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शब्द का अर्थ
भक्ति-योग :
पुं० [सं० ष० त०] १. उपास्यदेव मे अत्यन्त अनुरक्त होकर उसकी भक्ति में लीन रहना। सदा भगवान् में श्रद्धापूर्वक मन लगाकर उनकी उपासना करना। २. भक्ति का साधन।
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