शब्द का अर्थ
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पिंजर :
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वि० [सं०√पिञ्ज्+रच्] १. ललाई लिये हुए पीले रंग का। २. पीला। ३. सुनहला। पुं० १. पिंजरा। २. हड्डियों की ठठरी। पंजर। ३. हरताल। ४. सोना। ५. नागकेसर। ६. लाल रंग का वह फोड़ा जिसमें कुछ भूरापन भी हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पिंजरक :
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पुं० [सं० पिञ्जर+कन्] हरताल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पिंजरा :
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पुं० [सं० पंजर] १. धातु, बाँस आदि की तीलियों का बना हुआ बक्स की तरह का वह आधान जिसमें पक्षी, पशु आदि बंद करके रखे जाते हैं। २. लाक्षणिक अर्थ में, ऐसा स्थान जहाँ से किसी का बाहर निकलना प्रायः असंभव या दुष्कर हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पिंजरापोल :
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पुं० [हिं० पिंजरा+पोल=फाटक] १. पशुशाला। २. गोशाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पिंजरिक :
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पुं० [सं०] पुरानी चाल का एक तरह का बाजा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पिंजरित :
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भू० कृ० [सं० पिंजर+इतच्] पीले रंग का या पीले रंग में रंगा हुआ। |
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समानार्थी शब्द-
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पिंजर :
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वि० [सं०√पिञ्ज्+रच्] १. ललाई लिये हुए पीले रंग का। २. पीला। ३. सुनहला। पुं० १. पिंजरा। २. हड्डियों की ठठरी। पंजर। ३. हरताल। ४. सोना। ५. नागकेसर। ६. लाल रंग का वह फोड़ा जिसमें कुछ भूरापन भी हो। |
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पिंजरक :
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पुं० [सं० पिञ्जर+कन्] हरताल। |
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पिंजरा :
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पुं० [सं० पंजर] १. धातु, बाँस आदि की तीलियों का बना हुआ बक्स की तरह का वह आधान जिसमें पक्षी, पशु आदि बंद करके रखे जाते हैं। २. लाक्षणिक अर्थ में, ऐसा स्थान जहाँ से किसी का बाहर निकलना प्रायः असंभव या दुष्कर हो। |
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पिंजरापोल :
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पुं० [हिं० पिंजरा+पोल=फाटक] १. पशुशाला। २. गोशाला। |
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पिंजरिक :
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पुं० [सं०] पुरानी चाल का एक तरह का बाजा। |
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पिंजरित :
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भू० कृ० [सं० पिंजर+इतच्] पीले रंग का या पीले रंग में रंगा हुआ। |
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