शब्द का अर्थ
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भीर :
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स्त्री०=भीड़। वि०=भीरु।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
भीरना :
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अ० [सं० भी या हिं० भीरु] भयभीत होना। डरना। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
भीरा :
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पुं० [देश०] एक प्रकार का वृक्ष जो मध्य-भारत तथा दक्षिण-भारत में होता है। इसकी लकड़ियों से शहतीर बनते हैं और इसमें से गोंद, रंग और तेल निकलता है। वि०=भीरु (कायर)। स्त्री०=भीड़। वि०=भीड़ा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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भीरी :
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स्त्री० [देश०] अरहर का टाल या राशि।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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भीरु :
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वि० [सं० भी+क्रु] १. जिसे भय हुआ हो। डरा हुआ। २. कायर। डरपोक। पुं० [सं०] १. श्रृंगाल। गीदड़। २. बाघ। ३. एक प्रकार की ईख। स्त्री० [सं०] १. शतावरी। २. कंटकारी। भटकटैया। ३. बकरी। ४. छाया। |
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भीरुक :
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पुं० [सं० भीरु+कन्] १. वन। जंगल। २. चाँदी। ३. एक प्रकार की ईख। ४. उल्लू। वि० भीरु। कायर। डरपोक। |
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समानार्थी शब्द-
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भीरुता :
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स्त्री० [सं० भीरु+तल्+टाप्] १. भीरु होने की अवस्था या भाव। कायरता। बुजदिली। २. डर। भर। |
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समानार्थी शब्द-
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भीरुताई :
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स्त्री०=भीरुता। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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भीरु-पत्री :
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स्त्री० [सं० ब० स०+ङीष्] शतमूली। |
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भीरु-हृदय :
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पुं० [सं० ब० स०] हिरन। |
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भीरु :
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स्त्री० [सं० भीरु] स्त्री० (डिं०) वि० =भीरु। |
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भीरे :
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अव्य० [हिं० भिड़ना] पास। समीप। |
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