्द का अर्थ
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निमि :
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पुं० [सं०] १. आँखों की पलकें झपकाने की क्रिया या भाव। निमेष। २. महाभारत के अनुसार एक ऋषि जो दत्तात्रेय के पुत्र थे। ३. राजा इक्ष्वाकु के एक पुत्र जिनसे मिथिला का विदेह-वंश चला था। |
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निमिख :
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पुं०=निमिष। |
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निमित्त :
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पुं० [सं० नि√मिद् (स्नेह)+क्त] [वि० नैमित्तिक] १. वह कार्य या बात जिससे किसी दूसरे कार्य या बात का साधन हो। २. व्यक्ति, जो नाम-मात्र के लिए कोई काम कर रहा हो, जब कि वह कार्य करवाने या प्रेरणाशक्ति देनेवाला और कोई होता है। ३. हेतु। ४. चिह्न। लक्षण। ५. शकुन। ६. उद्देश्य। लक्ष्य। ७. बहाना। मिस। अव्य० किसी काम या बात के उद्देश्य या विचार से। लिए। वास्ते। जैसे–पितरों के निमित्त दान देना। |
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निमित्तक :
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वि० [सं० निमित्त+कन्] जो निमित्त मात्र हो। पुं०=चुंबन। |
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निमित्त-कारण :
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पुं० [सं० कर्म० स०] न्याय में, वह चीज, बात या व्यक्ति जो किसी के घटित होने, बनने आदि का आधार या मूल कारण हो। |
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निमि-राज :
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पुं० [सं० ष० त०] निमिवंशीय राजा जनक। |
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निमिष :
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पुं० [सं० नि√मिष् (आँख खोलना)+क] १. पलकों का गिरना या बंद होना। आँखें मिचना। निमेष। २. काल या समय का उतना मान जितना एक बार पलक गिरने या झपकने में लगता है। ३. सुश्रुत के अनुसार पलकों में होनेवाला एक प्रकार का रोग। ४. खिले हुए फूलों का मुँह बन्द होना। ५. विष्णु। |
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निमिष-क्षेत्र :
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पुं० [सं० मध्य० स० या ष० त०] नैमिषारण्य। |
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निमिषांतर :
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पुं० [सं० निमिष-अंतर, ष० त०] पलक गिरने या मारने का समय। |
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निमिषित :
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भू० कृ० [सं० नि√मिष्+क्त] निमीलित। भिचा या मुँदा हुआ। |
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