शब्द का अर्थ
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परिहास :
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वि० [सं० परि√हस् (हँसना)+घञ्] १. बहुत जोरों की हँसी। २. हँसी-मजाक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिहासापह्नुति :
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स्त्री० [सं० परिहास-अपह्नुति, मध्य० स०] साहित्य में, अपह्नुति अलंकार का एक भेद जिसमें पूर्वपद तो किसी अश्लील भाव का द्योतक होता है परंतु उत्तर-पद से उस अश्लीलत्व का परिहार हो जाता है और श्रोता हँस पड़ता है। उदा०—तुमको लाजिम है पकड़ो अब मेरा। हाथ में हाथ बामुहब्बतो प्यार।—कोई शायर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिहास्य :
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वि० [सं० परि√हस्+ण्यत्] १. जिसके संबंध में परिहास किया जा सके या हो सके। २. हास्यास्पद। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिहास :
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वि० [सं० परि√हस् (हँसना)+घञ्] १. बहुत जोरों की हँसी। २. हँसी-मजाक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिहासापह्नुति :
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स्त्री० [सं० परिहास-अपह्नुति, मध्य० स०] साहित्य में, अपह्नुति अलंकार का एक भेद जिसमें पूर्वपद तो किसी अश्लील भाव का द्योतक होता है परंतु उत्तर-पद से उस अश्लीलत्व का परिहार हो जाता है और श्रोता हँस पड़ता है। उदा०—तुमको लाजिम है पकड़ो अब मेरा। हाथ में हाथ बामुहब्बतो प्यार।—कोई शायर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिहास्य :
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वि० [सं० परि√हस्+ण्यत्] १. जिसके संबंध में परिहास किया जा सके या हो सके। २. हास्यास्पद। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |