शब्द का अर्थ
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पूछना :
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स० [सं० पृच्छण] १. किसी से कोई बात जानने या समझने के लिए शब्दों का प्रयोग करना। जिज्ञासा करना। जैसे—किसी से कहीं का रास्ता (या किसी का नाम) पूछना। २. जाँच, परीक्षा आदि के प्रसंग में इसलिए किसी के सामने कुछ प्रश्न रखना कि वह उसका उत्तर दे। प्रश्न करना। जैसे—परीक्षा के समय विद्यार्थियों से तरह-तरह की बातें पूछी जाती हैं। ३. किसी के प्रति सहानुभूति रखते हुए उससे यह जानने का प्रयत्न करना कि आज-कल तुम कैसे हो या किस प्रकार जीवन यापन करते हो। किसी का हाल-चाल या खोज-खबर लेना। जैसे—(क) वह महीनों बीमार पड़ा रहा पर कोई उसके पास पूछने तक न गया। (ख) अजी, गरीबों को कौन पूछता है। ४. किसी के प्रति आदर-सत्कार का भाव प्रकट करते हुए उसकी ओर उचित ध्यान देना। जैसे—इतनी भीड़ भाड़ में कौन किसे पूछता है। मुहा०—(किसी से) बात तक न पूछना या बात न पूछना=(क) कुछ भी ध्यान न देना। (ख) बहुत ही उपेक्षापूर्ण व्यवहार करना। ५. उचित महत्व या मूल्य समझते हुए आदर या कदर करना। जैसे—आज-कल गुण या योग्यता को कौन पूछता है। ६. किसी प्रकार का ध्यान देते हुए कोई जिज्ञासा करना या कुछ कहना। जैसे—उनके घर पहुँचकर सीधे ऊपर चले जाना; कोई कुछ नहीं पूछेगा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पूछना :
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स० [सं० पृच्छण] १. किसी से कोई बात जानने या समझने के लिए शब्दों का प्रयोग करना। जिज्ञासा करना। जैसे—किसी से कहीं का रास्ता (या किसी का नाम) पूछना। २. जाँच, परीक्षा आदि के प्रसंग में इसलिए किसी के सामने कुछ प्रश्न रखना कि वह उसका उत्तर दे। प्रश्न करना। जैसे—परीक्षा के समय विद्यार्थियों से तरह-तरह की बातें पूछी जाती हैं। ३. किसी के प्रति सहानुभूति रखते हुए उससे यह जानने का प्रयत्न करना कि आज-कल तुम कैसे हो या किस प्रकार जीवन यापन करते हो। किसी का हाल-चाल या खोज-खबर लेना। जैसे—(क) वह महीनों बीमार पड़ा रहा पर कोई उसके पास पूछने तक न गया। (ख) अजी, गरीबों को कौन पूछता है। ४. किसी के प्रति आदर-सत्कार का भाव प्रकट करते हुए उसकी ओर उचित ध्यान देना। जैसे—इतनी भीड़ भाड़ में कौन किसे पूछता है। मुहा०—(किसी से) बात तक न पूछना या बात न पूछना=(क) कुछ भी ध्यान न देना। (ख) बहुत ही उपेक्षापूर्ण व्यवहार करना। ५. उचित महत्व या मूल्य समझते हुए आदर या कदर करना। जैसे—आज-कल गुण या योग्यता को कौन पूछता है। ६. किसी प्रकार का ध्यान देते हुए कोई जिज्ञासा करना या कुछ कहना। जैसे—उनके घर पहुँचकर सीधे ऊपर चले जाना; कोई कुछ नहीं पूछेगा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |