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पाला  : पुं० [सं० प्रालेय] १. बादलों में रहनेवाले पानी या भाप के वे जमे हुए सफेद कण, जो अधिक सरदी पड़ने पर आकाश से पेड़-पौधों आदि पर पतली तह की तरह फैल जाते हैं और इस प्रकार उन्हें हानि पहुँचाते हैं। क्रि० प्र०—गिरना।—पड़ना। मुहा०—(किसी चीज पर) पाला पड़ना=(क) बुरी तरह से नष्ट होना। (ख) इतना दब जाना कि फिर जल्दी उठ न सके। जैसे—आशाओं पर पाला पड़ना। (फसल आदि को) पाला मार जाना=आकाश से पाला गिरने के कारण फसल की पैदावार खराब या नष्ट हो जाना। २. बहुत अधिक ठंढ या सरदी जो उक्त प्रकार के पात के कारण होती है। जैसे—इस साल तो यहाँ बहुत अधिक पाला है। पुं० [सं० पट्ट, हिं० पाड़ा] १. प्रधान स्थान। पीठ। २. वह धुस या भीटा अथवा बनाई हुई मेड़ जिससे किसी क्षेत्र की सीमा सूचित होती हो। ३. कबड्डी आदि के खेलों में दोनों पक्षों के लिए अलग-अलग निर्धारित क्षेत्र में जिसकी सीमा प्रायः जमीन पर गहरी लकीर खींचकर स्थिर की जाती है। पुं० [हिं०] १. पल्ला। २. लाक्षणिक रूप में, कोई ऐसा काम या बात जिसमें किसी प्रतिपक्षी को दबाना अथवा उसके साथ समानता के भाव से रहकर निर्वाह करना पड़ता है। मुहा०—(किसी से) पाला पड़ना=ऐसा अवसर या स्थिति आना जिसमें किसी विकट व्यक्ति का सामना करना पड़े, या उससे संपर्क स्थापित हो। जैसे—ईश्वर न करे, ऐसे दुष्ट से किसी का पाला पड़े। (किसी से) पाले पड़ना=ऐसी स्थिति में आना या होना कि जिससे काम पड़े, वह बहुत ही भीषण या विकट व्यक्ति सिद्ध हो। जैसे—तुम भी याद करोगे कि किसी के पाले पड़े थे। ३. वह जगह जहाँ दस-बीस आदमी मिलकर बैठा करते हों। ४. अखाड़ा। ५. कच्ची मिट्टी का वह गोलाकार ऊँचा पात्र, जिसमें अनाज भरकर रखते हैं। कोठला। पुं० [सं० पल्लव, हिं० पालो] जंगली बेर के वृक्ष की पत्तियाँ जो चारे के काम आती हैं। पुं०=पाड़ा (टोला या महल्ला)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पालागन  : स्त्री० [हिं० पावँ+पर+लगना] आदर-पूर्वक किसी पूज्य व्यक्ति के पैर छूने की क्रिया या भाव। प्रणाम।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पालागल  : पुं० [सं०] १. प्राचीन भारत में, समाचार लाने और ले जानेवाला व्यक्ति। संदेशवाहक। संवादवाहक। हरकारा। २. दूत।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पालागली  : स्त्री० [सं० पालागल+ङीष्] प्राचीन भारत में, राजा की चौथी और सबसे काम आदर पानेवाली रानी जो शूद्र जाति की होती थी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पालाश  : वि० [सं० पलाश+अण्] १. पलाश-संबंधी। २. पलाश का बना हुआ। ३. हरा। पुं० १. तेज पत्ता। २. हरा रंग।
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पालाशखंड  : पुं० [ब० स०] मगध देश।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पालाशि  : पुं० [सं० पलाश+इञ्] पलाश गोत्र के प्रवर्तक ऋषि।
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पाला  : पुं० [सं० प्रालेय] १. बादलों में रहनेवाले पानी या भाप के वे जमे हुए सफेद कण, जो अधिक सरदी पड़ने पर आकाश से पेड़-पौधों आदि पर पतली तह की तरह फैल जाते हैं और इस प्रकार उन्हें हानि पहुँचाते हैं। क्रि० प्र०—गिरना।—पड़ना। मुहा०—(किसी चीज पर) पाला पड़ना=(क) बुरी तरह से नष्ट होना। (ख) इतना दब जाना कि फिर जल्दी उठ न सके। जैसे—आशाओं पर पाला पड़ना। (फसल आदि को) पाला मार जाना=आकाश से पाला गिरने के कारण फसल की पैदावार खराब या नष्ट हो जाना। २. बहुत अधिक ठंढ या सरदी जो उक्त प्रकार के पात के कारण होती है। जैसे—इस साल तो यहाँ बहुत अधिक पाला है। पुं० [सं० पट्ट, हिं० पाड़ा] १. प्रधान स्थान। पीठ। २. वह धुस या भीटा अथवा बनाई हुई मेड़ जिससे किसी क्षेत्र की सीमा सूचित होती हो। ३. कबड्डी आदि के खेलों में दोनों पक्षों के लिए अलग-अलग निर्धारित क्षेत्र में जिसकी सीमा प्रायः जमीन पर गहरी लकीर खींचकर स्थिर की जाती है। पुं० [हिं०] १. पल्ला। २. लाक्षणिक रूप में, कोई ऐसा काम या बात जिसमें किसी प्रतिपक्षी को दबाना अथवा उसके साथ समानता के भाव से रहकर निर्वाह करना पड़ता है। मुहा०—(किसी से) पाला पड़ना=ऐसा अवसर या स्थिति आना जिसमें किसी विकट व्यक्ति का सामना करना पड़े, या उससे संपर्क स्थापित हो। जैसे—ईश्वर न करे, ऐसे दुष्ट से किसी का पाला पड़े। (किसी से) पाले पड़ना=ऐसी स्थिति में आना या होना कि जिससे काम पड़े, वह बहुत ही भीषण या विकट व्यक्ति सिद्ध हो। जैसे—तुम भी याद करोगे कि किसी के पाले पड़े थे। ३. वह जगह जहाँ दस-बीस आदमी मिलकर बैठा करते हों। ४. अखाड़ा। ५. कच्ची मिट्टी का वह गोलाकार ऊँचा पात्र, जिसमें अनाज भरकर रखते हैं। कोठला। पुं० [सं० पल्लव, हिं० पालो] जंगली बेर के वृक्ष की पत्तियाँ जो चारे के काम आती हैं। पुं०=पाड़ा (टोला या महल्ला)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पालागन  : स्त्री० [हिं० पावँ+पर+लगना] आदर-पूर्वक किसी पूज्य व्यक्ति के पैर छूने की क्रिया या भाव। प्रणाम।
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पालागल  : पुं० [सं०] १. प्राचीन भारत में, समाचार लाने और ले जानेवाला व्यक्ति। संदेशवाहक। संवादवाहक। हरकारा। २. दूत।
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पालागली  : स्त्री० [सं० पालागल+ङीष्] प्राचीन भारत में, राजा की चौथी और सबसे काम आदर पानेवाली रानी जो शूद्र जाति की होती थी।
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पालाश  : वि० [सं० पलाश+अण्] १. पलाश-संबंधी। २. पलाश का बना हुआ। ३. हरा। पुं० १. तेज पत्ता। २. हरा रंग।
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पालाशखंड  : पुं० [ब० स०] मगध देश।
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पालाशि  : पुं० [सं० पलाश+इञ्] पलाश गोत्र के प्रवर्तक ऋषि।
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