शब्द का अर्थ
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पृथु :
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वि० [सं०√प्रथ्+कु, संप्रसारण] [भाव० पृथुता] १. अधिक विस्तारवाला। विस्तीर्ण। २. बड़ा। महान। ३. अगणित। बहुत। अधिक। ४. चतुर। होशियार। ५. महत्त्वपूर्ण। पुं० १. एक हाथ का मान। दो बालिश्त की लंबाई। २. अग्नि। आग। ३. विष्णु। ४. शिव। ५. एक विश्वेदेवा। ६. चौथे मन्वंतर के एक सप्तर्षि। ७. तामस मन्वंतर के एक ऋषि। ८. वेणु के एक पुत्र एक प्रसिद्ध राजा जिनके नाम से भूमि का नाम पृथ्वी पड़ा था। कहते हैं कि इन्होंने गो रूप धारिणी पृथ्वी से ओषधियों का दोहन किया था। (मार्कण्डेय पुराण) स्त्री० [सं०] १. काला जीरा। २. हिगुपत्री। ३. अफीम। |
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समानार्थी शब्द-
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पृथुक् :
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पुं० [सं० पृथु+कन्, या√प्रथू+कुकन्, संप्रसारण] [स्त्री० पृथुका] १. बच्चा। बालक। २. चाक्षुष मन्वंतर के एक देव-गण। हिंगुपत्री। ३. चिड़वा। |
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पृथुका :
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स्त्री० [सं० पृथुक्+टाप्] १. हिंगुपत्री। २. बालिका। |
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पृथुकीर्ति :
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स्त्री० [सं०] पुराणानुसार पृथा (कुंती) की एक छोटी बहन का नाम। वि० जिसकी चारों ओर कीर्ति हो। यशस्वी। |
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पृथुकोल :
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पुं० [सं० कर्म० स०] बड़ा बेर। |
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पृथुच्छद :
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पुं० [ब० स०] १. एक प्रकार का दो रंगा कुश। २. हाथीकंद। |
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पृथुता :
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स्त्री० [सं० पृथु+तल्+टाप्] १. पृथु होने की अवस्था या भाव। २. फैलाव। विस्तार। |
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पृथुत्व :
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पुं० [सं० पृथु+त्व] पृथुता। (दे०) |
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पृथुदर्शी (र्शिन्) :
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वि० [सं० पृथु√दृश् (देखना)+णिनि] दूरदर्शी। |
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पृथुपत्र :
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पुं० [ब० स०] १. लाल लहसुन २. हाथी कंद। |
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पृथु-पलाशिका :
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पुं० [सं० ब० स०,+कप्,+टाप्, इत्व] कचूर। |
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पृथुपाणि :
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पुं० [ब० स०] जिसके हाथ घुटनों तक लंबे हों। आजानुबाहु। |
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पृथु-प्रथ :
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वि० [ब० स०] अति प्रसिद्ध। विख्यात। |
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पृथु-बीजक :
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पुं० [ब० स०,+कप्] मसूर। |
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पृथु-भैरव :
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पुं० [कर्म० स०] बौद्धों के एक देवता। |
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पृथु-यशा (शस्) :
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वि० [ब० स०] बहुत बड़ा यशस्वी। |
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पृथु-रोमा (मन्) :
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स्त्री० [सं० ब० स०, ङीप्] १. मछली। २. मीनराशि। |
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पृथुल :
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वि० [सं० पृथु+लच्] १. अधिक विस्तारवाला। विस्तीर्ण। पृथु। २. बहुत बड़ा। जैसे—पृथु-लोचन। ३. भारी। जैसे—पृथु विक्रम। ४. अधिक। ढेर। |
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पृथुला :
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स्त्री० [सं० पृथुल+टाप्] हींग की जाति का एक वृक्ष। हिंगुपत्री। |
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पृथु-लोचन :
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वि० [ब० स०] बड़ी-बड़ी आँखोंवाला। |
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पृथु-शिंब :
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पुं० [ब० स०] सोनापाठा। |
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पृथुशेखर :
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पुं० [ब० स०] पहाड़। पर्वत। |
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पृथु-श्रवा (वस्) :
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पुं० [ब० स०] १. कार्तिकेय का एक अनुचर। २. पुराणानुसार नवें मनु का एक पुत्र। वि० १. बड़े-बड़े कानोंवाला। २. बहुत प्रसिद्ध। |
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पृथु-श्रोणि :
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वि० [ब० स०] जिसकी कमर चौड़ी हो। |
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पृथु-संपद् :
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वि० [ब० स०] बहुत बड़ा धनवान्। |
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पृथु-स्कंध :
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पुं० [ब० स०] सूअर। |
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पृथुदक :
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पुं० [सं० पृथु-उदक, ब० स०] सरस्वती नदी के दक्षिण तट पर का एक प्रसिद्ध प्राचीन तीर्थ जिसका आधुनिक नाम पोहोआ है। |
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